एसआरएमएस रिद्धिमा में चल रहे तीसरे थिएटर फेस्टिवल “इंद्रधनुष”के अन्तिम दिन”अनकही अनजली” नाटक का मंचन

बरेली ,01नवंबर। श्रीराम मूर्ति स्मारक रिद्धिमा में चल रहे तीसरे थिएटर फेस्टिवल “इंद्रधनुष” के अंतिम दिन कल “अनकही अन-जली” नाटक का मंचन हुआ। मुंबई के इंदिरा नाग प्रोडक्शन पंख थिएटर ग्रुप के इस नाटक का निर्देशन मुकुल नाग ने किया। मुकुल नाग और आकाश ने ही इसका स्क्रिप्ट लिखी। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी उषा गुप्ता मौजूद रहीं। श्रीराम मूर्ति स्मारक ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी, सुभाष मेहरा, डा.अनुज कुमार और डा.रीता शर्मा के साथ उन्होंने दीप प्रज्वलन कर नाटक “अनकही अन-जली” के मंचन का शुभारंभ किया।
नाटक शहर के प्रसिद्ध कार्डियालाजिस्ट डा.सुनील कुमार चौहान की जिंदगी का है। जो बेहद शक्की है और हर रिश्ते को शक की निगाह से देखता है। उसने चार साल के अफेयर के बाद अपनी साथी गायनेकोलाजिस्ट डा.अंजली से शादी की। शादी की दूसरी वर्षगांठ के लिए पार्टी में जाते वक्त सड़क हादसे में डा.चौहान गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। वह खुद अपनी कार चला रहे होते हैं और उनके साथ डा.अंजली आगे बैठी होती हैं। पीछे की सीट पर उनके बचपन के दोस्त और साथी डा.अय्यर, डा.बोलार और डा.सेंगर बैठे सभी लोगों को खरोंच तक नहीं आती। डा.चौहान हादसे का जिम्मेदार अंजली को मानते हैं। वह मानते हैं कि दोस्तों ने उनकी तरक्की को देखते हुए हादसे की साजिश रची। अंजली ने इसे अंजाम दिया। क्योंकि अंजली के डा.अय्यर से अवैध संबंध हैं। हादसे के बाद तीनों डाक्टर उनकी जान बचाने के लिए कई आपरेशन करते हैं, लेकिन कोई सफल नहीं होता। डा.चौहान को छह महीने बेहोशी की अवस्था में अस्पताल में ही रहना पड़ता है। हादसे के छह साल बाद वह अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते और उन्हें व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ता है। इसी बीच बीवी अंजली उन्हें मां बनने की खबर सुनाती है। डा.चौहान बच्चे का पिता डा.अय्यर को मानते हैं और इसी शक में अंजली का गला घोंट देते हैं। अंजली पर शक करने की दूसरी वजह भी है। वह है खुद डा.चौहान की जेनेटिक रिपोर्ट। जो कभी भी उन्हें बाप न बनने की जानकारी देती है। यह रिपोर्ट डा.बोलार की पत्नी मिसेज बोलार ने दी थी। हत्या के बाद डा.चौहान अंजली के लापता होने की सूचना पुलिस को देते हैं और उसे ढूंढने की मदद मांगते हैं। डा.चौहान अंजली को प्यार करने की वजह से उसे याद करते रहते हैं। इसी बीच मिसेज बोलार उन्हें जेनेटिक रिपोर्ट के गलत होने की जानकारी देती हैं। इस पर डा.चौहान गला घोंट कर मिसेज बोलार की भी हत्या कर देते हैं और आईजी को फोन कर अंजली की हत्या का जुर्म कबूलते हैं और गिरफ्तार करने की गुजारिश करते हैं। तभी उनका मैनेजर अफजल पागलखाने में फोन कर टीम को बुला लेता है और डा.चौहान को पागलखाने में भर्ती करवा देते हैं। अफजल को डा.चौहान की सारी संपत्ति मिल जाती है। बार- बार फ्लैशबैक में चलते नाटक में डा.चौहान की मुख्य भूमिका सुनील चौहान ने निभाई। जबकि अंजली के रूप में गीतिका श्याम, अफजाल के रूप में निमेश बोघानी, मिसेज बोलार के रूप में वंदना बोलार और टेलीफोन मैकेनिक के रूप में स्वरूप श्याम ने बेहतरीन अभिनय किया। इस मौके पर श्रीराम मूर्ति स्मारक ट्रस्टी आशा मूर्ति जी, नीता कुदेशिया, डा. रजनी अग्रवाल, डा.अनुराग भटनागर, डा.एलएस मौर्या, डा.नसीम अख्तर, डा.आरती गुप्ता, सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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