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भारत की राष्ट्रपति,माननीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के मुख्य आतिथ्य में आईवीआरआई का 11वां दीक्षांत समारोह संपन्न 

                                                    बरेली, 30 जून।  भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर  बरेली में 11वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया।  इस समारोह की मुख्य अतिथि भारत की राष्ट्रपति, माननीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी थी, इस दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, माननीय श्रीमती आनंदीबेन पटेल,  कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी, राज्यपाल झारखंड  माननीय श्री संतोष गंगवार जी, भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याणराज्य मंत्री, माननीय श्री भागीरथ चौधरी जी, सचिव,कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, डॉ. मांगी लाल जाट, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डॉ  राघवेन्द्र भट्टा; निदेशक एवं कुलपति, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, डॉ. त्रिवेणी दत्त, संस्थान के पूर्व निदेशकगण, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रबन्धन मंडल एवं शैक्षणिक परिषद के समस्त सम्माननीय  सदस्यगण; विभिन्न संस्थानों के निदेशकगण, संयुक्त निदेशक गण, समस्त संकाय सदस्य, छात्र-छात्रांए एवं उनके अभिभावक गण सामिलित हुए।
  इस दीक्षांत समारोह में वर्ष 2021 से 2024 तक के बीवीएससी एंड एएच (41), एमवीएससी (328) तथा पीएचडी (207) सहित कुल 576 विद्यार्थियों को उपाधियाँ दी गयीं। 11 वें दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्रों को उनके उत्कृष्ट शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए गोल्ड, सिल्वर एवं ब्रांज मेडल प्रदान किये गये। पीचडी के डा. राज कुमार पटेल, डा.  मेघा शर्मा एवं डा. अमिता बानू एस को क्रमशः 2021-22, 2022-23 एवं 2023-24 के शैक्षणिक सत्र के लिए गोल्ड मेडल से नवाजा गया। इन्ही शैक्षणिक सत्रों  में डा.  प्रिया, डा. शारून खान एवं डा. मंजूषा के एम को पीचडी का सिल्वर मेडल एवं डा. यैंसी मैरी इस्साक, डा. प्रवास रंजन साहू एवं डा. के नारायण राठौड़ को ब्रान्ज मेडल दिया गया।
शैक्षणिक वर्षों  में क्रमश:  2021-22, 2022-23 एवं 2023-24 के परास्नातक (एमवीएससी) छात्रों में, डा. नवजोत सिंह ठाकुर, डा. सेलस सी एस एवं डा. खुशबू चैधरी को गोल्ड, डा. श्री लक्ष्मी पी, डा. कनिक घिल्डियाल एवं डा. रोशनी चंद्र को सिल्वर तथा डा. सिद्धार्थ चौधरी, डा. एलिजाबेथ ग्लैनेट ड्यूरोम एवं डॉ. हरिदीप वर्मा को ब्रान्ज मेडल प्रदान किए गए । शैक्षणिक वर्ष 2023 एवं 2024 में बीवीएससी एण्ड एच के लिए डा. तान्या चौधरी, डा. अतुल प्रताप सिंह को गोल्ड, डा. रेनू मोटवानी एवं डा. पुष्पा कुमावत को ब्रान्ज मेडल दिया गया।
इसी क्रम में पीएचडी उत्कृष्ट महिला छात्र पुरस्कार डा. निवेदिता नायक, डा. मेघा शर्मा एवं डा. अमिता बानो को दिया गया एवं डा. श्री लक्ष्मी पी, डा. अंजना पी एवं रोशनी चंद्र ने एमवीएससी के उत्कृष्ट महिला छात्र होने का पुरस्कार प्राप्त किया। साथ ही डा. रेनू मोटवानी एवं डा. वर्षा गंगवार को स्नातक का उत्कृष्ट महिला छात्र पुरस्कार मिला। डा. सोनल, डा. हिमानी धान्जे, डा. सोनालिका महाजन, डा. अंजु काला, डा. रिंकु शर्मा एवं डा. गीता चौहान को वर्ष 2022-24 का उत्कृष्ट महिला वैज्ञानिक पुरस्कार दिया गया।
इसके अतिरिक्त छात्रों को वर्ष 2021 से 2023 के लिए विभिन्न अवार्ड भी प्रदान किये गये जिसमें डा. चितांमणी सिंह अवार्ड को डा. अरूण प्रिसं मिल्टन (जन स्वास्थ्य विभाग), डा. रंजीता एच बी (पशु जैवप्रौद्योगिकी विभाग) एवं शल्य चिकित्सा विभाग के डा. शारून खान को दिया गया।
