आईवीआरआई में उद्योग-अकादमिक इंटरफेस मीट श्रृंखला का शुभारम्भ

बरेली , 01 अगस्त । आईसीएआर- पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर ने भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए केंद्र सरकार की एक पहल ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पर देश के विभिन्न उद्योगों के साथ उद्योग-अकादमिक इंटरफेस मीट श्रृंखला शुरू की है। इस का उद्देश्य आईवीआरआई की प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करना, सार्वजनिक-निजी वित्त पोषित अनुसंधान के लिए अवसरों की तलाश करना और आईसीएआर-आईवीआरआई में उद्योग द्वारा विकसित उत्पादों का सत्यापन, और सहयोगात्मक अनुसंधान और उत्पाद विकास, छात्रों का प्लेसमेंट करना आदि शामिल है । इस आयोजन में कुल 87 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया।
उद्योग-अकादमिक इंटरफ़ेस श्रृंखला के तहत पहली बैठक 31 जुलाई, 2023 को उद्योगों (कामधेनु, भारतीय जड़ी-बूटियाँ, वीएम एग्रो, अंजलि कैटल फीड, आयुष जड़ी-बूटियाँ और इंटास) के प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ आयोजित की गई थी। आईसीएआर के छात्र और संकाय- कार्यक्रम में आईवीआरआई संस्थान के वैज्ञानिक एवं छात्र भी शामिल हुए।
उद्घाटन सत्र में माननीय निदेशक, आईसीएआर-आईवीआरआई, डॉ. त्रिवेणी दत्त, संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक), डॉ. एस.के. मेंदीरत्ता; संयुक्त निदेशक (शोध ), डॉ एस के सिंह; संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा), डॉ. रूपसी तिवारी और आईवीआरआई के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष मौजूद रहे ।
आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने शोधकर्ताओं और उद्योगों को एक मंच पर लाने के प्रयास की सराहना की। उद्योग संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के व्यापक प्रसार में हमारी सहायता करते हैं। उद्योग की बुनियादी ढांचागत सुविधा निश्चित रूप से प्रयोगशाला-आधारित प्रौद्योगिकी को विपणन योग्य उत्पादों में परिष्कृत और उन्नत करने में मदद करेगी। उन्होंने उद्योग जगत से आपसी लाभ के लिए अनुबंध/सहयोगात्मक अनुसंधान के वित्तपोषण के लिए आगे आने का आग्रह किया। इसके अलावा, शिक्षण, छात्र और विस्तार गतिविधियों के क्षेत्रों में भी उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने उद्योग-अकादमिक इंटरफ़ेस बैठक पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि अनुसंधान के पारस्परिक रूप से सहमत क्षेत्रों पर भविष्य की कार्रवाई का निर्धारण करने के लिए जल्द ही अनुवर्ती बैठक आयोजित की जाएगी।
संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा), आईवीआरआई डॉ. (श्रीमती) रूपसी तिवारी ने विभिन्न उद्योगों की उनके उत्पादों की नैदानिक सत्यापन की अपेक्षा, फ़ीड दक्षता अनुकूलन और आंत स्वास्थ्य पर सहयोगात्मक अनुसंधान स्थापित करने, यूजी इंटर्न की ऑन-कैंपस भर्ती शुरू करने आदि के बारे में चर्चा की। उन्होंने एमओयू पर हस्ताक्षर, उद्योग के साथ नियमित बैठकें, अनुबंध अनुसंधान, छात्रों के लिए प्लेसमेंट, इंटर्नशिप और प्रशिक्षण के माध्यम से उद्योगों के लिए छात्रों के प्रदर्शन, उद्योग प्रायोजित प्रयोगशालाओं, आदि के माध्यम से उद्योग-अकादमिक संपर्क को मजबूत करने के विभिन्न तरीकों पर जोर दिया।
तकनीकी सत्र में, आईटीएमयू के प्रभारी डॉ. अनुज चौहान ने आईवीआरआई के आईपी पोर्टफोलियो का विवरण प्रस्तुत किया, जिसमें नव विकसित टीके जैसे लम्पी-प्रो-वैक, मूल्य वर्धित दूध और मांस उत्पाद प्रौद्योगिकियां, सर्जिकल डिजाइन शामिल थे। डायग्नोस्टिक और चिकित्सीय आदि पर विस्तृत जानकारी दी गयी ।
इसके अतिरिक्त विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों ने अपने उत्पादों तथा विकास पोर्टफोलियो को प्रस्तुत किया गया ।
तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. एसके सिंह संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) और डॉ. बीरबल सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर-आईवीआरआई, पालमपुर ने की। डॉ. एम. सुमन कुमार, आईवीआरआई, डॉ. रिंकू शर्मा और डॉ. अखिलेश कुमार ने कार्यक्रम का समन्वयन किया। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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