भाजपा में अगड़ा बनाम पिछड़ा की ज्वालामुखी फटी, अयोध्या दीपोत्सव से उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने बनायी दूरी!

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। 2017 में यूपी की कमान संभालने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अयोध्या में दीपोत्सव का कीर्तिमान रच कर कार्यक्रम मनाया है। इस बार 22 लाख 23 हजार दीपों से दीपोत्सव जगमगाया है।लेकिन इस बार उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस महाआयोजन से दूरी बना लिया। माना जा रहा है कि यह उत्तर प्रदेश के सत्ताधारी दल भाजपा और योगी सरकार के भविष्य में राजनैतिक घटनाक्रम के लिये शुभ संकेत नहीं है। भाजपा उत्तर प्रदेश का मुख्य पिछड़ा चेहरा होने से पहले केशव मौर्य विश्व हिंदू परिषद के सक्रिय नेता रहे हैं। राम मंदिर आंदोलन के सर्वेसर्वा रहे विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री रहे स्वर्गीय अशोक सिंघल के अतिप्रिय सहयोगी रहे हैं। अयोध्या दीप महोत्सव से उनकी अनुपस्थिति ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की राजनैतिक हवा टाइट कर दिया है। केंद्रीय नेतृत्व भी नहीं जान पाया है कि यूपी में क्या विवाद बढ़ गया है।
बता दें कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लगातार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दूरी बनाये हुये हैं। 31 अक्टूबर को सबेरे हजरतगंज स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा से आयोजित दौड़ “रन फॉर यूनिटी” में शामिल हुये लेकिन 11 बजे लोकभावन में होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में नहीं गये।

उसके बाद अभिनेत्री कंगना रनौत की बहुप्रचारित फिल्म “तेजस” का प्रीमियम शो लोकभवन में आयोजित था उसमें भी नहीं शामिल हुये। उसी दिन देर शाम जनेश्वर मिश्र पार्क में प्रसिद्ध ऐतिहासिक मराठी नाटक “जाणता राजा” के कार्यक्रम में पूरा समय रहे। 9 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक अयोध्या में रखी गयी थी उसमें नहीं शामिल हुये। किसी सरकार का अयोध्या में यह पहला कैबिनेट बैठक था। उस दिन मौर्य मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रचार के लिये भिंड दौरे पर चले गये। 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद हर वर्ष यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछली बार का रिकॉर्ड तोड़ कर भव्य दीपोत्सव का कार्यक्रम होता है।इस बार यह कार्यक्रम शनिवार 11 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया गया। लेकिन इस बार केशव प्रसाद मौर्य ने कार्यक्रम से मुंह मोड़ कर अपनी नाराजगी जता दिया है। अयोध्या दीपोत्सव में शामिल हुये दूसरे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक दीपोत्सव में जाने से पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर जाकर उन्हें दीपावली की शुभकामना देकर गये हैं। जब दोका सामना ने इस संदर्भ जब उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद से बात करने की तो उनका मोबाइल बार-बार व्यस्त मिला। लैंड लाइन पर जिन्होंने भी फोन उठाया नम्बर लिख लिया लेकिन कोई उत्तर नहीं आया। उनके सहयोगी पंकज विद्यार्थी का मोबाइल उठा लेकिन उन्होंने बताया कि वह दिल्ली में हैं।हां उन्होंने इतना जरूर कहा कोई कारण रहा होगा, जा नहीं पाये शायद।

पार्टी के आंतरिक सूत्रों की मानें तो केशव मौर्य की नाराजगी को अगड़ा बनाम पिछड़ा की लड़ाई से जोड़ कर देखा जा रहा है। यह टकराहट तब और बढ़ गया जब घोषी विधानसभा के उपचुनाव में पिछड़ा चेहरा बन कर लड़ रहे पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे थे और पार्टी की बड़ी जातियों के जनप्रतिनिधियों ने कोई सहयोग तो दूर ऊपर से प्रत्याशी के साथ विश्वासघात कराया। 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिल कर लड़े ओम प्रकाश राजभर भाजपा के साथ आ गये हैं।राजभर ने बार-बार सार्वजनिक रूप से दावा किया है कि उन्हें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल किया जायेगा।लेकिन हर बार उनका दावा फुस्स पटाखा हो जाता है। केशव मौर्य बहुत दिनों से राज्य के नौकरशाहों द्वारा पिछड़े मंत्रियों, सांसदों व विधायकों की उपेक्षा की शिकायत दर्ज करा रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार मुखिया उनका संज्ञान लेने में अनदेखी कर रहे है। उनके अनुसार एक तरफ अफसर आये दिन भाजपानिष्ठ लोगों की टांग खींचते हैं, दूसरी तरफ शिकायत पर उन पर कोई कार्यवाही भी नहीं होती। उल्टे अधिकारी और असहयोग करने लगते हैं। केंद्रीय नेतृत्व इस मुद्दे पर कुछ मुंह खोलने से बच रहा है। लेकिन पांच राज्यों के चुनाव के मुहाने पर फटी ज्वालामुखी को समेटने से चूकी तो इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे। यह अंगार 2024 के लोकसभा चुनाव तक नहीं थम पायेगा।

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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