लोन महंगा, लेकिन एफडी पर मिलेगा ज्यादा ब्याज!, जाने किसे नहीं मिलेगा इसका लाभ

नई दिल्ली. बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए शुक्रवार को एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ाने का ऐलान कर दिया है. इस बार भारतीय रिजर्व बैंक ने 50 आधार अंकों अथवा 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की है. इस वृद्धि के साथ ही अब रेपो रेट बढ़कर 5.90 फीसदी हो गया है. देश में महंगाई लगातार रिजर्व बैंक की तय सीमा से ऊपर चल रही है. अभी देश में खुदरा महंगाई की दर 7 है. रिजर्व बैंक महंगाई को काबू में करने के लिए इस साल अब तक 4 बार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुका है.

रेपो रेट में 50 आधार अंकों की वृद्धि का असर आम आदमी पर होगा, क्‍योंकि अब बैंकों को आरबीआई से महंगी ब्‍याज दर पर लोन मिलेगा. यह भार बैंक खुद वहन नहीं करेंगे, बल्कि वे उसे अपने ग्राहकों पर डालेंगे. इससे होम लोन और कार लोन सहित कुछ अन्‍य ऋणों की ब्‍याज दरों में इजाफा हो जाएगा. लेकिन, रेपो रेट में बढ़ोतरी का फायदा भी होगा. यह फायदा बैंक में फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट कराने वाले लोगों को होगा.

भारतीय रिजर्व बैंक के ब्‍याज दरों में वृद्धि करने का असर बैंक फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट पर भी होता है. बैंक अपने लोन की ब्‍याज दरों में वृद्धि करने के साथ ही एफडी की ब्‍याज दरों में भी बढ़ोतरी करते हैं. अगस्‍त में रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट बढ़ाने के बाद से अब तक लगभग सभी बैंक अपनी-अपनी एफडी की ब्‍याज दरें बढ़ा चुके हैं. अब एक बार फिर रेपो रेट में बढ़ोतरी होने से एफडी की ब्‍याज दरों में आगे वृद्धि होगी.

अब सवाल यह उठता है कि अगर बैंक फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट्स की ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी करते हैं तो क्‍या सभी ग्राहकों को फायदा होगा. इस सवाल का जवाब है- नहीं. इसका कारण यह है कि जो ग्राहक ब्‍याज दर बढ़ने से पहले बैंक में एफडी करा चुके हैं, उनको बढ़ी हुई ब्‍याज दरों का फायदा बैंक नहीं देते. इसका कारण यह है कि एफडी की ब्‍याज दरें उसकी मैच्‍योरिटी अवधि तक निर्धारित होती है. अगर बैंक आगे ब्‍याज बढ़ाते हैं तो इसका फायदा केवल नई एफडी कराने पर या फिर एफडी रिन्‍यू कराने पर ही होगा.

बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के साथ ही फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट की ब्‍याज दरें नहीं बढ़ाते हैं. वो ऐसा धीरे-धीरे करते हैं. इसके अलावा सभी टैन्‍योर की एफडी पर भी बहुत से बैंक ब्‍याज दर नहीं बढ़ाते हैं. वो ब्‍याज दरों में धीरे-धीरे वृद्धि करते हैं. इसके अलावा यह जरूरी भी नहीं कि बैंक हर टेन्‍योर की एफडी पर, उतना ही ब्‍याज बढ़ाएं, जितना रेपो रेट में इजाफा हुआ है.

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