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एसआरएमएस मेडिकल कालेज में दो दिवसीय एआईओएस ग्लूकोमा प्रयोगशाला व वीडियो फिल्म फेस्टिवल सम्पन्न

बरेली,23फरवरी। ईश्वर ने हमें आंख, कान, नाक, जीभ, और त्वचा जैसी पांच ज्ञानेंद्रियां दी हैं। इसमें से किसी की भी कमी हमारी स्वस्थ जिंदगी को प्रभावित कर सकती है। लेकिन अगर किसी एक की बात करें तो दृष्टि का महत्व सबसे ज्यादा है। इसके बिना जिंदगी बेरौनक हो जाती है, अंधेरी हो जाती है। दो मिनट आंखें बंद कर इसे महसूस किया जा सकता है। स्पष्ट है कि हमारे लिए प्रकाश का महत्व सबसे ज्यादा है। चाहें वह आंखों में दृष्टि के रूप में हो या ज्ञान के रूप में दिमाग में। यह बात एसआरएमएस के ऑप्थेल्मोलॉजी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर (डा.) नीलिमा मेहरोत्रा ने एआईओएस ग्लूकोमा प्रयोगशाला व वीडियो फिल्म फेस्टिवल में कही। उन्होंने कहा कि जिंदगी को रोशन रखने के लिए आंखों को ग्लूकोमा जैसी तेजी से बढ़ती बीमारियों से बचाना जरूरी है।

एसआरएमएस मेडिकल कालेज में रविवार को दो दिवसीय एआईओएस ग्लूकोमा प्रयोगशाला व वीडियो फिल्म फेस्टिवल का समापन हुआ। बरेली ऑप्थेल्मोलॉजी सोसायटी (बीओएस) के सहयोग से एसआरएमएस के ऑप्थेल्मोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में देश के नामचीन नेत्र विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। नेत्र विशेषज्ञों ने साइंटिफिक सेशन, वीडियो लैक्चर के जरिये ग्लूकोमा के संबंध में अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। अन्य विशेषज्ञों ने डायबिटीज और अन्य बीमारियों का ग्लूकोमा मरीजों पर पड़ने वाले असर पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में लाइव ट्रैबेक्यूलेटोमी सर्जरी से भी डेलीगेट्स और विद्यार्थियों को जानकारी दी गई। कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह रविवार को सरस्वती वंदना और संस्थान गीत के साथ हुआ। कालेज के प्रिसिंपल एयरमार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला, विशिष्ट अतिथि इंदिरा गांधी आई हास्पिटल गुरुग्राम के इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लूकोमा के डायरेक्टर डा. देवेंद्र सूद, बरेली ऑप्थेल्मोलॉजी सोसायटी (बीओएस) के प्रेसीडेंट डा. चंद्रशेखर यादव और डा. कुंवर गौरव सिंह और आर्गनाइजिंग चेयरपर्सन प्रोफेसर (डा.) नीलिमा मेहरोत्रा ने दीप प्रज्वलन किया। प्रोफेसर (डा.) नीलिमा ने सभी अतिथियों और डेलीगेट्स का स्वागत किया और दीप प्रज्वलन से ज्ञान के प्रकाश की बात कही। उन्होंने कहा कि इस रोशनी के साथ ही आंखों की रोशनी भी जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में आंखों की दृष्टि की रक्षा करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण। यह बात हम सब जानते हैं लेकिन इसके बाद भी आंखों संबंधी परेशानियां तेजी से बढ़ रही हैँ। ग्लूकोमा इनमें एक है। कोई लक्षण परिलक्षित न होने के कारण पीड़ित को इसकी जानकारी भी काफी देर में लगती है। जबकि मोतियाबिंद के लक्षण पहले दिखने लगते हैं। ऐसे में ग्लूकोमा से बचाव के लिए इसकी नियमित जांच आवश्यक है। बरेली ऑप्थेल्मोलॉजी सोसायटी (बीओएस) के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय एआईओएस ग्लूकोमा प्रयोगशाला व वीडियो फिल्म फेस्टिवल में इसी पर एक दूसरे से सीखने को मिला। यहां मिली जानकारी हमारे साथ मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगी। कालेज के प्रिंसिपल डा.एमएस बुटोला ने कालेज की उपलब्धियों की जानकारी दी और सीएमई को ग्लूकोमा से बचाव के लिए महत्वपूर्ण बताया। सीएमई के विशिष्ट अतिथि इंदिरा गांधी आई हास्पिटल गुरुग्राम के इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लूकोमा के डायरेक्टर डा. देवेंद्र सूद कहा कि आज एआई का बोलबाला है। यह अच्छा है लेकिन यह चिकित्सकों की क्षमता को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में इसका प्रयोग सोच समझ कर और लॉजिक के साथ करना चाहिए। इसके दिए जवाबों पर भी लाजिक लगाएं और तभी विश्वास करें। उन्होंने कहा कि अगर एआई से पूछा जाए कि गर्भवती महिला प्रतिदिन कितनी सिगरेट पी सकती है। तो एआई का जवाब होगा कि 4-5 पीना ठीक है। लेकिन क्या यह सही है। कोई भी चिकित्सक या आम व्यक्ति भी इस जवाब से संतुष्ट नहीं होगा। ऐसे में इसका प्रयोग सावधानी से करें। डा.सूद ने सीएमई में ग्लूकोमा से संबंधित विभिन्न विषयों पर दिए गए व्याख्यानों से काफी जानकारी मिलने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए फायदेमंद रहा है। अंत में डा. कुंवर गौरव सिंह ने सभी विशेषज्ञों और डेलीगेट्स का आभार जताया। प्रिसिंपल एयरमार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालनडा.नीलिमा सिंगला और डा.अनुज्ञा सिंह ने किया। इससे पहले शनिवार को वीडियो फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन एसआरएमएस मेडिकल कालेज के डायरेक्टर आदित्य मूर्ति ने किया। इस मौके पर सीएल गुप्ता आई हास्पिटल मुरादाबाद के ग्लूकोमा विशेषज्ञ डा. मुकेश कुमार, इंस्टीट्यूट आफ यूनिवर्सल साइंसेज सैंफई की डा. रीना शर्मा, आरएमएल लखनऊ की डा.प्रीति गुप्ता, विवेकानंद पॉलीक्लीनिक लखनऊ की डा.जिमी मित्तल, कौशल्या आई इंस्टीट्यूट पीलीभीत के डायरेक्टर डा.विपिन साहनी, आगरा की डा.सुनीता पंचवानी, डा.अमित तरफदार, डा.कामाक्षी खाबोडे, डा.स्मिता यादव, डा.सुरेश गंगवार, डा.शरत जौहरी, डा.रोहित शर्मा, डा.बिंदू गर्ग, डा.आशीष मेहरोत्रा, डा.पीके परडल, डा.तनु अग्रवाल, डा.शशांक शाह, डा.दिव्या अग्रवाल, डा.अमित राठौर, इमरान अंसारी सहित बरेली के कई नेत्र विशेषज्ञ मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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