महादेव से लेकर भोलेनाथ तक, बहुत-ही खास है भगवान शिव के इन नामों का अर्थ

नई दिल्ली: सनतान धर्म में भगवान शिव को सृष्टि के संहारक के रूप में जाता जाता है। साथ ही वह त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश, तीन मुख्य देवता में से एक हैं। शिव जी को महादेव, शिव-शंकर और भोलेनाथ जैसे कई नामों से पुकारा जाता है। ऐसे में महाशिवरात्रि के इस विशेष अवसर पर जानते हैं कि इन नामों का अर्थ क्या है और शिव जी को यह नाम कैसे मिले।

क्यों कहा जाता है नीलकंठ
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन हुआ तो, इस दौरान विष भी उत्पन्न हुआ। यह विष इतना भयानक था कि इस विष की अग्नि से दसों दिशाएं जलने लगीं। तब संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने इस विष का पान किया। इस विष के प्रभाव से शिव जी का गला नीला पड़ गया था। यही कारण है कि भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाता है।

महामृत्युंजय का अर्थ

भगवान शिव को महामृत्युंजय भी कहा जाता है। संस्कृत में महामृत्युंजय का अर्थ होता है – मृत्यु को जीतने वाला या फिर मृत्यु का जिस पर कोई प्रभाव न हो। भगवान शिव की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से व्यक्ति अकाल मृत्यु को टाला सकता है।

क्या संकेत देते है अर्धनारीश्वर स्वरूप

अर्धनारीश्वर स्वरुप भगवान शिव का वह स्वरूप है, जिसमें शिव जी आधी स्त्री और आधा पुरुष का शरीर धारण किए हुए हैं। भगवान शिव के इस अर्धनारीश्वर स्वरुप के आधे हिस्से में पुरुष के रूप में भगवान शिव का वास है, तो वहीं, आधे हिस्से में स्त्री रुप में शक्ति समाहित हैं। अपने इस स्वरूप में भगवान शिव प्रत्येक प्राणी को यह संकेत देते हैं कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।

इसलिए कहा जाता है भोलेनाथ
जहां शिव जी के रौद्र रूप से तीनों लोक कांप उठते हैं। वहीं, उनका एक रूप ऐसा भी हैं, जहां उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है। यहां भोलेनाथ का अर्थ है – कोमल हृदय व दयालु भाव। भगवान शिव केवल सच्चे मन से शिवलिंग का जलाभिषेक करने वाले व्यक्ति पर भी प्रसन्न भी हो जाते हैं। यही कारण है कि शिव जी को भोलेनाथ की भी उपाधि दी गई है।

देवो के देव – महादेव
हिन्दू शास्त्रों में शिव जी को महादेव नाम की उपाधि दी गई है। अन्य किसी देवता को इस नाम की संज्ञा नहीं दी। क्योंकि यह माना जाता है कि इस सृष्टि की संरचना से पहले भी शिव थे और इस सृष्टि के समापन के बाद भी शिव ही रहेंगे। यहां महादेव का अर्थ है – महान ईश्वरीय शक्ति या देवों का देव। इस संज्ञा के अधिकारी केवल शिव ही हो सकते हैं।

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