परिवारवाद के “आकाश” में सिमट गयी बसपा, मायावती ने भतीजे आकाश को उत्तराधिकारी घोषित किया
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती अभी से 2024 का लोकसभा चुनाव बहुत आक्रामक लड़ने का संकेत दे दिया है। शनिवार की अमरोहा के सांसद दानिश अली को पार्टी से बाहर कर दिया। इन दिनों दानिश कांग्रेस के साथ सटते नजर आ रहे थे। मायावती ने अपना भार कम करते हुये भतीजे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित किया है। ये अलग बात है कि परिवार से किसी को उत्तराधिकारी नहीं बनाने का कभी दावा करने वालीं मायावती ने अपने भतीजे आकाश को विरासत सौंपने का निर्णय लेने के दौरान पार्टी पदाधिकारियों को सख्त संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि मैंने जब भी किसी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी, वह खुद को मेरा उत्तराधिकारी समझने लगा। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वह इसी तरह पेश आता था। इस कंफ्यूजन को खत्म करने के लिए मैंने आकाश को उत्तराधिकारी बनाया है।
बता दें कि मायावती के इस निर्णय के तमाम निहितार्थ भी हैं। वह अक्सर बहुजन समाज से ही किसी को अपना उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा भी करती रहीं, लेकिन बीते करीब एक दशक में उन नेताओं ने उनका साथ छोड़ दिया,जिन पर उन्हें बहुत भरोसा था। स्वामी प्रसाद मौर्या, बाबू सिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, लालजीवर्मा, रामअचल राजभर,धर्मवीर प्रजापति जैसे अधिकतर बसपा के दिग्गज नेताओं ने भाजपा, सपा और कांग्रेस का दामन थामा, जिससे पार्टी को अंदरखाने खासा नुकसान सहना पड़ा।
भाजपा में गए अधिकतर नेता अपने साथ उन बसपा नेताओं को भी ले गए, जो कभी सपा को धूल चटाने का काम करते थे।इनमें ब्रजेश पाठक, चौधरी लक्ष्मी नारायण, जयवीर सिंह, पूर्व मंत्री स्वर्गीय रामबीर उपाध्याय, इससे यूपी के साथ पड़ोसी राज्यों में अपनी अलग पहचान बनाने और विधानसभा चुनाव में कई सीटें जीतने वाली बसपा का जनाधार कम होता चला गया। यूपी में चार बार सरकार बनाने वाली बसपा को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में महज एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। तमाम नेताओं के दूसरे दलों में जाने से पार्टी के वोट बैंक पर भी असर पड़ा और कभी 28 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने वाली बसपा यूपी में करीब 12 प्रतिशत पर ही सिमट गयी। उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खतरे में पड़ गया।
आनंद की मुश्किलों से आकाश की राह हुई आसान
बसपा सुप्रीमो ने अपने भाई आनंद कुमार को भी नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया था, हालांकि कई वित्तीय मामलों में फंसने की वजह से उन्होंने भतीजे आकाश आनंद को ही पार्टी की कमान सौंपने का अहम निर्णय लिया है। हालिया विधानसभा चुनाव में आकाश आनंद को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, जिसे उन्होंने बखूबी पूरा भी किया। उन्होंने कई बड़ी जनसभाएं करते हुए पार्टी के जनाधार को बढ़ाने का प्रयास भी किया, हालांकि पार्टी को उम्मीद के मुताबिक इन राज्यों में सफलता नहीं मिली।