डा. मुकेश भट्ट को वर्ष 2021-22 एवं डा. सोनू एस नायर को वर्ष 2022-23 का डी.आर. उप्पल अवार्ड दिया गया। इसी प्रकार डा. एस.एस.प्रभु अवार्ड पशु अनुवांशिकी विभाग के डा. स्नेह स्मिता पाण्डा एवं डा. वाणी ए को मिला। कुक्कुट विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु डा. निवेदिता नायक, डा. मोनिका एम एवं डा. जगधने विनय मोहन को डा. भगवत पाण्डा अवार्ड एवं पशु जैव प्रौद्योगिकी में उत्कृष्ट कार्य हेतु डा. सुहास एच जी, डा. संजु कुंजुमोन एवं डा. रूद्रेश्वरन एम को डा.  जी बुच्चैया अवार्ड दिया गया। पशु पोषण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु डा. लोकेश ई, डा.  प्रमोद चौधरी एवं डा.  काशी सौजन्या लक्ष्मी आर को डा.  एस. के. तालपात्रा अवार्ड एवं डा. तीर्थेस एम, डा. अलीशा शर्मा एवं डा.  कनिगा जी को डा.  यू. आर. मेहरा अवार्ड दिया गया।
इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के महानिदेशक एवं सचिव डेयर, डॉ. माँगी लाल जाट जी एवं प्रोफेसर (डॉ.) प्रदीप कुमार जोशी जी, चांसलर, सीएयू इम्फाल एवं प्रगियोतिषपुर विश्वविद्यालय को मानद उपाधियाँ प्रदान की गयीं।
माननीय राष्ट्रपति महोदया, महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि मैं जिस परिवेश से आती हूं, वह सहज रूप से प्रकृति के निकट है। उन्होंने विद्यार्थियों से संवाद करते हुए कहा कि चिकित्सक या शोधकर्ता के रूप में कार्य करें तो मन में बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना हो। पशु व मानव का रिश्ता परिवार का है। अभी हम आधुनिक जीवनशैली की जिंदगी जी रहे हैं, लेकिन जब छोटे थे तो टेक्नोलॉजी का साधन नहीं था तब पशु ही हमारे साधन थे। पशु के बिना किसान आगे नहीं बढ़ सकते थे। पशु हमारे जीवन का धन हैं। उनके बिना हम जिंदगी के बारे में सोच नहीं सकते थे। यह धरती व मानव जाति इससे खुशहाल होती थी। हमारी संस्कृति सभी जीव-जंतुओं में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है।
राष्ट्रपति ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। उन्होंने विद्यार्थियों को उपाधि व मेडल भी प्रदान किया।
संस्थान ने हासिल कीं कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां
राष्ट्रपति ने कहा कि 1889 में स्थापित इस संस्थान ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। राष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध कार्यों और इस संस्थान के नाम लिखित  अनेक पेटेंट्स, डिजाइन, कॉपीराइट्स की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि ‘प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर’ कहावत पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह से लागू होती है। बीमारियों के रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है। इस संस्थान के लिए गर्व का विषय़ है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए।
आदर्श प्रस्तुत करें संस्थान
राष्ट्रपति ने कहा कि गिद्धों के विलुप्त होने के पीछे पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक दवाओं की भी भूमिका है। ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाना गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है। वैज्ञानिकों के इस दिशा में कदम उठाने पर राष्ट्रपति ने बधाई दी। कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो गईं या विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन प्रजातियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत आवश्यक हैं। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान जैसे संस्थान जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए आदर्श प्रस्तुत करें।
पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रहीं बेटियां
