राममंदिर ने बदल दिया अयोध्या की आर्थिक स्थिति, बढ़ा रोजगार, दिन-रात जगने लगा शहर!
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। अयोध्या में जब से भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बना है तब से देश भर के श्रद्धालु और पर्यटकों की भीड़ बढ़ गयी है। शहर वही है लेकिन अब धीरे-धीरे लोग दिन-रात जगते दिखने लगे। वजह महानगर की तरह कल-कारखाने नहीं बल्कि देश भर से अयोध्या के लिये उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ है। इस भीड़ ने बहुत बड़ा रोजगार पैदा कर दिया है।महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान और उभरते नये आर्थिक क्षेत्र के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर पल अयोध्या पर अपनी निगाह रखते हैं। इस कारण उदघाटन के सात दिन बाद अब तक वह दो बार स्वयं आ चुके हैं। बार-बार मंदिर की व्यवस्था, श्रद्धालुओं से सीधी बात करते हैं।उसके बाद अधिकारियों के साथ बैठक करते हैं। जरूरी निर्देश देने के साथ मुख्यमंत्री उसने सलाह भी लेते हैं कि बदले परिवेश में अयोध्या को और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है।राम मंदिर बनने से अयोध्या की रौनक लौट आयी है। अयोध्या में कई और प्रमुख मंदिर हैं लेकिन अकेले जन्मभूमि मंदिर में 23 जनवरी से 28 जनवरी तक 20.50 लाख लोगों ने किए दर्शन। हालात ये है कि रोजाना रिकॉर्ड संख्या में लोग दर्शन करने पहुंच रहे हैं।कड़ाके की ठंढ के बाद आज का दिन राहत भरा रहा।लेकिन अभी स्थिति ये है कि आधी रात से ही दर्शन करने के लिए लंबी लाइन लग जाती है। 23 जनवरी को 5 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन किये। 24 जनवरी को 3.5 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किया। 25 जनवरी को 2.5 लाख, 26 जनवरी को 3.5 लाख, 27 जनवरी को 2.7 लाख और 28 जनवरी को 2 लाख 29 को 1.75 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किया। मौसम में नरमी आते ही संख्या बहुत बढ़ जाने की संभावना है।
इस बीच शहर में आ रही भीड़ से स्थानीय लोगों का सामंजस्य बिठाना भी नया प्रयोग है। धीरे-धीरे अयोध्या लोगों को यह व्यवहार में लाना ही पड़ेगा। जो श्रद्धालु आ रहे हैं उनकी जेब पर हर किसी की निगाह है। बैट्री रिक्शा, आटो, होटल, प्रसाद सामग्री सब कुछ का दाम बढ़ गया है। रामयणा होटल में सबसे महंगे एक कमरे का किराया बीस हजार प्लस जीएसटी और सबसे न्यूनतम एक कमरे का किराया नौ हजार प्लस जीएसटी वसूला जा रहा है।जबकि उद्घाटन के समय इसका किराया इतना मंहगा नहीं था। कनक महल मंदिर में पहले एक हजार में जो कमरे मिलते थे वह अब दो हजार का हो गया है। तीन बदल बेड वाला रूम पहले दो हजार में मिलता था वह अब छह हजार में दे रहे हैं। अयोध्या में मंदिर और धर्मशालाओं में अभी भी सबसे अधिक श्रद्धालु रुकते हैं। मंदिरों में रुकने के लिये पहले अधिकतर मंदिर में श्रद्धालुओं की श्रद्धा पर रुकने की व्यवस्था होती थी। अब वहां भी ग्यारह सौ से ऊपर कमरे का किराया हो गया है। इस बीच धर्मलाओं में भी व्यवसायिकता बढ़ी है। जिसके चलते अधिकतर धर्मशालाओं और मंदिरों के कमरों को अब वातानुकूलित कर दिया गया है। अयोध्या में होटल कल्चर नहीं था। यहां बड़े-बड़े कार्यक्रम मंदिर और धर्मशालाओं में हो जाते थे। भीड़ संभालने और न्यूनतम कीमत में पर्याप्त सुविधा देने की नियत से शहर में सैकडों घरों में होमस्टे का लाइसेंस दिया गया है। जिसमें विभिन्न प्रकार के रूम एक हजार से पांच हजार तक के कमरे ऑनलाइन मिल जा रहे हैं। एक गृहणी अर्चना सिंह ने बताया कि उन्होंने अपना एक कमरा स्टे होम बना दिया है।