पोर्न देखना अपराध नहीं लेकिन… इन हरकतों पर होगी 7 साल तक की सजा, समझिए कानून

पोर्न देखना अपराध है या नहीं? इस पर केरल हाईकोर्ट का एक फैसला आया है. केरल हाईकोर्ट ने एक फैसले में साफ कर दिया कि पोर्न अगर ‘अकेले’ देख रहे हैं तब तो ये अपराध नहीं है, लेकिन ‘दूसरे’ को भी दिखा रहे हैं तो फिर ये गैरकानूनी है.

केरल हाईकोर्ट की जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने ये फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा, ‘अगर कोई व्यक्ति निजी तौर पर अश्लील फोटो या वीडियो देख रहा है तो ये आईपीसी की धारा 292 के तहत अपराध नहीं है. लेकिन अगर वो किसी दूसरे को अश्लील फोटो या वीडियो दिखा रहा है या उसे सार्वजनिक रूप से दिखाने की कोशिश कर रहा है तो फिर ये अपराध होगा.’

जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा, ‘पोर्नोग्राफी सदियों से प्रचलित है. लेकिन आज के नए डिजिटल युग में और ज्यादा सुलभ हो गई है. बच्चों और बड़ों की उंगलियों पर ये मौजूद है. सवाल ये है कि अगर कोई अपने निजी समय में दूसरों को दिखाए बगैर पोर्न वीडियो देख रहा है तो वो अपराध है या नहीं? अदालत इसे अपराध के दायरे में नहीं ला सकती, क्योंकि ये व्यक्ति की निजी पसंद हो सकती है और इसमें दखल करना उसकी निजता में घुसपैठ करने के बराबर होगा.’

साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि निजी स्पेस में पोर्न देखना गलत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, निजी कमरे में पोर्न देखना व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आ सकता है.

केरल हाईकोर्ट और उससे पहले सुप्रीम कोर्ट, दोनों ने भले ही निजी तौर पर पोर्न देखने को गलत या गैरकानूनी नहीं माना हो, लेकिन दोनों ही फैसलों में कुछ ऐसी बातें भी हैं जिसका ध्यान रखा जाना जरूरी है.

केरल हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि पोर्न अगर अकेले देख रहे हों तब तो दिक्कत नहीं है, लेकिन किसी दूसरे को भी दिखा रहे हैं या फिर उसे सार्वजनिक जगह पर दिखा रहे हैं तो ये अपराध होगा.

इसी तरह से सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि अकेले पोर्न देखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन चाइल्ड पोर्नोग्राफी या महिलाओं के खिलाफ बलात्कार या हिंसा से जुड़े अश्लील कंटेंट को देखना या इकट्ठा करना अपराध के दायरे में आता है.

हमारे देश में प्राइवेट में पोर्न देखने में कोई दिक्कत न हो, लेकिन अश्लील वीडियो या फोटो देखने, डाउनलोड करने और उसे वायरल करना अपराध है. ऐसा करने पर इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 67, 67A, 67B के तहत जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है.

धारा 67 के तहत, पोर्न कंटेंट देखने, डाउनलोड करने और वायरल करने पर पहली बार 3 साल की जेल और 5 लाख रुपये के जुर्माने की सजा है. दूसरी बार पकड़े जाने पर 5 साल की कैद और 10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है.

धारा 67A के तहत, मोबाइल में पोर्न कंटेंट रखने और वायरल करने पर पहली बार पकड़े जाने पर 5 साल की जेल और 10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है. दूसरी बार पकड़े जाने पर 7 साल की जेल और 10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

वहीं, धारा 67B कहती है कि अगर किसी के मोबाइल में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ा वीडियो या फोटो मिलता है तो पहली बार पकड़े जाने पर 5 साल जेल और 10 लाख के जुर्माने की सजा होगी. दूसरी बार पकड़े जाने पर 7 साल जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना चुकाना होगा.

पोर्नोग्राफी या अश्लीलता को लेकर इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) में भी सजा का प्रावधान है. आईपीसी की धारा 292 और 293 में इसके लिए सजा का प्रावधान किया गया है.

धारा 292 के तहत, अश्लील वस्तुओं को बेचने, बांटने, प्रदर्शित करने या प्रसारित करना अपराध है. ऐसा करते हुए पहली बार पकड़े जाने पर 2 साल तक की जेल और 2 हजार तक का जुर्माना लग सकता है. दूसरी बार पकड़े जाने पर 5 साल तक जेल और 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

जबकि धारा 293 के तहत, 20 साल से कम उम्र के व्यक्ति को अश्लील वस्तु दिखाना, बेचना, किराये पर देना या बांटना अपराध है. ऐसा करने पर पहली बार दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की जेल और 2 हजार रुपये की सजा का प्रावधान है. दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की जेल और 5 हजार रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है.

प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) एक्ट में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर सख्त सजा का प्रावधान है.

इस कानून की धारा 14 में प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति बच्चे या बच्चों को अश्लील कंटेंट के लिए इस्तेमाल करता है तो उसे उम्रकैद तक की सजा हो सकती है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

वहीं, पॉक्सो एक्ट की धारा 15 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ा कंटेंट अपने पास रखता है तो उसे तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

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