राष्ट्रपति ने उपाधि व पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर गर्व हो रहा है कि बेटियां अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह शुभ संकेत है। राष्ट्रपति ने कैटल शेड की चर्चा करते हुए कहा कि मां, बहन गायों की सेवा करती थीं। गायों व पशुओं से माता-बहनों का जुड़ाव अधिक है। इस क्षेत्र में बेटियों का जुड़ाव देखकर बहुत अच्छा लगा।
सत्य गुण से होती है ज्ञान की प्राप्ति
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि करियर के रूप में आपने निरीह व बेजुबान पशुओं की चिकित्सा व कल्याण के क्षेत्र को चुना है। इसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः… की भारतीय सोच का भी योगदान रहा है। राष्ट्रपति ने संस्थान का ध्येय वाक्य सुनाकर उसके भावार्थ की चर्चा की कि सत्य गुण से ज्ञान की प्राप्ति होती है। विश्वास है कि इसी भावना के साथ आपने शिक्षा प्राप्त की होगी और भविष्य में भी इसी मूल भावना के साथ कार्य करते होंगे। जब भी आपके सामने दुविधा का क्षण हो तब उन बेजुबान पशुओं के बारे में सोचिए, जिनके कल्याण के लिए आपने शिक्षा ग्रहण की है। आपको सही मार्ग जरूर दिखाई देगा।
उद्यमिता व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए संस्थान में है पशु विज्ञान इनक्यूबेटर
राष्ट्रपति ने कहा कि पशु विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान में पशु विज्ञान इनक्यूबेटर कार्यरत है। इस सुविधा का लाभ लेते हुए उद्यम स्थापित करने चाहिए। इससे न केवल जरूरतमंदों को रोजगार दे पाएंगे, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान कर पाएंगे। विश्व भर के प्रतिष्ठित संस्थानों, उद्यमों, सेवारत पूर्व विद्यार्थी भी इसमें मार्गदर्शन कर सकते हैं।
मानव, जानवर, वनस्पति व पर्यावरण एक-दूसरे पर हैं आश्रित
राष्ट्रपति ने कहा कि वन हेल्थ की अवधारणा महत्व प्राप्त कर रही है। माना जाता है कि मानव, घरेलू तथा जंगली जानवर, वनस्पति व व्यापक पर्यावरण एक-दूसरे पर आश्रित हैं। हमें अपनी परंपरा व इस अवधारणा का अनुसरण करते हुए पशु कल्याण के लिए प्रयास करना चााहिए। प्रमुख पशु संस्थान के रूप में इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट जेनेटिक बीमारियों के नियंत्रण व रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने-समझने की शक्ति दी है। उसका उपयोग जीव-जंतुओं के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।
कोरोना ने किया आगाह, उपभोग आधारित संस्कृति पहुंचा सकती है अकल्पनीय क्षति
राष्ट्रपति ने कहाकि कोरोना महामारी ने आगाह किया है कि उपभोग आधारित संस्कृति मानव, जीव-जंतुओं व पर्यावरण को अकल्पनीय क्षति पहुंचा सकती है। उन्होंने पशु कल्याण के लिए पशु आरोग्य मेलों के आयोजन पर जोर दिया। इनके तहत गांव-गांव में कैंप लगाकर पशुओं की चिकित्सा के साथ ही समाज भी स्वस्थ रहेगा।
पशु संपदा का संरक्षण व विकास हमारा कर्तव्य
राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज गांव-गांव में घरेलू पशु नहीं दिख रहे हैं। यह पशु खेती में सहयोग करते हैं। आज टेक्नोलॉजी तो आयी, लेकिन जमीन में खेती के साथी केंचुआ आदि समाप्त हो रहे हैं। इससे जमीन बंजर हो रही है। जमीन उर्वरता के लिए किसानों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों व आमजन को सोचना चाहिए। पशु संपदा का संरक्षण व विकास हमारा कर्तव्य होना चाहिए।
टेक्नोलॉजी के प्रयोग से लाए जा सकते हैं क्रांतिकारी बदलाव
