महाकुंभ में पहली बार पहुंचा पाकिस्तान से 68 श्रद्धालुओं का जत्था, बोले – यहां आकर गर्व महसूस हो रहा है
महाकुंभ नगर। महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता को देखकर पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हिंदू श्रद्धालु भी खुद को यहां आने से रोक नहीं सके। पहली बार, सिंध से 68 श्रद्धालुओं का एक जत्था बृहस्पतिवार को महाकुंभ में पहुंचा।
श्री गुरुकार्ष्णि शिविर (सेक्टर-9) में पहुंचे सिंध प्रांत के गोबिंद राम माखीजा ने बताया,
महाकुंभ के बारे में सुनकर हमारी दिली इच्छा थी कि हम यहां आएं। जब से सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा सुनी, हम खुद को रोक नहीं सके।
सिंध के छह जिलों से पहुंचे श्रद्धालु
माखीजा ने बताया कि इससे पहले, अप्रैल 2023 में 250 लोग पाकिस्तान से प्रयागराज आए थे और गंगा में डुबकी लगाई थी। इस बार जत्थे में श्रद्धालु सिंध के छह जिलों – गोटकी, सक्कर, खैरपुर, शिकारपुर, कर्जकोट और जटाबाल से आए हैं। इनमें से 50 लोग पहली बार महाकुंभ का अनुभव कर रहे हैं।**
सनातन धर्म में जन्म लेना सौभाग्य की बात’
गोटकी से आए मुकेश ने कहा,
मैं पहली बार भारत आया हूं और पहली बार महाकुंभ देख रहा हूं। यहां हमें अपने धर्म और संस्कृति को गहराई से जानने का अवसर मिल रहा है। यह अनुभव अविस्मरणीय है।
सिंद से आईं करिश्मा, जो एक गृहणी हैं, उन्होंने कहा,
यह पहली बार है जब मैं भारत और महाकुंभ आई हूं। यहां अपनी संस्कृति को देखकर अद्भुत अनुभव हो रहा है। हम सिंध में मुस्लिमों के बीच रहते हैं, लेकिन वहां हिंदुओं के साथ अधिक भेदभाव नहीं है, जैसा कि मीडिया दिखाती है। हालांकि, अपनी संस्कृति को इतने दिव्य रूप में देखने का अवसर हमें यहां ही मिला है।
भारतीय नागरिकता और वीजा प्रक्रिया पर बोले श्रद्धालु
सक्कर जिले से आए निरंजन चावला ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर कहा,
सिंध में अभी ऐसा माहौल नहीं है कि लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करें, लेकिन पाकिस्तान के राजस्थान जैसे कुछ इलाकों में हिंदुओं के लिए परिस्थितियां कठिन हैं।
उन्होंने भारत सरकार से निवेदन किया कि,
वीजा जारी करने की प्रक्रिया को थोड़ा सरल किया जाए, क्योंकि अभी इसे क्लियर होने में छह महीने लग जाते हैं। हालांकि, महाकुंभ के लिए हमारे जत्थे को सरलता से वीजा मिला, इसके लिए हम भारत सरकार के आभारी हैं।
हरिद्वार में करेंगे अस्थि विसर्जन
श्रद्धालु 6 अस्थि कलश भी अपने साथ लाए हैं, जिन्हें वे हरिद्वार में प्रवाहित करेंगे। चावला ने कहा,
हरिद्वार मोक्ष का द्वार है, इसलिए हम वहां जाकर अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करेंगे।
श्रद्धालु 8 फरवरी को रायपुर और फिर हरिद्वार के लिए रवाना होंगे।