जोड़ा टूटने पर अब जान नहीं देते सारस, बल्कि खोज लेते हैं दूसरा साथी, बदलाव पर वैज्ञानिक भी हैरान
इंसान अपने जीवनसाथी के लिए वफादारी और प्यार की कसमें खाते हैं. अक्सर इससे अलग सोच रखने वालों की तुलना जानवरों से होती है. ये सच है कि पशु-पक्षियों में मोनोगेमी या एकनिष्ठता कम होती है. अगर केवल स्तनधारियों की बात करें तो करीब 5 हजार प्रजातियों में से मुश्किल से 5 प्रतिशत लोग जीवन में एक ही साथी चुनते और उसके साथ रहते हैं. पक्षियों में ज्यादा प्रेम और वफादारी मिलती है. साइंस के मुताबिक लगभग 90 % पक्षी कपल में रहते हैं और जीवनभर इसी तरह रहते हैं. हालांकि अब उनके भी व्यवहार में बदलाव दिख रहा है.
सारस के बारे में एक नई बात निकलकर आई है. ये पक्षी मोनोगेमी को मानता तो है, लेकिन तभी तक, जब तक उसके साथी की मौत न हो जाए. पार्टनर के जाने के बाद वो विछोह में मर नहीं जाता, बल्कि दूसरा साथी खोज लेता है. साथ ही अगर ब्रीडिंग सीजन के दौरान एक संबंध बनाने में अक्षम हो, तो भी अलगाव आ सकता है. इससे भी ज्यादा चौंकानेवाली एक और बात निकलकर आई.
इकोलॉजिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका नामक जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, सारस अब दो नहीं, बल्कि तीन के जोड़ों में भी रहने लगे हैं. सारस क्रेन ट्रायोस एंड देअर ट्रिएट्स- डिस्कवरी नाम से छपे शोध में अनुमान है कि क्लाइमेट चेंज भी उनके व्यवहार में इस बदलाव की वजह हो सकती है. क्लाइमेट चेंज के चलते शायद उनमें भी जन्मदर कम हो रही हो, तो अपनी स्पीशीज को चलाए रखने के लिए उनके भीतर ये बदलाव आने लगा हो. हालांकि ये एक अनुमान ही है.
माइथोलॉजी में भी क्रौंच पक्षी यानी एक सारस जोड़े के आपसी प्यार का जिक्र है. प्रणयरत सारस में एक की शिकारी के तीर से मौत हो जाती है. अपने साथी को मरा देखकर वियोग में दूसरा क्रौंच पक्षी भी खत्म हो जाता है. तब ऋषि वाल्मीकि शिकारी को शाप देते हैं कि तूने एक प्रणय में लीन सारस के जोड़े को बिना किसी गलती के मार दिया, अब तुझे कभी शांति नहीं मिल सकेगी.
राजहंस के बारे में भी माना जाता है कि कपल जीवनभर साथ निभाते हैं और एक की मौत होने पर दूसरा भी जल्द ही खत्म हो जाता है. अगर दोनों में से एक घायल हो जाए, या किसी वजह से कमजोर हो जाए तो भी दूसरा उसे छोड़कर नहीं जाता. हंसों के मामले में ये अनोखा इसलिए भी है कि ये पक्षी काफी हद तक माइग्रेशन करने वाली प्रवृत्ति रखता है. सर्दियों में वे हल्की गर्म जगह पर रहते हैं, जबकि गर्मी में सर्दियों वाली जगह चले जाते हैं. ऐसे में माइग्रेशन के दौरान एक किसी वजह से आगे नहीं बढ़ सके तो दूसरा भी उसके साथ रुक जाता है, चाहे इसमें उसकी मौत क्यों न हो जाए.
चीन से कुछ साल पहले एक तस्वीर आई थी, जिसमें एक हंस मोटरबाइक से बंधा हुआ है, और दूसरा उसकी चोंच से चोंच जोड़कर बैठे हुए है. बाद में कहानी पता लगी कि एग्जॉटिक चीजें खाने का कोई शौकीन हंस में से एक को ले जा रहा था और दूसरा उसके पीछे-पीछे जाता रहा. स्टोरी वायरल होने के बाद चीन के सोशल मीडिया पर भी कपल लव की खूब बातें हुईं लेकिन हंसों का क्या हुआ, ये पता नहीं लग सका.
बेहद खूंखार भेड़िए भी अपने पार्टनर के लिए ईमानदार होते हैं. वे लगभग हर साल बच्चों को जन्म देते हैं. मादा उनकी देखभाल करती है और नर खाने की खोज में जाता है. बच्चों की सुरक्षा दोनों मिलकर करते हैं. भेड़िये अक्सर झुंड में दिखते हैं तो इसकी वजह यही है कि अक्सर एक झुंड एक पूरा परिवार होता है. बच्चे भी जैसे-जैसे बड़े होते हैं, परिवार की सुरक्षा का जिम्मा ले लेते हैं, हालांकि मेटिंग की उम्र में पहुंचकर वे अपने लिए साथी खोजते और अलग हो जाते हैं.
पशु-पक्षियों में एक ही साथी के साथ बने रहना कई वजहों से अनकॉमन है. इसकी एक वजह ये है कि उनके पास ताकत का एक ही सोर्स होता है, वो ये कि वे कितने बच्चों को जन्म दे सकते हैं. इससे उनका सर्वाइवल पक्का होता है. बहुत से एनिमल्स दिखते तो एक ही साथी के साथ हैं, लेकिन अपनी प्रजाति को फैलाने के लिए वे यौन संबंध कई के साथ रखते हैं. इसे सोशल मोनोगेमी कहते हैं. साइंस की भाषा में ये एक्स्ट्रा-पेयर कॉप्युलेशन कहलाता है.
साइंटिस्ट अब भी ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्यों इंसानों समेत कुछ पशु-पक्षी एक साथी के साथ रहना पसंद करते हैं. क्या ये उनकी प्राथमिकता है, या फिर मजबूरी! कई एक्सपर्ट मानते हैं कि चूंकि इंसानी बच्चे बहुत सालों में बड़े और आत्मनिर्भर हो पाते हैं, ऐसे में संतान को पालने के लिए साथ रहना एक बड़ा कारण है.
(लखनऊ ट्रिब्यून इस खबर की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है)