राष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नोलॉजी अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा और देखभाल में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है। टेक्नोलॉजी के प्रयोग से देश भर के पशु चिकित्सा को सशक्त बनाया जा सकता है। जीनोम एडिटिंग, एम्ब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी, एआई, बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे टेक्नोलॉजी के प्रयोग से इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके आईवीआरआई जैसे संस्थानों को पशु रोगों के निदान व पोषण उपलब्ध कराने के लिए स्वदेशी व सस्ते उपाय ढूंढने चाहिए। साथ ही उन दवाओं के विकल्प भी तलाशने चाहिए, जिनके साइड इफेक्ट्स न केवल पशुओं, बल्कि मनुष्यों व पर्यावरण को भी प्रभावित करते रहे हैं। भारत के प्रमुख पशुचिकित्सा संस्थान के रूप में आई.वी.आर.आई. ने विशेष रूप से जूनोटिक  रोगों की रोकथाम और नियंत्रण, जीनोम संपादन, भ्रूण अंतरण प्रौद्योगिकियों, कृत्रिम बुद्धिमता, बिगडेटा एनालिटिक्स, पशुनस्ल के विकास, नई पीढ़ी के स्वदेशी नैदानिक किट और अत्याधुनिक वैक्सीन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से पशुस्वास्थ्य सेवा और उत्पादकता में हमारे राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने में संस्थान के प्रत्यक्ष योगदान की मैं  सराहना करती हूँ ।
उन्होंने छात्रों और पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन आपके जीवन में एक महत्पूर्ण मील का पत्थर है। यह आपके वर्षों की शैक्षणिक खोज, चुनौती पूर्ण व्यावहारिक प्रशिक्षण और गहन बौद्धिक विकास का प्रतिफल है। आपकी यह उपलब्धि आपके  दृढ़ संकल्प और गहन परिश्रम को दर्शाती है, आप पर मूक पशुओं के स्वास्थ्य और कल्याण का महान उत्तरदायित्व है  जिसे पूरा करने में संस्थान द्वारा प्राप्त कुशल प्रशिक्षण आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
इस अवसर पर कृषि शिक्षा को ग्रामीण जरूरतों से जोड़ें- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के 11वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राएं अपने-अपने विभागों में अच्छा कार्य कर रहे हैं और जिसने श्रेष्ठ कार्य किया है, उसे मेडल अवश्य मिलना चाहिए, परंतु पुरस्कार न मिलने वालों को निराश नहीं होना चाहिए। उन्होंने कृषि शिक्षा को ग्रामीण जरूरतों से जोड़ने की अपील करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और ग्रामीण सहभागिता जरूरी है। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “क्वालिटी एजुकेशन” के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें अपने विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाना है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कुल 5 कृषि विश्वविद्यालय हैं और हमें यह समझना होगा कि हमारी जरूरतें, समस्याएं और प्राथमिकताएं क्या हैं, तभी हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों को आसपास के गांवों से छात्रों को जोड़ने के लिए प्रयास करने चाहिए और यही सच्चे अर्थों में शिक्षा का उद्देश्य होगा। अयोध्या का कृषि विश्वविद्यालय जहां देश में नैक में A+ ग्रेड पाकर पहले स्थान पर है, वहीं मेरठ की सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय A श्रेणी में सम्मिलित है यह गर्व का विषय है।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि और पशुपालन रोजगार देने वाले क्षेत्र हैं और इनसे जुड़ी योजनाओं और बजट का पूर्ण उपयोग कर किसानों, महिलाओं और पशुपालकों की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। उन्होंने गुजरात की 2003 की कृषि रथ यात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि सीधे किसानों से संवाद ही बदलाव का आधार बनता है। गुजरात में ऐसा हुआ जब रथ यात्रा के दौरान प्रदेश के कृषि बैज्ञानिक, प्रोफेसर और शोधकर्ता किसानों के पास जाकर सीधे संवाद स्थापित किया, उनकी जरूरतों को सुना और फिर प्रदेश में कृषि व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाब आया।दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथि,  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, श्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मुजी का मुख्य अतिथि के तौर पर इस समारोह में आगमन हम सबके लिए हर्ष का विषय है।  