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‘भीख का कटोरा लेकर घूमते हैं हम,’ पाकिस्तान की बदहाली पर फूट पड़ा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का दर्द

क्वेटा/दुशांबे: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश की आर्थिक नीति में बड़े बदलाव का संकेत देते हुए कहा है कि अब दुनिया पाकिस्तान से भीख के कटोरे की उम्मीद नहीं करती। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान को अब सहायता के बजाय व्यापार, निवेश और विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा। 31 मई को क्वेटा में सैन्य जवानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री शरीफ ने आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ने और देश के प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा, ‘दुनिया हमसे व्यापार, नवाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और लाभप्रद क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से जुड़ने की अपेक्षा करती है, न कि हम भीख मांगें। मैं और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अब इस बोझ को और नहीं उठाएंगे।’ उन्होंने यह भी जोर दिया कि पाकिस्तान को अपने संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करके उन्हें विकास कार्यों में लगाना चाहिए।

इस दौरान, शरीफ ने कुछ मित्र देशों के साथ पाकिस्तान के गहरे संबंधों का भी उल्लेख किया। उन्होंने चीन को ‘पाकिस्तान का सबसे भरोसेमंद दोस्त’ और सऊदी अरब को ‘सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद साथी’ बताया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने तुर्की, कतर और यूएई का भी नाम लिया।

वहीं दूसरी ओर, ताजिकिस्तान के दुशांबे में आयोजित ग्लेशियर्स पर संयुक्त राष्ट्र के पहले सम्मेलन में भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरा। पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने शुक्रवार को पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान स्वयं आतंकवाद के माध्यम से सिंधु जल संधि का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम पाकिस्तान द्वारा इस मंच का दुरुपयोग करने और ऐसे मुद्दे उठाने के प्रयास से हैरान हैं जो इस मंच के दायरे से बाहर हैं। हम इस तरह के प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं।’

मंत्री सिंह ने कहा कि यह एक सत्य है कि सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद से परिस्थितियों में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, जिससे संधि की शर्तों पर पुनर्विचार आवश्यक हो गया है। उन्होंने इन बदलावों में तकनीकी प्रगति, जनसंख्या वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और लगातार जारी सीमा पार आतंकवाद को शामिल किया।

कीर्तिवर्धन सिंह ने जोर देकर कहा कि संधि की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि यह सद्भावना और मित्रता की भावना से संपन्न हुई थी, और इसे ईमानदारी से लागू करना अनिवार्य है। हालांकि, पाकिस्तान से लगातार हो रहे सीमा पार आतंकवाद के कारण भारत की संधि के प्रावधानों के अनुसार इसके उपयोग की क्षमता बाधित होती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, जो स्वयं इस संधि का उल्लंघन कर रहा है, उसे इसके लिए भारत पर आरोप लगाने से बचना चाहिए।