उत्तर प्रदेश

रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में नेशनल लेवल फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का द्वितीय दिवस

बरेली , 29 नवम्बर। रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में ,”राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में शिक्षक शिक्षा” विषय पर आयोजित नेशनल लेवल फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के आयोजन का कल द्वितीय दिवस था ,जिसके कन्वीनर विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर रश्मि अग्रवाल, को- कन्वीनर प्रोफेसर यशपाल सिंह, ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉक्टर गौरव राव व डॉ प्रतिभा सागर हैं। यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में संचालित किया जा रहा है जिसमें ऑर्गेनाइजिंग टीम व विभाग के आचार्य गण एवं शोधार्थी विभाग के समिति कक्ष में उपस्थित रहे तथा देश के विभिन्न भागों से 200 प्रतिभागी ऑनलाइन जुड़े।
कल के प्रथम सत्र के विशेषज्ञ वक्ता प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्रा, निदेशक, सेंटर फॉर प्लैनिंग एंड रिसर्च इन हायर एजुकेशन, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशनल प्लैनिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (NIEPA), नई दिल्ली ने शिक्षक शिक्षकों के “सतत व्यावसायिक विकास (सी.पी.डी.)” के विषय में अपने विचार व्यक्त किये। अपने उद्बोधन की शुरुआत उन्होंने “आत्म विकास” के सम्प्रत्यय से की, आगे अपने व्याख्यान में उन्होंने सीपीडी की अनिवार्यता, अर्थ और परिभाषा पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने उन आवश्यकताओं और तरीकों पर भी प्रकाश डाला जिनसे समाज को लाभ हो सकता है। सी.पी.डी. के माध्यम से क्षमता निर्माण और निरंतर व्यावसायिक विकास के लिए पढ़ने, लिखने, समीक्षा करने, चर्चा करने, समुदायों में शामिल होने आदि जैसी अतिरिक्त रणनीतियों पर चर्चा की गई। अपनी प्रस्तुति के अंत में उन्होंने सीपीडी में बाधाओं तथा सीपीडी को पुनः परिभाषित करके प्रतिभागियों के साथ विचार-मंथन किया।
दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर यशपाल सिंह, बी.एड./एम.एड. (आईएएसई), शिक्षा एवं संबद्ध विज्ञान संकाय, एम.जे.पी.आर.यू., बरेली जो कि समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में भारत के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक हैं, ने “समान एवं समावेशी शिक्षा – राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में” प्रकरण पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने समानता और समता की अवधारणा को परिभाषित करते हुए अपनी प्रस्तुति का आरंभ किया, इसके साथ ही वह प्रतिभागियों को राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर एकीकरण से समावेशन की यात्रा पर ले गए। अपने उद्बोधन में प्रो. यशपाल ने विकलांगों की शिक्षा प्रणाली के मॉडल, समावेशी और न्यायसंगत शिक्षा पर एनईपी का फोकस, एजेंडा 2030, एसडीजी4, एसएसए, आरटीई2009, आरपीडब्ल्यूडी ऐक्ट के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं। अपनी चर्चा के अंत में उन्होंने समावेशी और विशेष शिक्षा के संदर्भ में एनईपी के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए इसके कार्यान्वयन में आने वाली समस्याओं के साथ-साथ कमियों पर भी ध्यान केंद्रित किया व उनके निदान के बारे में अपने सुझाव भी प्रस्तुत किये।
दूसरे दिन के कार्यक्रम के प्रथम सत्र की मध्यस्थता डॉ प्रवीण तिवारी तथा दूसरे सत्र की मध्यस्थता डॉ. गौरव राव द्वारा की गई। प्रोफेसर अंजू अग्रवाल द्वारा कार्यक्रम का समन्वयन किया गया। इस कार्यक्रम की कन्वीनर व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रश्मि अग्रवाल ने समापन व्यक्तव्य तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए इस कार्यक्रम का समापन किया गया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक डॉ तरुण राष्ट्रीय, डॉ. प्रतिभा सागर, श्री रश्मि रंजन, तथा शोधार्थी स्वाति पाण्डेय, उपवन कुमार, शालिनी सक्सेना, आकाश कुमार, शिवी अग्रवाल, इंदु कुमारी, जगदीश कुमार, सत्य प्रकाश आजाद, एवं राजेश कुमार, सभागार में उपस्थित रहे।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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