इण्डिया लिटरेसी बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय डॉ. वेल्दी फिशर पुरस्कार वितरण समारोह

इण्डिया लिटरेसी बोर्ड के द्वारा इस संस्था की संस्थापिका डॉ. वेल्दी फिशर के द्वारा शिक्षा-साक्षरता, कौशल विकास एवं कृषि विकास आदि के क्षेत्रों में दिए गए अभूतपूर्व योगदानों को दृष्टिगत रखते हुए उनके सम्मान में राष्ट्रीय स्तर के ”डॉ. वेल्दी फिशर पुरस्कार“ को उनके जन्मदिवस 18 सितम्बर पर प्रतिवर्ष दिए जाने का निर्णय लिया गया है। उक्त पुरस्कार में पुरस्कृृत व्यक्ति/संस्था को इण्डिया लिटरेसी बोर्ड के द्वारा एक लाख रुपया, स्मृति-चिन्ह, प्रशस्ति-पत्र एवं अंगवस्त्र आदि प्रदान कर सम्मानित किया जायेगा।

इस वर्ष यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रथम बार सुश्री विद्या दास एवं मेसर्स शिव नाडर फाउण्डेशन को संयुक्त रूप से दिया जाएगा। ओडीशा के पिछड़े क्षेत्रों में औपचारिक, अनौपचारिक एवं आजीवन शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए सुश्री विद्या दास तथा उत्तर प्रदेश में औपचारिक एवं प्रौढ़ शिक्षा के कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने हेतु मेसर्स शिव नाडर फाउण्डेशन को यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। पुरस्कार वितरण समारोह लोकभवन स्थित मुख्य सचिव सभागार में दिनांक 18 सितम्बर, 2023 को पूर्वान्ह 10ः00 बजे आयोजित होगा तथा समारोह के मुख्य अतिथि श्री दुर्गा शंकर मिश्र, मुख्य सचिव, उ. प्र. शासन होंगे।

उल्लेखनीय है कि डॉ0 फिशर ने महात्मा गाँधी की प्रेरणा से भारत में निरक्षरता के अन्धकार को मिटाने का बीड़ा उठाया था। इस क्रम में उनकी यात्रा वर्ष 1953 में एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट, नैनी, इलाहाबाद से प्रारम्भ हुई। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन महामहिम राज्यपाल श्री के. एम. मुंशी के आग्रह पर डॉ. फिशर ने वर्ष 1956 में इण्डिया लिटरेसी बोर्ड (साक्षरता निकेतन), लखनऊ की स्थापना की और नव्य प्रौढ़ शिक्षार्थियों के लिए 500 से अधिक पाठ्य-पुस्तकें तैयार कराई तथा 80,000 से अधिक युवाओं को असाक्षर एवं नव्य प्रौढ़ शिक्षार्थियों को पढ़ाने हेतु प्रशिक्षित किया गया। साक्षरता विकास के प्रयासों के क्रम में उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में कठपुतली कला के माध्यम से साक्षर कार्यक्रम, साइकिल पुस्तकालय, ग्रामीण क्षेत्रों में साप्ताहिक हॉट के लिए सचल लाइब्रेरी आदि का संचालन कराया।

डॉ. फिशर के उत्कृष्ट कार्र्याें को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1977 में इण्डिया लिटरेसी बोर्ड को राज्य संसाधन केन्द्र, उ.प्र. की मान्यता प्रदान की। यहाँ के साक्षरता निकेतन परिसर में दस से अधिक विकासशील देशों के 38,500 प्रतिनिधियों ने प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया। साक्षरता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु डॉ. फिशर को रेमन मैगसेसे अवार्ड सहित ग्यारह राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट वर्ष 1980 में जारी किया।

वर्ष 1982 में उत्तर प्रदेश के पहले श्रमिक विद्यापीठ (वर्तमान में जन शिक्षण संस्थान), कानपुर तथा वर्ष 1984 में लखनऊ एवं वर्ष 2004 में देहरादून में जन शिक्षण संस्थानों की स्थापना हेतु तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इण्डिया लिटरेसी बोर्ड को स्वीकृृति प्रदान की गयी। वर्तमान में कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन उक्त तीनों संस्थान कार्यरत हैं।

 

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