1850 रूपये प्रतिदिन मिलता है। जब से बना है अभी तक किसी भी दिन खाली नहीं रहा।ऑनलाइन बुकिंग हो जाती है। स्टे होम का लाइसेंस देख रहे राकेश सिंह ने बताया कि अभी तक 600 से ज्यादा लाइसेंस जारी कर चुका हूं। प्रति दिन आवेदन आ रहे हैं। जल्द ही लक्ष्य पूरा हो जायेगा। शहर में एक हजार स्टे होम का लाइसेंस देने की बात थी। उन्होंने बताया कि लगभग हर स्टे होम वाले व्यक्ति के पास खुद का बैटरी रिक्शा भी है। अधिकतर बैटरी रिक्शा उन्हीं ग्राहकों द्वारा बुक कर लिया जाता है। बाहर के लोग होने के कारण किराये को लेकर किच-किच नहीं होता और किराया भी अच्छा मिल जाता है।अब तक शहर में नौ हजार से अधिक बैटरी रिक्शा चलने की जानकारी है।जल्द ही यह संख्या और बढ़ जायेगी।
इस संदर्भ में बदलते अयोध्या के साक्षी सामाजिक कार्यकर्ता अमित पांडेय ने दोका सामना को बताया कि अयोध्या में होटल के कमरों को पहली बार सर्वाधिक बुकिंग तब मिली थी जब शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे की अयोध्या यात्रा हुई थी। उस समय पहली बार अयोध्या के सभी होटल के कमरे बुक हुये थे। उन्होंने बताया कि उसी समय विश्वहिंदू परिषद ने भी एकाएक कार्यक्रम घोषित कर दिया था तब विहिप के लोगों को अयोध्या में कमरे के लाले पड़ गये थे। नये अयोध्या के सौंदर्यीकरण में बहुत बड़ी संख्या में लोगों को सरकारी मुआवजा मिला। वह लोग भी शहर के आस-पास दस किमी की दूरी के अंदर बसने की योजना से जमीनों की कीमत बढ़ा दिये। 2021 में जो जमीन 8-9 लाख बीघा था वह 8-9 लाख बिस्वा बिकने लगी है।बाहर के लोगों ने अयोध्या के हाईवे और महानगर पालिका क्षेत्र में जमीनों की कीमत आसमान पर पहुंचा दिये। इस क्षेत्र में जमीन की रेट जिसका सौदा जितने में पट जाये।
ओटो और बैट्री रिक्शा चलाने वाले 20 रुपये में बाई पास से हनुमानगढ़ी पहुंचा देते थे अब अधिकतर बुकिंग पर जाते हैं। भारी संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं से 300 से 500 वसूला जा रहा है। किसी भी बैटरी रिक्शा और ऑटो पर किराये का रेट नहीं लगा है। दिन- दहाड़े श्रद्धालुओं की जेब काटी जा रही है अयोध्या प्रशासन बेचारा बन गया है। पुलिस वाले मुख्य मार्ग से बैटरी रिक्शा नहीं जाने देते। ऐसे में गलियों के रास्ते गंतव्य तक पहुंचाने का मनमाना किराया वसूला जा रहा है। खाने के होटलों का चर्चित मामला बीते दिनों शबरी की रदोई का था जो सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हुआ। रुकने का मंहगा, घूमने का महंगा, खाने का मंहगा सब कुछ मंहगा होने के बाद प्रशासन को ऐसा प्रमाण नहीं मिल पा रहा है कि होटल, धर्मशाला, ऑटो रिक्शा-बैट्री रिक्शा और खान-पान की दुकानों पर शिकंजा कस सके। ऐसा इस कारण हो रहा है कि किसी के पास समय नहीं है। ज्यादातर लोग मिनट टू मिनट कार्यक्रम बना कर आ रहे हैं। वह कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा स्थान घूम लेना चाहते हैं। वोवर लोडेड पब्लिक आने से शहर की व्यवस्था बिगड़ सी गयी है। लेकिन जल्द ही स्थित संभल जायेगी। 22 दिसंबर को श्रीरामजन्मभूमि स्थान पर बने भव्य मंदिर के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं दो बार 23 दिसंबर और 29 दिसंबर को आ चुके हैं। वह अयोध्या की पल-पल की खबर से वाकिब रहते हैं।