आईवीआरआई द्वारा विकसित तीन टीके हुए रिलीज
बरेली, 17 जुलाई। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर द्वारा विकसित तीन अत्याधुनिक वैक्सीन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 97वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर कल नई दिल्ली में रिलीज की गयीं । यह अवसर विज्ञान, अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में संस्थान की उल्लेखनीय उपलब्धियों का प्रतीक बन गया।
इस गरिमामयी कार्यक्रम में माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव एवं भाकृअनुप के महानिदेशक डॉ. मांगी लाल जाट, श्री देवेश चतुर्वेदी, आईएएस, सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार डॉ संजय गर्ग तथा डॉ पुनीत अग्रवाल सहित उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ. राघवेन्द्र भट्टा, तथा आईवीआरआई के निदेशक एवं कुलपति डॉ. त्रिवेणी दत्त की उपस्थिति रही।
इस अवसर पर आईवीआरआई की तीन प्रमुख वैक्सीन तकनीकों को जारी किया गया, जिनमें वैज्ञानिक नवाचार और रोग उन्मूलन के लिए अद्वितीय विशेषताएं हैं।
1. नेगेटिव मार्कर ट्राइवेलेंट खुरपका-मुंहपका (FMD) टीका
एफएमडी एक अत्यधिक संक्रामक एवं आर्थिक दृष्टि से घातक रोग है, जिससे भारत को प्रतिवर्ष लगभग करोड़ों का नुकसान होता है। यह नई तकनीक रोग उन्मूलन अभियानों को अधिक सटीक एवं प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
इस टीके का विकास डॉ. सुरेश एच. बसगौडनवर एवं उनकी वैज्ञानिक टीम—डॉ. बी. पी. श्रीनिवास, डॉ. एच. जे. देचम्मा, डॉ. मधुसूदन होसामणि, डॉ. बी.एच.एम. पटेल, डॉ. अनिकेत सान्याल, डॉ. वी. भानुप्रकाश, डॉ. पल्लब चौधरी एवं डॉ. त्रिवेणी दत्त ने किया है।
आईवीआरआई द्वारा विकसित यह नवाचारात्मक टीका ऐसा पहला वैकल्पिक टीका है जो संक्रमित एवं टीकाकृत पशुओं में अंतर करने की क्षमता (दीवा) रखता है। यह टीका भारतीय एफएमडी वायरस उपभेदों (O, A, Asia-1) को सम्मिलित करते हुए एक विशिष्ट गैर-संरचनात्मक प्रोटीन (NSP) विलोपन तकनीक पर आधारित है।
2. आईवीआरआई-एम पुनः संयोजित पी.पी.आर. चिन्हक टीका
पी.पी.आर. छोटे जुगाली करने वाले पशुओं का एक विनाशकारी विषाणुजनित रोग है, जिसे 2030 तक वैश्विक स्तर पर समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित है। इस दिशा में आईवीआरआई ने एक पुनः संयोजित चिन्हक टीका विकसित की है, जो टीकाकृत और संक्रमित पशुओं में उत्पन्न एंटीबॉडीज में स्पष्ट अंतर कर सकती है। यह तकनीक रोग-मुक्त क्षेत्र घोषित करने की प्रक्रिया को वैज्ञानिक दृष्टि से अधिक प्रामाणिक बनाएगी और पी.पी.आर. उन्मूलन के वैश्विक प्रयासों को बल प्रदान करेगी।
इस टीके को डॉ. एस. चंद्रशेखर के नेतृत्व में आईवीआरआई मुक्तेश्वर परिसर की विषाणु विज्ञान टीम—डॉ. मागेस्वरी आर., डॉ. डी. मुथुचेलवन, सुश्री प्रेमा भट्ट, डॉ. एम.ए. रामाकृष्णन, डॉ. एस.के. बंद्योपाध्याय, डॉ. वी.पी. श्रीनिवास, डॉ. आर.पी. सिंह, डॉ. पी. धर एवं डॉ. त्रिवेणी दत्त ने विकसित किया है।
3. सजीव तनूकृत कैनाइन पार्वोवायरस सेल कल्चर टीका
Strain: बरेली_IVRI/CPVnew2a/914
यह टीका विशेष रूप से कुत्तों में होने वाले पार्वोवायरस संक्रमण की रोकथाम हेतु विकसित किया गया है, जो गंभीर दस्त, उल्टी और निर्जलीकरण का कारण बनता है। यह एक सजीव दुर्बलित वैक्सीन है जिसे भारतीय कैनाइन वायरस स्ट्रेन से सेल कल्चर तकनीक के माध्यम से विकसित किया गया है।
इस तकनीक का विकास डॉ. विशाल चंदर, डॉ. गौरव कुमार शर्मा, डॉ. सुकदेब नंदी, डॉ. मिथिलेश सिंह, डॉ. एस. डंडपत, डॉ. विवेक कुमार गुप्ता एवं डॉ. राज कुमार सिंह ने किया है।
यह वैक्सीन आयातित टीकों पर निर्भरता को समाप्त कर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ठोस कदम है। यह किफायती, सुरक्षित, प्रभावी और निर्यात योग्य वैक्सीन है, जिसे भारतीय फार्माकोपिया के मानकों के अनुरूप प्रमाणित किया गया है।
इसके अतिरिक्त सुकर की शंकर लैंडली वेराइटी, इंडिमस – चूहों की अंतःप्रजनित प्रजाति तथा जीवित क्षीणित पीपीआर गोटपॉक्स संयुक्त टीका का भारतीय क़ृषि अनुसन्धान द्वारा प्रमाणिकरन किया गया।
आईवीआरआई की तकनीकों का प्रदर्शनी में प्रदर्शन
समारोह के दौरान आयोजित तकनीकी प्रदर्शनी में आईवीआरआई की संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) डॉ. रूपसी तिवारी के नेतृत्व में, डॉ. एम. के. सिंह तथा अन्य वैज्ञानिकों द्वारा संस्थान की वैक्सीन और निदान तकनीकों का प्रभावशाली प्रदर्शन किया गया। इसमें भाकृअनुप के अंतर्गत पशु विज्ञान से संबंधित सभी संस्थानों की वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रमुखता से दर्शाया गया। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
