आईवीआरआई में उद्योग-अकादमिक श्रृंखला की चौथी बैठक का आयोजन

बरेली , 20 जनवरी। आईसीएआर- भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्तनगर ने ‘आजादी का महोत्सव’ के अंतर्गत देश के विभिन्न औद्योगिक इकाईयों के साथ उद्योग-अकादमिक श्रृंखला की शुरूआत की है। जिसके तहत चौथी बैठक का आयोजन कल हाइब्रिड मोड में किया गया जिसमें 23 डेयरी प्रसंस्करण सम्बन्धी औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों समेत 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने पशुओं की कई बीमारियों के उन्मूलन में आईवीआरआई के उल्लेखनीय योगदान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने देश में पशु टीकों के विकास में आईवीआरआई की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ दत्त ने आगे कहा कि संस्थान ने 99 प्रौद्योगिकियों का पेटेन्ट डिजाइन तथा कापीराइड रजिस्टर्ड किया है। इसके अतिरिक्त संस्थान द्वारा विकसित 57 आईसीटी टूल्स का प्रयोग विभिन्न देशों के 5 लाख यूजर कर रहे हैं। संस्थान निदेशक ने कहा कि यह बैठक उद्योग कर्मियों को आईवीआरआई की नवीनतम तकनीकों/उन्नतियों से अवगत कराएगी, और संस्थान को उद्योग भागीदारों और आईसीएआर-आईवीआरआई के बीच आवश्यकता-आधारित अनुसंधान और संभावित अनुसंधान सहयोग शुरू करने के लिए डेयरी प्रसंस्करण क्षेत्र की आवश्यकताओं को समझने में मदद करेगी। उन्होंने उद्योग जगत को अनुसंधान के अनुबंध, सहयोगी और पीपीपी मॉडल के रूप में चल रही अनुसंधान गतिविधियों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने उद्योग जगत के सभी प्रतिनिधियों का दिल से आभार व्यक्त किया और आशा व्यक्त की कि यह प्लेटफॉर्म बेहतर और मजबूत भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा डॉ. (श्रीमती) रूपसी तिवारी ने कहा कि बैठक का प्रमुख उद्देश्य आईवीआरआई प्रौद्योगिकियों को प्रर्दशित करना, सार्वजनिक-निजी वित्त पोषित सहयोगी अनुसंधान और उत्पाद विकास (पीपीपी मोड में), परामर्श, अनुबंध अनुसंधान, प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए सीएसआर फंड का विस्तार करना है। इसके अतिरिक्त यूजी और पीजी छात्रों का चयन करने के लिए उद्योग से फेलोशिप/वित्तीय सहायता, उद्योग प्रशिक्षुता, अनुसंधान प्रदर्शन और औद्योगिक इकाईयों में उनकी नियुक्ति, और प्रैक्टिस के प्रोफेसर के रूप में अनुभव साझा करने सहित अकादमिक सहयोग की भी उम्मीद कर रहे हैं। डा. रूपसी तिवारी ने बताया कि इस इण्टरफेस मीट में उद्योग जगत की 23 कम्पनियों ने पंजीकृत किया जिनमें प्रयाग डेयरी लिमिटेड, बरेली, मिहो फ्रेश प्राइवेट लिमिटेड, नैनीताल, मैंगो डेयरी, पीलीभीत वर्धमान कोपरेटिव मिल्क प्रोडयूसर यूनियन लिमिटेड, पश्चिम बंगाल, महानन्दा डेयरी, मुम्बई, नमस्ते इण्डिया फूडस, कानपुर, सारिका रायका कैमल मिल्क सेंटर जयपुर, बिहार स्टेट मिल्क प्रोडूसर प्राइवेट लिमिटेड, प्राकृतिक ए2 मिल्क एण्ड एग्रीप्रोडक्ट प्रा. लिमिटेड, सीपी मिल्क फूड प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ, आयुरर्वेट रिसर्च फाउन्डेशन, सोनीपत, हितिका इण्टरप्राइजेज, झारखण्ड, अलनूर कैमल मिल्क तेलंगाना, एग्रीलिव रिसर्च फाउन्डेशन, आदविक फूडस एण्ड प्रोडक्ट लि. प्रीमियर एग्री फूड प्रा. लि., वाडीलाल इण्डस्ट्रीज लिमिटेड, बरेली, संगम डेयरी, केएमएफ, कर्नाटका तथा काउबिट टेक्नोलोजीज प्रा.लि. शामिल हैं।
इस अवसर पर दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिनमें पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग डा. ए.आर.सेन ने “डेयरी प्रसंस्करण से जुड़े मुद्दे एवं संभावनायें“ विषय पर तथा संस्थान के आईटीएमयू प्रभारी डा. अनुज चौहान द्वारा संस्थान द्वारा विकसित तकनीकियों के बारे में जानकारी प्रदान की गयी।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग डा. ए.आर.सेन ने उपस्थित सभी गणमान्य का स्वागत करते हुए कहा कि अपना भारत न केवल दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है बल्कि सबसे बड़ा बाजार भी है। दूध उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा तरल दूध के रूप में और अन्य विभिन्न डेयरी उत्पादों, मुख्य रूप से पारंपरिक डेयरी उत्पादों और अन्य उत्पादों के रूप में उपयोग किया जाता है। वर्तमान में, बड़े पैमाने पर स्थापित दूध प्रसंस्करण उद्योगों के साथ-साथ, कई छोटे, मध्यम और नए स्टार्टअप क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। बिखरा हुआ उत्पादन और दूध का अव्यवस्थित रख-रखाव एक मुद्दा है। डेयरी उत्पादन और प्रसंस्करण से संबंधित बाधाओं और मुद्दों पर गौर करना और उनके समाधान के लिए संभावित समाधानों पर गौर करना समय की मांग है। डेयरी प्रसंस्करण उद्योगों और शिक्षाविदों के बीच एक गहन और विस्तृत चर्चा डेयरी प्रसंस्करण क्षेत्र में विकास और स्थिरता के लिए उपयुक्त मार्ग पर काम करने और शोध योग्य पहलुओं की पहचान करने में सहायक होगी।
इस अवसर पर उद्योग जगत के जुड़े प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार साझा किये तथा ऊंट मिल्क उत्पादन, साइलेज निमार्ण, पशुओं के स्वास्थ्य, ए.आई प्रशिक्षण आदि क्षेत्रों में आईवीआरआई से सहयोग की अपेक्षा की।
कार्यक्रम का संचालन डा. नेहा ठाकुर द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा. गीता चौहान द्वारा दिया गया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक, शोध डा. एस.के. सिंह, संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डा. एस.के. मेंदीरत्ता, डा. देवेन्द्र, डा. सुमन तालुकदार, डा. सागर चन्द, डा. अखिलेश कुमार सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, छात्र एवं अधिकारीगण शामिल रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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