उन्होंने  पशु रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और ’वन हेल्थ’ के सिद्धांतों के आधार पर पशुओं और उनके उत्पादों द्वारा प्रसारित बीमारियों से मानव स्वास्थ्य की रक्षा करने में पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों की प्रमुख भूमिका को रेखांकित किया।   संस्थान द्वारा किसानों की सेवाओं की बेहतरी के लिए राज्यों के पशुपालन विभागों, राष्ट्रीय संस्थानों और निजी उद्योगों के साथ वैश्विक पटल स्तर पर संबंध स्थापित करने तथा संबंधित एजेंसियों के साथ विभिन्न इंटरफेस बैठकें आयोजित करने की पहल की सराहना की। साथ ही संस्थान द्वारा अनुत्पादक गायों के संरक्षण करते हुए उसके गोविष्ठा का उपयोग जैविक खाद एवं अन्य घरेलू उत्पाद बनाने एवं वर्मी कंपोस्टिंग द्वारा भूमि की उत्पदकता को बढ़ाने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को सराहा। उन्होंने संस्थान द्वारा कोविड-19 महामारी की त्रासदी के दौरान इस रोग के परीक्षण के लिए संस्थान के प्रयासों की प्रसंशा की। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों, और उनके माता-पिता को इस प्रतिष्ठित संस्थान में उनकी सफल यात्रा के लिए बधाई दी।
अपने उद्बोधन में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस अविस्मरणीय अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होना मेरे लिए अपार हर्ष का विषय है। मैं उन सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूँ जिन्होंने डिग्री प्राप्त की है और साथ ही उन छात्रों को भी जिन्होंने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पदक प्राप्त किए हैं। उन्होने कहा कि इस कृषि प्रधान देश में , ये संस्थान ग्रामीण विकास की रीढ़ से रूप में कार्य कर रहा है और संस्थान ने न केवल देश परंतु विश्व को भी पशु पालन की दिशा में अपने कार्यों से प्रभावित किया है। संस्थान द्वारा विकसित टीके एवं निदान प्रौद्योगिकियों नें पशु स्वास्थ्य में प्रमुख भूमिका अदा की है और ये प्रयास आगे भी जारी रहने चाहिए। उन्होने कहा कि उनके मंत्रालय द्वारा शुरू कि गयी विकसित कृषि संकल्प अभियान में भी संस्थान ने बढ़-चढ़ कर सहभागिता की और शायद ये पहला मौका है जब वैज्ञानिक किसानों से सीधे जुड़े और उनकी जरूरतों को जाना और इस पर आगे कार्य करेंगे । उन्होनें ज़ोर दिया कि विकसित भारत के लिए विकसित किसान होने बहुत आवश्यक है। साथ ही उन्होनें समेकित कृषि प्रणाली को अपनाने पर ज़ोर दिया। उन्होनें छात्रों से अपने ज्ञान का इस्तेमाल देश और समाज की सेवा में समर्पित करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के 11वें दीक्षांत समारोह में शोधकर्ताओं की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान की 136 वर्षों की साधना पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है। आप जैसे वैज्ञानिक उस मूक प्राणी की आवाज बनते हैं जिसे दुनिया सुन नहीं पाती। आप सभी का शोध और सेवा समाज को एक नई दिशा देता है। कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरेली को भारत की पौराणिक और आध्यात्मिक नगरी बताते हुए कहा कि यह क्षेत्र प्राचीन काल में पांचाल देश के रूप में विख्यात था और यहां देवाधिदेव महादेव के सात प्राचीन मंदिरों की श्रृंखला ‘नाथ कॉरिडोर’ के रूप में विकसित की जा रही है। बाबा अलखनाथ, वनखंडी नाथ, त्रिवटी नाथ, तपेश्वर नाथ, मढ़ी नाथ, धोपेश्वर नाथ और श्री पशुपाति नाथ मंदिर बरेली की पहचान हैं। उन्होंने कहा कि जहां मंदिरों की श्रृंखला इस नगर को आध्यात्मिक पहचान देती है, वहीं IVRI ने इसे आधुनिक वैज्ञानिक पहचान प्रदान की है।
IVRI न केवल पशुधन बल्कि हर जीव-जंतु के लिए जीवन रक्षक सेवा का केंद्र बना है-सीएम योगी
