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प्राइमरी टीचर्स के लिए 14 साल बाद आई ये गुड न्यूज, गांवों से शहरों में समायोजित होंगे

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के बेसिक शिक्षकों को शहरी क्षेत्रों में समायोजित किया जाएगा। सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की तैनाती से जुड़ा विवरण जल्द बेसिक शिक्षा निदेशालय भेजने के निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही समायोजन की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रदेश में 14 साल पहले 13 अप्रैल 2011 को शहरी क्षेत्रों में सहायक अध्यापकों के समायोजन के आदेश जारी किए गए थे, तब करीब 17 हजार शिक्षकों को शहरी क्षेत्र में समायोजित किया गया था। तब से 60 से 70 हजार शिक्षक शहरी क्षेत्र में समायोजन के लिए इंतजार कर रहे हैं।

बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल की ओर से दो प्रारूप में सूचनाएं मांगी गई हैं। पहले प्रारूप में नगर के विद्यालयों का ब्योरा, आठवीं तक को पढ़ाने वाले शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक, प्राथमिक-उच्च प्राथमिक के सहायक अध्यापक, प्रधानाचार्य की जरूरत है, बताना होगा।

आठ साल बाद शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता साफ
उधर, प्रमोशन में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का व्यापक असर उत्तर प्रदेश में भी पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद यूपी में 2017 के बाद से टीचर्स के प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त टीचर्स का पांच साल बाद प्राइमरी स्कूल में प्रधानाध्यापक या उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक पद पर प्रमोशन होना चाहिए।

लेकिन टीईटी की अनिवार्यता को लेकर विवाद के कारण उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद से प्रमोशन नहीं हुआ है। हजारों टीचर ऐसे हैं जिनका प्रमोशन नियुक्ति के डेढ़ दशक बाद भी नहीं हो सका है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रमोशन हो सकेगा।