स्विट्जरलैंड ने मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लिया, भारत में स्विश निवेश होगा प्रभावित
बर्न : स्विट्जरलैंड ने दोहरे कराधान बचाव के लिए भारत (India) के साथ हुए समझौते में सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (Most Favored Nation.- MFN) के प्रावधान को निलंबित कर दिया है। इस फैसले के बाद स्विट्जरलैंड (Switzerland) में काम करने वाली भारतीय कंपनियों (Indian companies) पर अधिक Tax लगने के साथ भारत में स्विस निवेश पर असर पड़ने की आशंका है।
स्विट्जरलैंड के वित्त विभाग ने 11 दिसंबर को अपने एक बयान में एमएफएन दर्जा वापस लेने की जानकारी देते हुए कहा कि यह कदम भारत के सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल आए एक फैसले के संदर्भ में उठाया गया है। स्विट्जरलैंड ने अपने इस निर्णय के लिए 2023 में नेस्ले से संबंधित एक मामले में आए उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला दिया। डिब्बाबंद खाद्य उत्पादों के कारोबार में लगी नेस्ले का मुख्यालय स्विट्जरलैंड के वेवे शहर में है।
स्विस सरकार के इस फैसले पर कर परामर्शदाता नांगिया एंडरसन में कर साझेदार संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि अब स्विट्जरलैंड में काम करने वाली भारतीय इकाइयों की टैक्स देनदारियां बढ़ सकती हैं। एकेएम ग्लोबल फर्म में कर साझेदार अमित माहेश्वरी ने कहा कि इससे भारत में स्विस निवेश प्रभावित हो सकता है, क्योंकि एक जनवरी, 2025 या उसके बाद अर्जित आय पर मूल दोहरे कराधान संधि (Double Taxation Treaty) में उल्लिखित दरों पर कर लगाया जा सकता है।
यह दर्जा एक प्रोटोकॉल है जो भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच दोहरा कराधान बचाव समझौते का हिस्सा है। स्विट्ज़रलैंड ने कहा कि इस समझौते के तरजीही राष्ट्र के प्रावधान को निलंबित कर दिया गया है। यह दर्जा वापस लेने का मतलब है कि स्विट्जरलैंड एक जनवरी, 2025 से भारतीय कंपनियों के उस देश में अर्जित डिविडेंड पर 10 फीसदी टैक्स लगाएगा।
यह फैसला पिछले साल भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद आया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि डीटीएए को तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि इसे आयकर अधिनियम के तहत अधिसूचित न किया जाए। इस फैसले का मतलब था कि नेस्ले जैसी स्विस कंपनियों को डिविडेंड पर अधिक टैक्स देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया था। उस आदेश ने यह सुनिश्चित किया था कि विदेशी संस्थाओं में या उनके लिए काम करने वाली कंपनियों और व्यक्तियों पर दोहरा कराधान (Double Taxation Treaty) न हो।
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि स्विट्जरलैंड के इस कदम से भारत में ‘निवेश प्रभावित’ हो सकता है। कारण है कि डिविडेंडड पर ज्यादा विदहोल्डिंग टैक्स लगेगा। यह इस साल मार्च में हस्ताक्षरित एक व्यापार समझौते के तहत चार देशों के यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ की ओर से 15 साल की अवधि में भारत में 100 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता के लिए जोखिम पैदा करता है। ईएफटीए आइसलैंड, लिकटेंस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड का एक अंतर सरकारी समूह है।
भारत ने शुक्रवार को कहा कि यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के सदस्य देशों के साथ व्यापार समझौते के मद्देनजर स्विट्जरलैंड के साथ उसकी दोहरी कराधान संधि पर फिर से बातचीत की जरूरत पड़ सकती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘मेरी समझ से स्विट्जरलैंड के साथ ईएफटीए के कारण हमारी दोहरी कराधान संधि पर फिर से बातचीत होने जा रही है। यह इसका एक पहलू है।’