सीएम योगी ने संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि IVRI न केवल पशुधन बल्कि हर जीव-जंतु के लिए जीवन रक्षक सेवा का केंद्र बना है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जब RTPCR जांच एक चुनौती बनी हुई थी, तब IVRI ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर 2 लाख से अधिक कोविड जांच करवाईं। सीएम योगी ने कहा कि IVRI की प्रतिबद्धता यह दिखाता है कि इसकी भूमिका केवल पशु चिकित्सा तक सीमित नहीं, बल्कि वह मानव जीवन रक्षा में भी अग्रणी रही है।
IVRI द्वारा विकसित टीके ने उत्तर प्रदेश को लंपी स्किन डिज़ीज से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई- योगी आदित्यनाथ
सीएम योगी ने लंपी स्किन डिज़ीज पर भी विस्तार से चर्चा की और बताया कि कैसे इस बीमारी की दूसरी लहर के दौरान जब गोवंश बुरी तरह प्रभावित हुआ, तब IVRI द्वारा विकसित टीके ने उत्तर प्रदेश को संक्रमण से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में हमारी गौशाला में भी संक्रमण फैल चुका था, लेकिन जब वैज्ञानिकों ने परीक्षण वैक्सीन देने की बात कही, तब तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला से बात कर अनुमति प्राप्त की गई और IVRI द्वारा बनाई गई वैक्सीन से प्रदेश में लंपी का पूरी तरह से सफाया किया गया। मुख्यमंत्री ने वैज्ञानिकों को उनके निःशब्द प्राणियों की सेवा के लिए हृदय से धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी खोजों ने किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। आपने पशुधन की उन्नत नस्ल देकर अन्नदाता को सशक्त किया है। IVRI की 136 वर्षों की यह साधना पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है।
यह केवल डिग्री नहीं, बल्कि समाज को आपकी सेवा समर्पित करने की शपथ है- सीएम योगी
दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त कर रहे छात्रों को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि आज का दिन आपके जीवन का एक नया अध्याय है। यह केवल डिग्री नहीं, बल्कि समाज को आपकी सेवा समर्पित करने की शपथ है। आपकी यह यात्रा राष्ट्र के भविष्य निर्माण में निर्णायक होगी। उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थितियों में कौन कैसे खड़ा होता है, यही उसकी पहचान तय करता है। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता को उद्धृत करते हुए कहा, “आदमी को चाहिए कि वो जूझे परिस्थितियों से… एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े।” मुख्यमंत्री योगी ने छात्रों से अपेक्षा जताई कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभाएं। उन्होंने सभी उपाधिधारकों, उनके अभिभावकों, शिक्षकों और वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि आज इस पावन भूमि से राष्ट्र को नई ऊर्जा मिल रही है, और यह ऊर्जा आप सभी के माध्यम से समाज तक पहुंचेगी।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी समेत कई अधिकारी व जनप्रतिनिधि के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े गणमान्य और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
संस्थान निदेशक डॉ त्रिवेणी दत्त ने इस अवसर पर सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत भाषण तथा संस्थान की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के महानिदेशक एवं सचिव डेयर, डॉ. माँगी लाल जाट जी ने की. उन्होंने समारोह की मुख्य अतिथि माननीय राष्ट्रपति महोदया, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का युवा मस्तिष्कों, एवं भावी पीढ़ी को अपनी गरिमामयी उपस्थिति से को प्रेरित करने के लिए आपका हार्दिक आभार व्यक्त करने के साथ –साथ समारोह के सभी अतिथियों का हार्दिक अभिनन्दन किया।  साथ ही उन्होने प्रैस एवं मीडिया का भी दीक्षांत समारोह कवरेज के लिए आभार प्रकट किया ।                  बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट