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टीचर्स ही क्यों करते हैं लाल स्याही वाले पेन का इस्तेमाल? आप जानते है इसके पीछे की वजह

नई दिल्ली। हम सभी जब छोटे हैं तो स्कूल में ऐसी बहुत सी चीजों को देखते हैं, जो घर में नहीं होती. हमारी पढ़ाई एक क्रम और नियम से होती है. धीरे-धीरे उम्र और क्लास बढ़ने के साथ ही हम लिखना-पढ़ना भी सीख ही जाते हैं. पेंसिल से लिखने की प्रैक्टिस कराने के बाद हमें पेन का इस्तेमाल करने को मिलता है. हर बच्चे को इस पल का बड़ी बेसब्री से इंतजार होता है कि कब उनके हाथ में स्याही वाला पेन पकड़ाया जाएगा.

इसके बाद बच्चे काला या नीला बॉल पेन यूज करते हैं और टीचर्स लाल स्याही वाला पेन इस्तेमाल करते हैं, तब उनका भी दिल करता होगा टीचर की तरह लाल पेन का यूज किया जाए. हालांकि, जब बच्चों नीली और काली स्याही वाले पेन से लिखने की अनुमति दी जाती है तो उन्हें इसे लेकर बहुत उत्साह होता है, लेकिन बच्चे होते हैं जिज्ञासु, उनके दिमाग में इसे लेकर कई तरह के सवाल कौंधते रहते हैं. आज बच्चों के इसी सवाल का जवाब यहां जानेंगे…

यह बात एकदम सच होती है चाहे बच्चा कहे या न कहें, लेकिन वह भी अपनी नोटबुक में लाल स्याही वाले पेन से लिखना चाहता है. हर बच्चे के दिमाग में यह ख्याल आता है कि जब टीचर्स लाल पेन का इस्तेमाल कर सकते हैं, तो फिर हम केवल नीले और काले का इस्तेमाल क्यों करें? जबकि, टीचर्स तो इनके ब्यू और ब्लैक के साथ लाल पेन का इस्तेमाल भी करते हैं.

हालांकि, बच्चों के इस सवाल का कोई निश्चित जवाब तो किसी को नहीं पता है, लेकिन फिर भी एक लॉजिक है जिसके हिसाब से इसे ऐसे समझा जा सकता है. स्टूडेंट्स व्हाइट पेपर्स से बनी नोटबुक्स पर लिखते हैं, जिसके लिए एक निश्चित उम्र तक के स्टूडेंट्स को सिर्फ नीले या काले पेन का इस्तेमाल करने की ही परमिशन होती है.

स्कूली पढ़ाई के बाद आप लाल पेन का इस्तेमाल नोट्स आदि बनाने में तो फिर भी कर सकते हैं, लेकिन इससे एग्जाम में नहीं लिख सकते. दरअसल, नीला और ब्लैक रंग कंट्रास्ट वाले होते हैं और शब्दों के बीच का अंतर दूर से देखने पर ही साफ बताते हैं.

वहीं, हर जगह टीचर्स लाल पेन का इस्तेमाल स्टूडेंट्स की नोट बुक्स गलतियों को सुधारने , एग्जाम शीट आदि चेक के लिए करते हैं. अगर टीचर भी नीले या काले रंग के पेन का इस्तेमाल करेंगे तो इससे स्पष्ट तौर पर यह समझने में परेशानी होगी कि बच्चों के लिखे हुए मे क्या गलती है, जो रेड स्याही से दूर से ही दिख जाता है. इसके अलावा बच्चों और स्टूडेंट्स के बीच का फर्क पता नहीं चल पाएगा.

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