43 साल पहले मुरादाबाद ईदगाह में भड़के दंगे का सच आएगा सामने, योगी सरकार विधानसभा में पेश करेगी जांच रिपोर्ट

43 साल पहले 3 अगस्त 1980 को मुरादाबाद के ईदगाह में भड़के दंगे की रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सार्वजनिक करने जा रही है. इस रिपोर्ट को लेकर बीजेपी काफी उत्साहित नजर आ रही है. साथ ही बीजेपी इस रिपोर्ट से 43 साल पहले हुए दंगों के सच को सामने लाने को अपनी उपलब्धि के तौर पर मान रही है. 43 साल बाद बीजेपी सरकार मुरादाबाद के ईदगाह में भड़के दंगे की जांच रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने जा रही है. दंगे की जांच रिपोर्ट को लेकर यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने टीवी9 से विस्तृत बातचीत की.

यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि,जो 43 साल में नहीं वो योगी सरकार में होने वाला है.जिस दंगे पर सभी सियासी पार्टियां अबतक खामोश रही, उसे योगी आदित्यनाथ सामने लाने वाले हैं.उस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने वाले हैं.जिस दंगे में 83 लोगों की जान चली गई थी.

3 अगस्त 1980 को मुरादाबाद के ईदगाह में भड़के इस दंगे की जांच के लिए जस्टिस सक्सेना की कमेटी बनाई गई थी.बताया जाता है कि दंगे की जांच इतनी खतरनाक थी कि 43 सालों में किसी भी सरकार ने इसे सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटाई.अब 43 साल बाद रिपोर्ट के माध्यम से सच सामने आने की उम्मीद है.

जांच आयोग ने नवंबर 1983 में तत्कालीन सरकार को सौंपी थी रिपोर्ट
तब उत्तर प्रदेश में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी.ये दंगा ईद के दिन शुरू हुआ था.जांच आयोग ने नवंबर 1983 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन तत्कालीन सरकार ने कभी इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया.जिसे योगी सरकार ने सावर्जनिक करने का फैसला किया है.

मुरादाबाद के ईदगाह में 3 अगस्त 1980 में क्या हुआ
ईद का दिन था, एक-दूसरे को बधाई दे रहे थे. 60 से 70 हजार लोग नमाज के लिए जुटे थे. ईदगाह के अंदर ज्यादा जगह नहीं थी हजारों लोग ईदगाह के बाहर भी खड़े थे. तभी सूअर के ईदगाह में घुसने की बात आई. फिर हंगामे के बाद पत्थरबाजी-फायरिंग होने लगी.एक तरफ पत्थरबाजी तो दूसरी तरफ पुलिस पर फायरिंग के आरोप लगे, जिसमें 83 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

रिपोर्ट से पहले राजनीति शुरू, मौर्य बोले-अब कोई फायदा नहीं
अब जब उस दंगे की रिपोर्ट 43 साल बाद सामने आने वाली है, तो मुरादाबाद के सांसद इसमें भी राजनीति तलाशने लगे.सपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से सरकार को तो कोई फ़ायदा नहीं पहुंचेगा, इतने दिनों के बाद इस रिपोर्ट से क्या न्याय मिलेगा इतनी लेट रिपोर्ट आने का मतलब है कि न्याय की हत्या होना.

43 साल बाद साफ होगी तस्वीर
हालांकि, फायरिंग कैसे शुरू हुई, लोगों की मौतें कैसे हुईं, इसके अलग-अलग वर्जन हैं.कुछ लोग ये भी आरोप लगाते हैं कि पहले भीड़ की तरफ से ही फायरिंग हुई और बगल के पुलिस स्टेशन को आग में झोंक दिया गया था.लेकिन अब 43 साल बाद दंगों की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर सारी तस्वीर साफ हो जाएगी.

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