एसआरएमएस मेडिकल कालेज में दो दिवसीय यूपी-यूके ट्रोपिकान 2024 का आयोजन

 

बरेली ,21अप्रैल। जीवन शैली संबंधी बीमारियां ज्यादातर लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। लेकिन खून में रह कर बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया, वायरस माइकोप्लाज्मा, प्रोटोजोआ जैसे हीमोपैरासाइट्स की अनदेखी से भी मरने वालों की संख्या कम नहीं है। साधारण सा समझा जाने वाला मलेरिया, टाइफाइड, टीबी से लेकर महामारी बनने वाला कोरोना सब इन्हीं सूक्ष्मजीवों का परिणाम हैं। ट्रोपिकल (उष्णकटिबंधीय) क्षेत्र मलेरिया परजीवी से मरने वाले लोगो की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में इनसे बचाव ज्यादा आवश्यक है और यह जागरूकता से ही हो सकता है। यह निष्कर्ष इंडियन एकेडमी आफ ट्रोपिकल पैरासायटोलाजी (आईएटीपी) की पांचवीं स्टेट कांफ्रेंस यूपी-यूके ट्रोपिकान 2024 में निकल कर सामने आया। इस मौके पर ई सोविनियर भी लांच किया गया।
एसआरएमएस मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी डिपार्टमेंट की ओर से ट्रोपिकल (उष्णकटिबंधीय) क्षेत्र के उपेक्षित परजीवी रोगः अज्ञानता से जागरूकता विषय पर दो दिवसीय वर्कशाप और साइंटिफिक कांफ्रेंस आयोजित हुई। 19 और 20 अप्रैल को आयोजित इस कार्यक्रम में बैक्टीरिया, माइकोप्लाज्मा, प्रोटोजोआ जैसे खून में रहने वाले परजीवियों पर में देश के नामचीन माइक्रोबायोलाजिस्ट ने अपने शोध पत्र पर व्याख्यान दिया। इसमें पेपर प्रेजेंटेशन के साथ ही पोस्टर प्रेजेंटेशन भी आयोजित हुआ। 20 अप्रैल (शनिवार) को इसका उद्घाटन सत्र हुआ। इसमें एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देवमूर्ति जी ने कहा कि सूक्ष्मजीवों से बीमारियां कितनी खतरनाक हो सकती हैं, इसकी जानकारी कोविड महामारी के सभी हो गई है। इस महामारी के दौरान ही माइक्रोबायोलाजी का महत्व भी सामने आया और इसे सभी ने स्वीकार किया। लेकिन अभी भी हम सब सूक्ष्म जीवों से होने वाली बीमारियों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते। मलेरिया जैसे बुखार या पेट खराब होने जैसी स्थिति में कैमिस्ट से लेकर एंटीबायोटिक्स खा लेना आम है। इसी प्रवृत्ति से एंटीबायोटिक्स दवाइयों का असर भी कम होता जा रहा है और इम्यूनिटी भी प्रभावित हो रही है। सूक्ष्म जीवों से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है। यह काम एसआरएमएस मेडिकल कालेज लगातार कर रहा है। हास्पिटल आन व्हील्स, टेलीमेडिसिन बस से इन बीमारियों के साथ ही कैंसर और डिप्रेशन की भी जांच की जा रही है।
उद्घाटन सत्र में इंडियन एकेडमी आफ ट्रोपिकल पैरासायटोलाजी (आईएटीपी) के यूपी-यूके चैप्टर की प्रेसिडेंट और एम्स कल्याणी की प्रोफेसर (डा.) उज्जला घोषाल ने संस्था की स्थापना से लेकर अब तक इसके द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने ट्रापिकल रीजन में सूक्ष्म परजीवियों से बढ़ने वाली बीमारियों से भी सभी को सचेत किया। इंडियन एकेडमी आफ ट्रोपिकल पैरासायटोलाजी (आईएटीपी) के यूपी-यूके चैप्टर के सेक्रेटरी और आरएमएल लखनऊ के प्रोफेसर (डा.) मनोदीप सेन ने कांफ्रेंस को समय की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि कांफ्रेंस का विषय ट्रोपिकल (उष्णकटिबंधीय) क्षेत्र के उपेक्षित परजीवी रोगः अज्ञानता से जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है। इस संबंध में यहां काफी जानकारी मिली। एसआरएमएस मेडिकल के प्रिंसिपल एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) डा. एमएल बुटोला ने कांफ्रेंस के लिए सभी को बधाई दी। इससे पहले कार्यक्रम के आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी और माइक्रोबायोलाजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डा.) राहुल कुमार मेहरोत्रा ने सभी का स्वागत किया और कांफ्रेंस के संबंध में जानकारी दी, जबकि कोआर्गनाइजिंग सेक्रेटरी प्रोफेसर (डा.) वंदना सरदाना ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डा.सरोदया सिंह ने किया। इस मौके पर एसआरएमएस पैरामेडिकल कालेज की प्रिंसिपल डा.जसप्रीत कौर, एसआरएमएस नर्सिंग कालेज की प्रिंसिपल डा. मुत्थु महेश्वरी, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा.आरपी सिंह, डीन यूजी डा. नीलिमा मेहरोत्रा, डीएसडब्ल्यू डा.क्रांति कुमार, डा.पियूष कुमार, डा.ललित सिंह, डा.मिलन जायसवाल, डा. तनु अग्रवाल, डा.एमपी रावल, डा.जाहिद गिलानी, डा.केशव झा, डा.जसविंदर सिंह, डा.राजीव टंडन, डा.नीलम गुप्ता, डा.फौजिया खान, डा.एमएस दिओपा, डा.पूजा चौहान डा.मनोज गुप्ता सहित तमाम फैकेल्टी मेंबर्स मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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