रोटी-रोटी को मोहताज हुआ ये देश, आसमान छूती कीमतों ने तोड़ी कमर, जानें क्यों हो गया ‘कंगाली में आटा गीला?’
इस्लामाबाद। पाकिस्तान इन दिनों गेंहू के आटे की आसमान छूती कीमतों को लेकर बेहद परेशान है. आटे की बढ़ती कीमतों के साथ पाकिस्तान में गेंहू का संकट गहराया हुआ है. इस संकट के चलते सरकारी सब्सिडी वाले आटे को लेकर मारकाट जैसी स्थिति भी देखने को मिली है. पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मीरपुर खास में सरकारी राशन की दुकान पर इसके वितरण के दौरान लगी लंबी कतार में भगदड़ मचने की वजह से गत 7 जनवरी को एक 35 वर्षीय व्यक्ति की मौत भी हो गई थी. अब इसकी ऊंची कीमतों को लेकर केंद्र और प्रांतीय सरकारों के बीच वॉक युद्ध शुरू हो गया है. इन कीमतों की बेतहाशा बढ़ोतरी पर दोनों एक दूसरे पर ‘ब्लेम गेम’ की राजनीति कर दोषारोपण भी कर रहे हैं.
लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि आटे की कीमतों में बड़ा उछाल आने की बड़ी वजह लंबे समय से चले आ रहे रूस-यूक्रेन वॉर, 2022 की विनाशकारी बाढ़, पाकिस्तान का खराब वितरण सिस्टम और अफगानिस्तान को गेंहू की तस्करी आदि जैसी कमियां हैं.
द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच देखा जाए तो पिछले कई हफ्तों से पाकिस्तान में गेहूं के आटे की कीमत बेहद ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. पाकिस्तान में रोटी और नान प्रमुख खाद्य पदार्थों में से हैं और आटे की कीमतों में भारी बढ़ोतरी ने लोगों को मुश्किल में डाल दिया है. सरकारी सब्सिडी वाले आटे को इकट्ठा करने के लिए लंबी कतारें देखी जा सकती हैं.
इसकी वजह से भगदड़ की खबरें भी आ चुकी हैं. लेकिन केंद्र और प्रांतीय सरकारें एक दूसरे पर दोष मढ़कर इतिश्री कर रही हैं. लेकिन इन सब के बीच पाकिस्तान के लिए एक अच्छी खबर यह है कि रूस से गेहूं की एक बड़ी खेप पहुंच गई है और आने वाले हफ्तों में कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई गई है.
पाकिस्तान के पंजाब और सिंध गेंहू उत्पाद करने वाले दो बड़े प्रांत हैं. यहां पर भी आटे की कीमतें 145 से 160 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गई हैं. पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में कीमतें अधिक हैं. गल्फ न्यूज के एक लेख के मुताबिक, पाकिस्तान में 5 किलो और 10 किलो आटे के बैग की कीमतें पिछले साल की तुलना में डबल हो गई हैं. इसी लेख में यह भी कहा गया है कि इस्लामाबाद और रावलपिंडी में एक नान और रोटी की कीमत क्रमश: 30 रुपये और 25 रुपये (पीकेआर) पहुंच गई है. पाकिस्तान के एक रुपये की कीमत भारतीय करेंसी में 35 पैसे है.
ऑब्जर्वेटरी ऑफ इकोनॉमिक कॉम्प्लेक्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान को रूस और यूक्रेन से गेहूं का बड़ा हिस्सा सप्लाई होता है. यानी अपनी खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए इन देशों से गेंहू आयात करता है. साल 2020 में, पाकिस्तान ने 1.01 बिलियन डॉलर मूल्य का गेहूं आयात किया था. इसमें सबसे अधिक यूक्रेन (496 मिलियन डॉलर मूल्य) और रूस से ($ 394 मिलियन) आयात किया था. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यह सप्लाई बाधित रही है. इसके अलावा पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ ने पाकिस्तान के लिए ‘कंगाली में आटे में गीला’ की कहावत को चरितार्थ कर दिया. उसकी अपनी पैदावार नीचे आ गई. अब पाकिस्तान में सप्लाई के मुकाबले डिमांड ज्यादा की समस्या पैदा हो गई है.
करंदाज़ पाकिस्तान से जुड़े एक अर्थव्यवस्था विशेषज्ञ अम्मार खान का कहना है कि सिंध और बलूचिस्तान में गेहूं की कीमतों में बड़े पैमाने पर आए उछाल की बड़ी बाढ़ में गेंहू के स्टॉक के खत्म हो जाना रहा है. इतना ही नहीं अफगानिस्तान को होने वाली गेहूं की तस्करी भी एक बड़ा कारक माना जा रहा है जिसकी वजह से स्थानीय स्तर पर इसकी कमी आ जाती है और कीमतें बढ़ जाती हैं. हालांकि, सरकारी गोदामों में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है. लेकिन इसके वितरण में देरी के कारण यह सब स्थिति पैदा हो रही है.
पंजाब के दो प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य पंजाब और सिंध हैं. अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, पंजाब पाकिस्तान के गेहूं उत्पादन में 77 प्रतिशत, सिंध 15 प्रतिशत, खैबर पख्तूनख्वा 5 प्रतिशत, जबकि बलूचिस्तान 3.5 प्रतिशत का उत्पादन करता है. खैबर पख्तूनख्वा ज्यादा कीमत पाने के चक्कर में अफगानिस्तान को बड़ी मात्रा में गेहूं की तस्करी कर देता है. बाढ़ की वजह से सिंध में खरीफ की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान के योजना आयोग का मानना है कि बाढ़ की वजह से कृषि और इसके उप-क्षेत्रों को 800 अरब रुपये या 3.725 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. इस क्षति का अकेले 72 फीसदी सिंध प्रांत को वहन करना पड़ा था.
इस साल, पाकिस्तान सरकार ने घोषणा की है कि वह 2.6 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का आयात करेगी. इसमें से पहले 13 लाख मीट्रिक टन आ चुका है, जिससे कीमतों में गिरावट की उम्मीद जगी है. इस महीने की शुरुआत में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में विदेशी मुद्रा भंडार 5 अरब डॉलर से कम हो गया है, जो मुश्किल से तीन माह के आयात के लिए पर्याप्त है.
लाहौर में सिद्दीकिया राइस मिल्स के निदेशक और पाकिस्तान के राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के सदस्य मुहम्मद जुबैर लतीफ चौधरी ने बताया कि पाकिस्तानी चावल दुनिया भर में निर्यात किया जाता है. वास्तव में, सुपर बासमती चावल का उल्लेख वारिस शाह हीर रांझा में भी मिलता है. लेकिन इस साल बाढ़ ने चावल के कुल उत्पादन को प्रभावित किया. इसका खासकर दक्षिणी पंजाब, पूर्वी बलूचिस्तान और सिंधु नदी के किनारे सिंध के कुछ हिस्सों में बुरा प्रभाव पड़ा है. वहीं, गेहूं की कमी आने की वजह से टूटे हुए बासमती चावल की मांग भी कई गुना बढ़ गई है.
डॉन की एक रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि दालों की कीमत भी बढ़ रही हैं. गत 13 जनवरी के एक आर्टिकल में उल्लेख किया गया है कि चना दाल की कीमत “1 जनवरी, 2023 को पीकेआर 180 से बढ़कर 205 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गई है. वहीं 1 दिसंबर, 2022 को इसकी कीमत 170 रुपये प्रति किलोग्राम थी. इसी तरह से दिसंबर में मसूर दाल की कीमत 200 रुपये थी जोकि 225 रुपये पीकेआर हो गई.