आईवीआरआई द्वारा संयुक्त पीपीआर-बकरी चेचक के टीके का व्यवसायीकरण


बरेली , 04फरवरी । पेस्टे-डेस-पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर) और गोटपॉक्स (बकरी चेचक) अत्याधिक संक्रामक वायरल रोग हैं जो मुख्य रूप से बकरियों को प्रभावित करते हैं, जिससे गंभीर रुग्णता और मृत्यु दर होती है और किसानों को काफी आर्थिक नुकसान होता है। वर्तमान में भारत में बकरियों की संख्या लगभग 148.88 मिलियन है जिसमें से अधिकतर छोटे और मध्यम स्तर के किसानों तथा भूमिहीन मजदूरों द्वारा पाली जाती हैं तथा ये दोनों बीमारियाँ इनकी आजीविका के लिए बड़ा खतरा पैदा करती हैं। इन रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण प्राथमिक उपाय है।
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में डा मुथु चेलवन, प्रधान वैज्ञानिक तथा उनकी टीम ने बकरियों के इन दोनों गंभीर रोगों के प्रभावी नियंत्रण और उन्मूलन के लिए एक संयुक्त जीवित क्षीण (लाइव एटेन्यूएटेड) पीपीआर और गोटपॉक्स वैक्सीन टीके को विक्सित किया। इस संयुक्त वेक्सीन के विकास में स्वदेशी पीपीआर (सुंगडी/1996) और जीटीपीवी (उत्तरकाशी/1976) स्ट्रेनो का उपयोग किया गया। अब एक ही टीके के माध्यम से पशुओं को दोनों रोगो के विरुद्ध प्रतिरक्षा मिल सकेगी। इस महत्वपूर्ण संयुक्त वेक्सीन तकनीक को अहमदाबाद की हेस्टर बायोसाइंसेज कंपनी को 28 फरवरी 2024 को एग्रीइन्नोवेट के माध्यम से हस्तांतरित किया गया।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डा त्रिवेणी दत्त ने कहा की संयुक्त वेक्सीन संस्थान के वैज्ञानिकों की एक बड़ी उपलब्धि है तथा देश के पशु पालकों की आवश्यकताओ के अनुरूप है। उन्होंने बताया की अब हेस्टर कंपनी आवश्यक नियामक स्वीकृतियों के उपरान्त इस टीके का उत्पादन शुरू करेगी और पशुपालकों को यह जल्द ही उपलब्ध हो पायेगा। इस संयुक्त वैक्सीन टीके से प्रयोग से लागत, समय और श्रम की बचत होगी। इसके व्यापक उपयोग से बकरियों के दोनों महत्वपूर्ण रोगों की घटनाओं में कमी आएगी, तथा बकरियों की उत्पादकता तथा किसानों की आजीविका में सुधार होगा। यह उल्लेखनीय है की पीपीआर और बकरी चेचक के पृथक टीको का पूर्व में संस्थान द्वारा व्यवसायीकरण किया जा चुका है तथा राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में पीपीआर टीके का भेड और बकरी आबादी में व्यापक उपयोग किया जा रहा है । बकरी चेचक का टीकाकरण भी पशुओं में बड़े स्तर पर हो रहा है।
संस्थान तकनीकी प्रबंधन इकाई के प्रभारी डा अनुज चौहान ने बताया की पीपीआर-गोटपॉक्स संयुक्त वैक्सीन को 65 लाख रुपये लाइसेंस शुल्क तथा 5 प्रतिशत रॉयल्टी की लाइसेंस शर्तों के साथ 10 साल की अवधि के लिए हेस्टर बायोसाईंसिस कंपनी को हस्तांतरित किया गया है। पीपीआर एवं बकरी चेचक का प्रकोप भारत के अलावा उत्तरी और मध्य अफ्रीका और दक्षिण-पश्चिम, मध्य पूर्व और मध्य एशिया देशों में भी काफी हैं। जिससे इस संयुक्त वेक्सीन को एक बड़ा निर्यात बाजार मिलने की भी प्रबल संभावना है। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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