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साइकिल पर रॉकेट से चंद्रयान तक का सफर, स्कूली किताबों में अब गूंजेगी ISRO की गौरव गाथा

 


नई दिल्ली: देश के स्कूली बच्चे अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी अपनी किताबों में पढ़ेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने इसरो की गौरव गाथा पर एक विशेष मॉड्यूल जारी किया है, जिसमें 1960 के दशक में साइकिल और बैलगाड़ी पर रॉकेट के पुर्जे ले जाने से लेकर चंद्रयान, मंगलयान और गगनयान जैसी ऐतिहासिक उपलब्धियों को शामिल किया गया है।

‘भारत: एक उभरती अंतरिक्ष शक्ति’ शीर्षक वाले इस मॉड्यूल को दो स्तरों – मध्य और माध्यमिक – के छात्रों के लिए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को भारत की अंतरिक्ष यात्रा से परिचित कराना और देश को वैश्विक अंतरिक्ष शक्तियों में स्थापित करने वाले वैज्ञानिकों के योगदान को रेखांकित करना है।

साइकिल और बैलगाड़ी से शुरू हुआ था सफर

मॉड्यूल में इस रोचक तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि भारत का पहला रॉकेट इतना छोटा और हल्का था कि उसके पुर्जों को लॉन्चिंग पैड तक ले जाने के लिए साइकिल और बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया गया था। वैज्ञानिकों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि कार या ट्रक जैसे मोटर चालित वाहनों से उत्पन्न होने वाले विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र रॉकेट के नाजुक उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकते थे। इस सरल परिवहन के उपयोग ने उपकरणों को सुरक्षित रखा।

प्रमुख मिशन और अंतरिक्ष यात्री भी शामिल

छात्रों को भारत की अंतरिक्ष यात्रा की सफलताओं से परिचित कराने के लिए, इस मॉड्यूल में इसरो के प्रमुख मिशनों को विशेष रूप से शामिल किया गया है। इसकी शुरुआत 2008 के चंद्रयान-1 मिशन से होती है, जिसने पहली बार चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाकर दुनिया को हैरान कर दिया था। इसके बाद मंगलयान (2013) की ऐतिहासिक सफलता का जिक्र है, जिसने भारत को पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचने वाला एकमात्र देश होने का गौरव दिलाया। साथ ही, सूर्य के रहस्यों का अध्ययन करने वाली भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला, आदित्य-एल1 (2023), को भी इस सूची में जगह दी गई है।

इसके अलावा, मॉड्यूल में भारत के अंतरिक्ष यात्रियों को भी जगह दी गई है, जिसमें 1984 में अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा और जून 2025 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहने वाले पहले भारतीय बने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का भी उल्लेख है। मॉड्यूल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक उद्धरण भी शामिल है, जिसमें उन्होंने अंतरिक्ष कार्यक्रम को भारत के दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बताया है।

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