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अहोई अष्टमी के दिन करें ये खास उपाय, संतान को मिलेगा दीर्घायु का वरदान

17 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, अहोई अष्टमी का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यदि पूरी श्रद्धा से माता की पूजा की जाए तो संतान को दीर्घायु और बुद्धि प्राप्त होती है. इस दिन अहोई माता के साथ-साथ सेई की भी पूजा का विधान है. इस दिन माताएं अपने पुत्र की रक्षा के लिए निर्जला व्रत का पालन करती हैं. ये त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि इस दिन खास रूप से क्या उपाय करने चाहिए.

अहोई माता को पूजन के दौरान दूध-भात और लाल फूल अर्पित करें. इसके बाद लाल फूल हाथ में लेकर संतान के करियर और शिक्षा की प्रार्थना करें. संतान को अपने हाथों से दूध भात खिलाएं. फिर लाल फूल अपनी संतान के हाथों में दे दें और फूल को सुरक्षित रखने को कहें.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अहोई अष्टमी का दिन बड़ा शुभ माना जाता है. इस दिन अगर अहोई माता को गुड़ और चांदी की माला अर्पित जाए तो सभी मनोकामना पूरी होती है. साथ ही मां पार्वती के मंत्र – ” ऊँ ह्रीं उमाये नमः” का जाप करें. संतान को गुड़ खिलाएं और अपने हाथों से उसके गले में चेन पहनाएं. उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दें.

अहोई अष्टमी के दिन शिव परिवार की पूजा करें. इस दिन अहोई माता को केवल और केवल पूरी और मीठे पुए का भोग लगाकर उसे प्रसाद स्वरूप गरीब बच्चों में बांटना चाहिए. साथ ही भगवान गणेश को इस दिन दूर्वा अर्पित करना चाहिए. इस दिन मां गौरी को श्रृंगार का सामान भेंट करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर राधा कुंड में स्नान किया जाए तो संतान प्राप्ति होती है.

इस दिन संतान की लंबी उम्र के लिए स्याहु माला का जाप करना चाहिए. यह माला चांदी की बनवाई जाती है. अहोई पूजा के समय इस माला की रोली और अक्षत के साथ-साथ दूध से पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस माला को दिवाली तक माना जाता है. इस दिन इस माला की विधि विधान से पूजा की जाती है.

 

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