उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई में जूनोटिक रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन


बरेली ,01मई । जूनोटिक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में छात्रों के साथ-साथ आम जनता के बीच सामान्य जागरूकता पैदा करने के लिए भारत में आम जूनोटिक रोगों पर आईवीआरआई के पशु जन स्वास्थ्य विभाग की वैज्ञानिक डॉ हिमानी धांजे ने रोटरी क्लब, इज्जतनगर के सहयोग से डी. गोयनका पब्लिक स्कूल और केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर बरेली में जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से विशेष जानकारी दी ।
डॉ धांजे ने बताया की विश्व स्तर पर ज़ूनोटिक रोगों से हर साल बीमारी के लगभग एक अरब मामले और लाखों मौतें होती हैं। ज़ूनोसिस उन संक्रमणों और बीमारियों को कहते है जो रीढ़ वाले पशुओं और मनुष्य के बीच स्वाभाविक रूप से संचरित होते हैं। ज़ूनोसिस को आम भाषा में पशुजनित रोग भी बोलते हैं। मनुष्य और पशुओं की दिन-प्रतिदिन की निकटता मानव जीवन को जूनोटिक संक्रमणों से खतरे में डालती है। जीवाणु, विषाणु, कवक, परजीवी, रिकेट्सिया और क्लैमाइडिया के कारण पशुजनित रोग हो सकते है। सभी मानव रोगजनकों में से कम से कम 61% पशुजनित रोग हैं, और पिछले एक दशक के दौरान सभी उभरते रोगजनकों का 75% प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
विभिन्न तरीकों के माध्यम से जूनोटिक/ पशुजनित रोग फैलते है: प्रत्यक्ष संपर्क: संक्रमित पशु के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से, एयरोसोल / छोटी बूंद के संक्रमण के माध्यम से, शरीर के स्राव के साथ संपर्क जैसे लार, रक्त, या संक्रमित पशु के अन्य शरीर द्रव, जानवर के काटने के माध्यम से । अप्रत्यक्ष संपर्क: अप्रत्यक्ष संचरण वैक्टर, वाहन जैसे दूषित भोजन, पानी और वायु-जनित या फोमाइट-जनित संचरण के माध्यम से होता है।
इस अवसर पर डी. गोयनका पब्लिक स्कूल, बरेली में ज़ूनोसिस पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई और छात्रों के बीच पुरस्कार वितरित किए गए। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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