भारत में अब बनेगा ये खतरनाक हथियार!, दुश्मन के छुड़ा देता है छक्के, यहां देखे…
नई दिल्ली. डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी साब का कहना है कि वह पहली बार स्वीडन से बाहर कोई मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने जा रही है. गोर्गेन जोहानसन ने कहा है कि इस तरह का प्रोडक्शन हमने किसी दूसरे देश में नहीं किया है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि साब की यूनिट न सिर्फ प्रोडक्शन करेगी, बल्कि इसके इस्तेमाल के लिए एक बेहतर सिस्टम डेवलेप करेगी.
गोर्गेन जोहानसन ने बताया कि अभी सरकार से अनुमति मिलनी बाकी है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही अनुमति मिल जाएगी और कंपनी यूनिट लगाने के काम शुरू कर देगी. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि यूनिट कहां और कैसे लगेगी. उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी भी जल्द दी जाएगी.
कार्ल-गुस्ताफ एम-4 की यूनिट लगने के बाद कंपनी भारत को सबसे इसकी आपूर्ति करेगी. गोर्गेन जोहानसन ने कहा कि भारत ने साब से पहले ही एम-4 वेरिएंट मंगा रखे हैं और भारत में इसकी मैन्यूफैक्चरिंग शुरू होने से इसका फायदा होगा. हथियार बनते ही सबसे पहले भारतीय सेना की मांगों को पूरा किया जाएगा.
कार्ल-गुस्ताफ एम-4 एक रिकोलेस राइफल है, जो मैन-पोर्टेबल लॉन्चर की तरह होते हैं. कार्ल-गुस्ताफ एम-4 अत्याधुनिक तो है ही और युद्ध के समय सैनिकों के लिए इसे चलाना भी आसान है. यह 1500 मीटर दूरी पर दुश्मन को निशाना बनाने में सक्षम है. कार्ल-गुस्ताफ एम-4 सटीक निशाना साधने में सक्षम है और भारत के पास यह आने से भारतीय सैनिक रणनीतिक तौर पर मजबूत हो जाएंगे.
कार्ल गुस्ताफ रिकोलेस राइफल के चार वेरिएंट M1, M2, M3 और M4 हैं, जिन्हें कंधे पर रख कर दागा जा सकता है. साब साल 1946 में एम-1, साल 1964 में एम-2, साल 1986 में एम-3 और साल 2014 में कार्ल गुस्ताफ एम4 को बनाया गया था. भारत के पास तीन वेरिएंट पहले से ही मौजूद है, जिनका इस्तेमाल भारतीय सेना कर रही है.
कार्ल गुस्ताफ एम4 फिंगरप्रिंट टेक्नोलॉजी से लैस है और इसमें एडवांस फायर कंट्रोल सिस्टम है, जिससे इस्तेमाल में सेफ्टी बनी रहेगी. कार्ल गुस्ताफ एम4 दुनिया के अत्याधुनिक रॉकेट लॉन्चरों में से एक है और एक मिनट में छह राउंड दाग सकता है. यह 37 इंच लंबा है और इसका वजन 6.6 किलोग्राम है. अगर रॉकेट बूस्टेड लेजर गाइडेड हथियार दागते हैं तो 2000 मीटर तक गोला जाता है.