बी.ए. हेल्थ इकोनॉमिक्स और एम.ए. फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स बन रहे कैरियर की नई पसंद
बरेली, 16 जुलाई। बदलते आर्थिक परिदृश्य और स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बीच, स्नातक और परास्नातक स्तर पर अर्थशास्त्र के विशेष क्षेत्रों की ओर छात्रों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में आयोजित करियर काउंसलिंग सत्रों और प्रवेश प्रक्रिया के दौरान यह देखा गया कि बी ए हेल्थ इकोनॉमिक्स और एम ए फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स जैसे पाठ्यक्रमों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं की आर्थिक नीतियों और वित्तीय प्रबंधन की भूमिका पर छात्रों की जागरूकता बढ़ी है। हेल्थ इकोनॉमिक्स जैसे विषय अब न केवल अकादमिक क्षेत्र में, बल्कि नीति निर्माण, बीमा, NGO, और हेल्थकेयर मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में भी करियर के नए अवसर खोल रहे हैं।
इसी तरह, MA फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स की ओर छात्रों का झुकाव यह दर्शाता है कि युवा अब पारंपरिक अर्थशास्त्र की पढ़ाई से आगे बढ़कर डेटा आधारित निर्णय, इन्वेस्टमेंट एनालिसिस, बैंकिंग, और फाइनेंशियल पॉलिसी में विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं।
विशेषज्ञों और शिक्षाविदों का मानना है कि यह रुझान न केवल छात्रों की बदलती सोच का प्रतीक है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। विश्वविद्यालयों को अब ऐसे कोर्सों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।

छात्रों और अभिभावकों दोनों ने इन विषयों को ‘समय की मांग’ बताते हुए सराहा है। यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में बी ए हेल्थ इकोनॉमिक्स और एम ए फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स जैसे कोर्स छात्रों के बीच और भी लोकप्रिय होंगे। महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय,बरेली द्वारा उक्त दोनों पाठयक्रमो को इकोनॉमिक्स विभाग में आरंभ किया गया है। छात्रों की रुचि और पाठ्यक्रमो की प्रासंगिता इसे लोकप्रिय बना रही हैं।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट