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झुमका योग बरेली की विरासत और महिला सशक्तिकरण का जश्न मनाता महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय

बरेली, 17 जून।अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 के भव्य समारोह में, बरेली में महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय (एमजेपीआरयू) ने शहर के बीचोंबीच प्रतिष्ठित झुमका चौराहा में “झुमका योग” नामक एक अनूठा कार्यक्रम का आयोजन किया।

17 जून, 2024 को आयोजित इस कार्यक्रम में योग, नृत्य और बरेली की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जिसे “नाथ नगरी” के रूप में भी जाना जाता है, का अभिसरण देखा गया। इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विषय “महिला सशक्तिकरण” था और झूमका योग कार्यक्रम ने इस भावना को उचित रूप से मूर्त रूप दिया।

इस आयोजन का मुख्य आकर्षण “झूमका योग” की शुरुआत थी, जो एक अनूठा योग अभ्यास था, जिसने प्रतिष्ठित झुमका से प्रेरणा ली, जो एक हस्ताक्षरित गहने का टुकड़ा है जो बरेली की पहचान का पर्याय बन गया है। कुशल योग अभ्यासी कनिष्क और ज्योति के नेतृत्व में, झूमका योग सत्र ने पारंपरिक आसनों को सुंदर आंदोलनों के साथ जोड़ा जो झूमका की झूलती गति को प्रतिबिंबित करता है।

कार्यक्रम की सांस्कृतिक जीवंतता को बढ़ाते हुए, विश्वविद्यालय सांस्कृतिक केंद्र के छात्रों ने एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला योग नृत्य प्रदर्शन प्रस्तुत किया, जिसने बरेली के जीवंत नृत्य रूपों के साथ शिव योग के प्राचीन अभ्यास को निर्बाध रूप से मिश्रित किया। प्रतिभा और ईशा, प्रतिभाशाली कलाकारों ने अपने समन्वित आंदोलनों और भारतीय संस्कृति, शिव योग और नाथ नगरी विरासत के बीच तालमेल के सुरुचिपूर्ण चित्रण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के. पी. सिंह मुख्य अतिथि रहे अपने संबोधन में कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “झुमका योग समारोह बरेली की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए हमारे विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है, साथ ही योग के प्राचीन अभ्यास के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देता है। यह आयोजन परंपरा और आधुनिकता के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण का एक सच्चा अवतार है। उन्होंने कहा कि योग मनुष्य को अपने अंदर झांकने एवं अपनी अंतरात्मा तक को शुद्ध करने में सहायक होता है। आज संपूर्ण विश्व योग की ताकत को समझ कर भारत के महत्व को भी समझ रहा है।

झुमका योग कार्यक्रम एक शानदार सफलता थी, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और बरेली समुदाय के सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस कार्यक्रम ने न केवल सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय के समर्पण को उजागर किया, बल्कि महिलाओं को सशक्त बनाने और पूरे समुदाय को मजबूत करने के लिए योग का उपयोग करने के लिए संस्थान की अटूट प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित किया।

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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