आईवीआरआई में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) परीक्षण पर व्यावहारिक प्रशिक्षण का आयोजन
बरेली,18 नवम्बर।आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर में “एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) परीक्षण पर व्यावहारिक प्रशिक्षण” का सफलतापूर्वक आयोजन किया। आंध्र प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा प्रायोजित, यह कार्यक्रम संयुक्त निदेशालय प्रसार शिक्षा और आईसीएआर-आईवीआरआई के जीवाणु विज्ञान और माइकोलॉजी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया गया था। एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) रोगजनकों का पता लगाने में पशु चिकित्सा में लगे वैज्ञानिकों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के उद्देश्य से, प्रशिक्षण ने पशु चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले एक महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित किया।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने समकालीन पशु चिकित्सा पद्धति में एएमआर डायग्नोस्टिक्स की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों से राज्य नैदानिक प्रयोगशालाओं में प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त उन्नत एएमआर परीक्षण तकनीकों को लगन से लागू करने का आग्रह किया। उन्होंने एएमआर की बढ़ती चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आईवीआरआई जैसे प्रमुख शोध संस्थानों और फील्ड डायग्नोस्टिक केंद्रों के बीच मजबूत सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) डॉ. रूपसी तिवारी ने प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के लिए और प्रशिक्षण को सफल बनाने में उनके प्रयासों के लिए संकाय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने रोगाणुरोधी प्रतिरोध की चुनौतियों का समाधान करने के लिए कार्यक्रम के दौरान प्राप्त ज्ञान को लागू करने के महत्व पर जोर दिया और इस तरह की पहल का समर्थन करने के लिए आईसीएआर-आईवीआरआई की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।
डॉ. दंडपत ने एएमआर को संबोधित करने में प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों के उत्साह की सराहना की। उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया पर ध्यान दिया और नैदानिक कौशल को बढ़ाने में व्यावहारिक और सैद्धांतिक सत्रों के मूल्य पर जोर दिया।
पाठ्यक्रम निदेशक एवं विभागाध्यक्ष, जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग डॉ. दंडपत ने एएमआर को संबोधित करने में प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों के उत्साह की सराहना की। उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया पर ध्यान दिया और नैदानिक कौशल को बढ़ाने में व्यावहारिक और सैद्धांतिक सत्रों के मूल्य पर जोर दिया।
पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. अभिषेक और डॉ. पी. थॉमस, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने प्रशिक्षण के बारे में बताते हुए कहा ही सात दिवसीय प्रशिक्षण में संस्थान के संकाय और बाहरी विशेषज्ञों द्वारा 15 थ्योरी व्याख्यान दिए गए और पारंपरिक और उन्नत एएमआर पहचान तकनीकों पर केंद्रित 12 प्रेक्टिकल सत्र शामिल थे। कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के 3 सहायक निदेशकों और 9 पशु चिकित्सा सहायक सर्जनों सहित कुल 12 पशु चिकित्सा पेशेवरों ने भाग लिया। व्यावहारिक सत्रों ने पारंपरिक और अत्याधुनिक तरीकों का उपयोग करके बैक्टीरिया और कवक सहित एएमआर रोगजनकों का पता लगाने का व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया।
इस अवसर पर डॉ. सोनू एस. नायर, डॉ. अथिरा वी, और श्री वीर सिंह सहित बी एंड एम प्रभाग और संयुक्त विस्तार शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने भाग लिया। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट