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पटाखा गोदाम में विस्फोट: नर्मदा किनारे सामूहिक अंतिम संस्कार, 18 चिताओं ने झकझोर दिया मन


गुजरात के बनासकांठा जिले में एक अवैध पटाखा गोदाम में हुए विस्फोट में मारे गए 21 लोगों में से 18 का अंतिम संस्कार मध्यप्रदेश के देवास जिले में नर्मदा नदी के तट पर किया गया। इस भयावह त्रासदी में देवास जिले के 10 और हरदा जिले के आठ लोग अपनी जान गंवा बैठे।

भावुक माहौल में हुआ अंतिम संस्कार
देवास के नेमावर कस्बे में आयोजित अंतिम संस्कार के दौरान माहौल बेहद गमगीन रहा। अपनों के पार्थिव शरीर को देख परिजनों की आंखों से आंसू नहीं रुके। एक साथ जली 18 चिताओं ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। अंतिम संस्कार में खातेगांव के भाजपा विधायक आशीष गोविंद शर्मा भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी त्रासदी पहली बार देखी है और ईश्वर से प्रार्थना की कि भविष्य में ऐसा दृश्य दोबारा न देखने को मिले।

कैसे हुआ हादसा?
मंगलवार को गुजरात के डीसा के पास स्थित एक अवैध पटाखा गोदाम में जबरदस्त विस्फोट हुआ।
इस हादसे में पांच बच्चों समेत 21 लोगों की मौत हो गई, जबकि छह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
विस्फोट की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि शवों के अवशेष 200300 मीटर दूर तक बिखर गए।
गोदाम में पटाखे बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला एल्युमीनियम पाउडर भी मिला।

पीड़ित परिवारों की मदद का भरोसा
भाजपा विधायक आशीष गोविंद शर्मा ने कहा कि हम पीड़ित परिवारों के साथ हैं और उन्हें हरसंभव सहायता दिलाने का प्रयास करेंगे। इस दौरान पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता कमल पटेल भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें पीड़ितों के साथ हैं और प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता दी जाएगी।

सरकार ने की आर्थिक मदद की घोषणा
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मृतकों के परिवारों को दोदो लाख रुपये और घायलों को 5050 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।

गोदाम मालिक गिरफ्तार, जांच जारी
पुलिस ने मंगलवार रात गोदाम मालिक दीपक मोहनानी और उसके पिता खूबचंद मोहनानी को गिरफ्तार कर लिया।
जिलाधिकारी मिहिर पटेल के अनुसार, गोदाम परिसर में रहने वाले कुछ श्रमिकों की छत गिरने से मौत हुई।
गुजरात सरकार ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है।

यह हादसा एक बार फिर अवैध पटाखा कारोबार की खतरनाक सच्चाई को उजागर करता है। प्रशासन अब जांच में जुटा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसे हादसे भविष्य में रुक पाएंगे?