आईवीआरआई और हेस्टर बायोसाइंसेज के बीच हुई महत्वपूर्ण बैठक में टीकों के हस्तांतरण पर हुई चर्चा
बरेली, 01जून। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, डीम्ड विश्वविद्यालय के निदेशक और कुलपति डॉ. त्रिवेणी दत्त की अध्यक्षता में कल एक संवाद बैठक आयोजित की गई, जिसमें हेस्टर बायोसाइंसेज, अहमदाबाद, गुजरात के डॉ. राजीव गांधी, सीईओ और प्रबंध निदेशक, सुश्री प्रिया गांधी, कार्यकारी निदेशक डॉ. राजेंद्र लिंगाला; प्रमुख अनुसंधान एवं विकास उपस्थित थे। बैठक में संयुक्त निदेशक, डॉ. एसके मेंदीरत्ता, डॉ. रूपसी तिवारी, डॉ. एसके सिंह, डॉ. पल्लब चौधरी (बेंगलुरु), डॉ. वाईपीएस मलिक (मुक्तेश्वर), प्रभागों के प्रमुख, अनुभाग प्रभारी और आईवीआरआई के वैज्ञानिक भी उपस्थित थे। बैठक में अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास के साथ-साथ स्थानांतरण में सहयोग की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा हुई। निदेशक ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में उल्लेख किया कि हेस्टर बायोसाइंसेज लिमिटेड ने आईवीआरआई से 8 वैक्सीन प्रौद्योगिकियां (पीपीआर वैक्सीन, बकरी पॉक्स वैक्सीन, भेड़ पॉक्स वैक्सीन; सीएसएफ वैक्सीन, ब्रुसेला वैक्सीन, एलएसडी वैक्सीन, आईबीडी वैक्सीन और पीपीआर-बकरी पॉक्स संयुक्त वैक्सीन) ली हैं, और इन टीकों का निर्माण और उपयोग पशु टीकाकरण के लिए किया जा रहा है। भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय पशु रोग उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया है और इस कार्यक्रम में आईवीआरआई द्वारा विकसित टीकों का उपयोग किया जा रहा है। आईवीआरआई एक नोडल एजेंसी के रूप में पशु चिकित्सा जैविकों के गुणवत्ता नियंत्रण और परीक्षण में भी शामिल है।इसके अलावा, इस बात पर जोर दिया गया कि आईवीआरआई एक डीम्ड विश्वविद्यालय है और पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान में यूजी/पीजी और डॉक्टरेट शिक्षा प्रदान करता है। अभी हाल ही में, डॉ राजीव गांधी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशानिर्देशों के अनुपालन में डीम्ड विश्वविद्यालय द्वारा प्रोफेसर प्रैक्टिस के रूप में नियुक्त किया गया है।निदेशक ने किसानों और हितधारकों के लिए उपयोगी प्रौद्योगिकियों और उत्पादों को विकसित करने के लिए सक्रिय सहयोग पर जोर दिया है। उनका विचार था कि जब हम उद्योगों के साथ संयुक्त कार्यक्रम अपनाते हैं तो उपयोगी प्रौद्योगिकियाँ विकसित की जा सकती हैं और पीजी छात्र उद्योगों के साथ मिलकर अपना शोध कार्य कर सकते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि उद्योग और कॉर्पोरेट घरानों के साथ बातचीत बैठकें संबंधों को मजबूत करने में उपयोगी होंगी और भविष्य में बेहतर उत्पाद सामने आएंगे।बैठक में बोलते हुए, डॉ. राजीव गांधी ने इस प्रतिष्ठित संस्थान के प्रैक्टिस प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति करने के लिए विश्वविद्यालय को धन्यवाद दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश में वैक्सीन निर्माण में अग्रणी होने के नाते, उनका उद्देश्य हमेशा भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और पशुधन और पोल्ट्री मालिकों के लिए इसे किफायती कीमतों पर बाजार में पहुंचाना रहा है। उन्होंने कुत्तों और पोल्ट्री टीकों, थनैला और अन्य आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बीमारियों के लिए संभावित सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण विकल्पों पर चर्चा की और साथी जानवरों के लिए स्वदेशी टीके विकसित करने के लिए सक्रिय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। सीएसआर फंडिंग के माध्यम से आईवीआरआई में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को मजबूत करने के मामले पर भी चर्चा की गई और डॉ. राजीव गांधी ने आश्वासन दिया कि उनकी कंपनी निश्चित रूप से आईवीआरआई में बुनियादी ढांचे और शिक्षा सुविधाओं को मजबूत करने के लिए सीएसआर फंडिंग के माध्यम से समर्थन बढ़ाने के लिए तत्पर रहेगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि आईवीआरआई के पीजी छात्रों के लिए अपने उद्योग के सहयोग से अपने शोध कार्य का एक हिस्सा पूरा करने के लिए दरवाजे खोले जाएंगे। विभिन्न आगामी वैक्सीन प्रौद्योगिकियों पर भी चर्चा हुई और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तौर-तरीकों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक का संचालन प्रधान वैज्ञानिक एवं इम्यूनोलॉजी अनुभाग के प्रभारी और संस्थान तकनीकी सेल के प्रमुख डॉ. समीर श्रीवास्तव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के आईटीएमयू प्रभारी डॉ. अनुज चौहान ने किया। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट