विश्व विरासत दिवस पर भारत को बड़ी उपलब्धि
भगवद् गीता और नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियां शामिल हुईं UNESCO के ‘विश्व स्मृति रजिस्टर’ में विश्व विरासत दिवस के अवसर पर भारत को अपनी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और वैश्विक मान्यता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई है। भगवद् गीता और भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र की दुर्लभ पांडुलिपियों को यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ यानी ‘विश्व स्मृति रजिस्टर’ में शामिल किया गया है।
यूनेस्को ने की 74 नए दस्तावेजों की घोषणा
17 अप्रैल को यूनेस्को ने अपने विश्व स्मृति रजिस्टर में 74 नई दस्तावेजी विरासतें जोड़ीं, जिनमें भारत की ये दो ऐतिहासिक कृतियां भी शामिल हैं। इसके साथ ही भारत की कुल 14 सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरें अब इस प्रतिष्ठित सूची का हिस्सा बन चुकी हैं। यूनेस्को ने बताया कि इस बार जिन 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों की विरासतों को मान्यता दी गई है, वे वैज्ञानिक क्रांति, महिलाओं के ऐतिहासिक योगदान और बहुपक्षीय सहयोग जैसी थीम्स पर आधारित हैं।
पीएम मोदी ने जताया गर्व, बताया गौरव का क्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मान पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा: “गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में स्थान मिलना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। ये हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह दोनों ग्रंथ सदियों से मानव सभ्यता और चेतना को दिशा देते आए हैं और उनकी गहराई आज भी विश्व को प्रेरणा देती है।
नाट्यशास्त्र: भारतीय कला परंपरा की नींव
भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र को भारतीय नाट्यकला, संगीत, नृत्य और रंगमंच का मूल ग्रंथ माना जाता है। यह केवल एक कला ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गूढ़ता और सूक्ष्मता को दर्शाने वाली धरोहर है, जिसकी प्रासंगिकता आज भी कायम है।
संस्कृति मंत्री ने भी जताया उत्साह
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस अवसर को “भारत की सभ्यतागत विरासत का ऐतिहासिक क्षण” बताया। उन्होंने कहा:
“यह भारत की शाश्वत मेधा, ज्ञान परंपरा और कलात्मक प्रतिभा का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिला सम्मान है।”