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व्यापार युद्ध में चीन का बड़ा दांव, अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की सप्लाई रोकी; संकट में ये बड़ी कंपनियां

नई दिल्ली/बीजिंग: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध अब एक नए और गंभीर मोड़ पर पहुँच गया है। अमेरिका द्वारा चीनी सामानों पर भारी टैरिफ लगाए जाने के बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने अब अमेरिका को महत्वपूर्ण दुर्लभ खनिज तत्वों के निर्यात पर लगभग पूरी तरह रोक लगा दी है, जिसकी पुष्टि सीमा शुल्क के ताजा आंकड़ों से होती है।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट और आंकड़ों के अनुसार, सोलर पैनल और थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों में प्रमुखता से इस्तेमाल होने वाले टेल्यूरियम धातु के निर्यात में लगभग 44 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है, जबकि टंगस्टन रॉड के शिपमेंट में 84 प्रतिशत और अन्य टंगस्टन उत्पादों के निर्यात में 77 प्रतिशत की चौंकाने वाली कमी दर्ज की गई है। मोलिब्डेनम पाउडर, बिस्मथ उत्पादों और टंगस्टन सामग्री की कुछ अन्य श्रेणियों का शिपमेंट तो पूरी तरह से रोक दिया गया है। यह कार्रवाई अमेरिका द्वारा फरवरी में चीनी आयातों पर भारी टैरिफ लगाने के बाद शुरू हुई है।

पहले चीन ने अमेरिकी बोइंग विमानों के ऑर्डर रद्द करने जैसे कदम उठाए थे, लेकिन अब उसने दुर्लभ खनिजों के निर्यात को अपना हथियार बनाया है। चीनी नियमों के अनुसार, इन खनिजों के निर्यात के लिए सरकारी मंजूरी अनिवार्य होती है, और बढ़ते व्यापार तनाव के बीच, चीन सरकार ने अमेरिका को होने वाले निर्यात पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। माना जा रहा है कि चीन इस दबाव के ज़रिए अमेरिका को टैरिफ कम करने के लिए मजबूर करना चाहता है।

इन दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर रोक लगने से अमेरिका के कई महत्वपूर्ण उद्योग संकट में आ गए हैं, जिनमें सोलर पैनल, थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्टफोन निर्माता और यहाँ तक कि अत्याधुनिक सैन्य उपकरण बनाने वाले उद्योग भी शामिल हैं, क्योंकि ये इन खनिजों पर चीन पर ही निर्भर हैं। इस संकट का मुख्य कारण यह है कि दुर्लभ खनिजों के खनन, शोधन और प्रसंस्करण पर चीन का लगभग एकाधिकार है; वैश्विक स्तर पर टंगस्टन का 83%, बिस्मथ का 81%, टेल्यूरियम का 75%, इंडियम का 70% और मोलिब्डेनम का 42% उत्पादन चीन ही करता है।

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मार्च में चीन ने अमेरिका को यट्रियम के निर्यात में 86 फीसदी और स्कैंडियम के निर्यात में दो-तिहाई की कटौती की थी। चीन के इस कदम ने स्पष्ट कर दिया है कि वह व्यापार युद्ध में अपने रणनीतिक लाभ का उपयोग करने से पीछे नहीं हटेगा, जिसका सीधा असर अमेरिकी उद्योगों और अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है।