उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई में रूहेलखण्ड की गायों के पशुधन के पंजीकरण हेतु संवाद बैठक का आयोजन

बरेली,21जून। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, आईवीआरआई जल्द ही रूहेलखण्ड की गायों के पशुधन को पंजीकृत करने जा रहा है जिसके लिए संस्थान में पशु अनुवांशिक संसाधनों की नेटवर्क परियोजना एनबीएजीआर, करनाल के सहयोग से संचालित की जा रही है इस सम्बन्ध में एक संवाद बैठक का आयोजन कल संस्थान में किया गया।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि नेटवर्क परियोजना के तहत रूहेलखण्ड क्षेत्र के पशुधन जिनमें गाय, भेड़ एवं पोनी को लिया गया है तथा इसमें रूहेलखण्ड गाय के पंजीकरण के सभी मानकों को पूर्ण कर लिया गया है तथा संस्थान शीघ्र ही इसको पंजीकरण के लिए फाइल करने जा रहा है जिससे इस गाय की नस्ल को एक नई पहचान मिलेगी तथा किसानों की आय में भी वृद्धि होगी । डॉ. त्रिवेणी दत्त ने आगे बताया कि संस्थान पशु संरक्षण के अंतर्गत विभिन्न जर्म प्लाज्म पर कार्य कर रहा है।
इस कार्य को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों एवं प्रक्षेत्र सहायकों की एक टीम बनायी गयी है। जो इस परियोजना को शीघ्र सम्पन्न करेगी।
एनबीएजीआर, करनाल के निदेशक डा. बी.पी. मिश्रा ने इस अवसर पर कहा कि पशुधन का पंजीकरण कराना बहुत अनिवार्य है क्योंकि इसके देश के किसानों की आय में वृद्धि हो सकेंगी क्योंकि अगर हम पशुओं का वर्गीकरण कर पंजीकरण कर दें तो उस प्रजाति को हम संरक्षित कर सकते हैं तथा उसके उत्पादों को प्रसिद्ध किया जा सकता हैं इसके उपरान्त उस पशु का मूल्य बढ़ जायेगा। इस इस समय देश में 32 केंद्रों में पंजीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है तथा अगस्त 2021 से अब तक 50 पशुओं की प्रजाति की पहचान की है जिनका पंजीकरण किया जा सकता है इनमें से दो पशुओं के प्रजाति का पंजीकरण हो चुका है। पशुओं के पंजीकरण करने से वह क्षेत्र के पशुपालक लाभान्वित होते हैं तथा उन्हें अपने पशुओं की पहचान पर गर्व होता हैँ। डॉ मिश्रा ने कहा कि आईवीआरआई के पास कुशल वैज्ञानिक एवं विषय विशेषज्ञ हैं जो इसके पंजीकरण, आर्थिक प्रबंधन तथा संवर्धन को निपुणता से कर सकेंगे। उन्होने संस्थान निदेशक तथा इस परियोजना से जुड़े सभी वेज्ञानिकों को तय समयावधि में कार्य को पूर्ण करने हेतु आभार प्रकट किया ।
इस अवसर पर संस्थान की संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ रुपसी तिवारी ने रुहेलखण्डी गाय के महत्त्व को बताते हुए कहा कि यह गाय काम लागत में अधिक उत्पादन देने कि क्षमता रखती हैँ। अतः इसके अधिक प्रचार प्रसार तथा इसकी ब्रांडिंग के लिए अलग अलग ग्रुप व क्लब बना सकते हैँ। यह गाय दीर्घकालिक क़ृषि एवं पशुपालन को बढ़ावा देने में अहम् भूमिका निभाएगी।
इस नेटवर्क परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा. अनुज चौहान ने परियोजना की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह परियोजना 25 सितम्बर, 2023 को स्वीकृत की गयी। तत्पश्चात इस परियोजना को रूहेलखण्ड क्षेत्र के अन्तर्गत बरेली, बदायूं तथा पीलीभीत जिले के 14 ब्लाक तथा 159 गावों में 1718 गायों का वर्गीकरण किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त रूहेलखण्ड क्षेत्र के भेड़ तथा पोनी के वर्गीकरण का कार्य भी चल रहा है जिससे भविष्य में इन्हें भी पंजीकृत किया जा सके। डा. अनुज चौहान ने बताया कि संस्थान निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त के दिशानिर्देश में इस परियोजना में संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी, डा. बृजेश कुमार, डा. अमित कुमार तथा डा. अयोन तरफदार शामिल हैं।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. अयोन तरफदार द्वारा किया गया। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें... -------------------------