इजरायल के आर्मी चीफ हर्जी हलेवी ने ली हमास के हमले की जिम्मेदारी, इस्तीफे का किया ऐलान
नई दिल्ली : इजरायल के आर्मी चीफ हर्जी हलेवी ने 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा कि उनकी विफलताओं की नतीजा था कि उस दिन हमला हुआ और लोग बंधक बना लिए गए थे. उन्होंने कहा कि वह भारी सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी लेते हुए 6 मार्च को इस्तीफादे देंगे. इजरायल में लंबे समय से उनके इस्तीफे की उम्मीद की जा रही थी, क्योंकि हमास का हमला एक दिन में इजरायल पर सबसे घातक हमला था.
इजरायल आर्मी चीफ ने कहा कि वह 7 अक्टूबर के अटैक मामले में इजरायल रक्षा बलों की जांच पूरी करेंगे और सुरक्षा चुनौतियों के लिए आईडीएफ की तैयारी को मजबूत करेंगे. अभी स्पष्ट नहीं है कि हलेवी के इस्तीफे के बाद इजरायल का अगला आर्मी चीफ कौन होगा, लेकिन उन्होंने कहा कि वह पहले से नामित उत्तराधिकारी को आर्मी चीफ का पद सौंप देंगे. आर्मी चीफ के साथ आईडीएफ साउदर्न कमांड के हेड मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने भी अपने इस्तीफे का ऐलान किया है.
इजरायल में 7 अक्टूबर 2023 के हमले को लेकर जांच की मांग की जा रही है, जिसमें 1200 नागिक मारे गए थे और कमोबेश 250 लोग बंधक बना लिए गए थे. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी पहले इसकी जांच के पक्ष में थे और अपने बयानों में कहते रहे थे की इसकी जांच होगी. हालांकि, अब बताया जा रहा है कि वह हमास के हमले को लेकर अपनी ही सरकार की जिम्मेदारी तय करने वाली जांच शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं.
इजरायल और हमास के बीच एक साल से भी ज्यादा चली जंग पर फिलहाल विराम लग गया है. यह युद्धविराम पहले चरण में 42 दिनों का है और इस दौरान हमास और इजरायल बंदियों की अदला-बदली कर रहे हैं. इस युद्धविराम के बाद उनकी सरकार के सहयोगियों ने साथ भी छोड़ दिया है, और हमास के आगे घुटने टेकने जैसे आरोप लगाए गए हैं.
बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ युद्ध छेड़ने के दौरान ही ऐलान किया था कि उनका मिशन हमास को मिटाना है. एक साल लंबी जंग के दौरान इजरायल के हमले में हमास के टॉप नेताओं जैसे कि चीफ यह्या सिनवार और विदेशों में काम कर रहे प्रमुख नेता इस्माइल हानियेह की मौत हो गई, लेकिन फिर भी इजरायल को युद्धविराम के लिए हमास के साथ राजी होना पड़ा है.
कतर और अमेरिका की मध्यस्थता से हमास और इजरायल युद्धविराम के लिए राजी हुए और इस दौरान बंधकों की रिहाई पर भी समझौते हुए थे, जिसके बाद हमास की तरफ से बंधकों को रिहा किया जा रहा है, और उसके बदले इजरायल को भी फिलिस्तीनी बंदियों की रिहाई करनी पड़ रही है.