उत्तर प्रदेश

रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, सरकार की रैंकिंग सूची में भारत में चौथे स्थान पर

बरेली , 29 जुलाई । एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि के साथ, महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय, बरेली माननीय कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह के मार्गदर्शन में, पिछले 3 वर्षों में सबसे अधिक पेटेंट प्रकाशित करने वाले सरकारी विश्वविद्यालयों में से एक बन गया है, यह बात प्रोo अमित सिंह, मीडिया प्रभारी, रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय ने लखनऊ ट्रिब्यून से विशेष साक्षात्कार में कही। उन्होंने बताया कि जुलाई 2024 के नवीनतम इंडिया टुडे सर्वेक्षण के अनुसार विश्वविद्यालयों की रैंक को ध्यान में रखते हुए, एमजेपी रोहिलखंड विश्वविद्यालय, पिछले तीन वर्षों में विभिन्न विषयों में प्रकाशित 92 पेटेंट्स के साथ, सरकार की रैंकिंग की सूची में पूरे भारत में चौथी रैंकिंग पर है। यह विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक है। एमजेपी रोहिलखंड विश्वविद्यालय न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बल्कि अन्य विषयों में भी भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए मजबूती से काम कर रहा है। कई विकासशील क्षेत्रों में पेटेंट आवेदन जमा करके, रोहिलखंड विश्वविद्यालय नए उत्पाद, प्रक्रिया और प्रौद्योगिकी बनाने में योगदान देने की पूरी कोशिश कर रहा है, जिससे देश के व्यापक विकास को लाभ होगा।

प्रोo सिंह ने बताया कि प्रकाशित पेटेंट विविध क्षेत्रों से संबंधित हैं, जैसे, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कानून, साइबर कानून, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, व्यवसाय प्रबंधन, कृषि, आदि। कुछ का नाम लेने के लिए, “कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कानूनी निहितार्थों के बीच संबंध को समझने के लिए एक अध्ययन” , “ऑनलाइन स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में चुनौतियों से निपटने के लिए सर्वव्यापी कंप्यूटिंग का कार्यान्वयन,” कृषि में जल प्रबंधन की वर्तमान चुनौतियों का प्रभावी ढंग से विश्लेषण करने के लिए एक अध्ययन”, “व्यापार पर कर कानूनों के प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण,” आदि। ये कुछ विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पेटेंट्स हैं। विश्वविद्यालय के पेटेंट्स के कुछ प्रमुख आविष्कारक निम्न हैं – माननीय कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह, प्रो. एस.एस. बेदी, प्रो. आलोक श्रीवास्तव, प्रो. संजय गर्ग, प्रो. विनय ऋषिवाल, प्रो. भोला खान, डॉ. अमित सिंह, प्रो. एस.के. पांडे, प्रोफेसर अनिल सिंह, डॉ. ब्रजेश कुमार आदि। समकालीन प्रथाओं और रुझानों में आविष्कारों के लिए पेटेंट संरक्षण के मूल्य पर जोर दिया जाता है, जो विश्वविद्यालय की भागीदारी को बढ़ावा देता है, खासकर अनुसंधान शिक्षाविदों से। ऐसे विकास में विश्वविद्यालय की सक्रिय कार्यप्रणाली एवं भागीदारी सराहनीय है।

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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