रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय में पo दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मजयंती पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
बरेली,26 सितम्बर। महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखंड विश्वविद्यालय की पंडित दीन दयाल उपाध्याय शोधपीठ के द्वारा पं दीनदयाल जी की जन्मजयंती के अवसर पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसके मुख्य अतिथि गौविज्ञान केंद्र देवलापार, नागपुर के अध्यक्ष डॉ हेमंत विनायक राव जाम्भेकर रहे।
कार्यक्रम का प्रारंभ दीनदयाल जी के चित्र के समक्ष डीप प्रज्ज्वलन से हुआ तथा स्वागत भाषण अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो पी बी सिंह ने किया उसके पश्चात कुलसचिव श्री संजीव कुमार सिंह ने बताया कि पंडित दीन दयाल जी ने मानव एवं राष्ट्र के जीवन के उत्थान के लिए जो अपने विचार दिये वह वर्तमान में भी उतने ही प्रासांगिक हैं उन्होंने अंत्योदय का विचार दिया जिसमें समाज के सबसे निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति के विकास की संकल्पना है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीर हेमंत विनायक राव जाम्भेकर ने दीन दयाल के जीवन पर प्रकाश डाला और बताया कि विषम परिस्थितियों के बाद भी उन्होंने धैर्य के साथ जीवन को आगे बढ़ाया तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही वह श्री भाऊराव देवरस जी के संपर्क में आ गये था उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया और अपना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक जीवन प्रारंभ किया। उनका नित्य का चिंतन समाज के सबसे निम्न स्तर में व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए रहा , वह न्यूनतम संसाधनों के साथ जीवन व्यतीत करते थे तथा अहर्निश सेवाभावी थे वर्ष का अधिकांश समय ट्रेन यात्रा में ही बीतता था।
दीनदयाल जी के विचारों पर आधारित होलर सोचेंगे तो हम पायेंगे कि ये देश हमारा है अतः इसको अच्छा हमें ही बनाना होगा ।
दुनिया में चार प्रकार के विचार आए ईसाईयत, इस्लाम, वामपंथ और भारतीय विचार ।इनमें केवलभारत का विचार ही ऐसा है जिसने दूसरों को नष्ट न कर के उनके पोषण किया बाक़ी सब विचारों ने सभी को अपने जैसा बनाने के लिए अत्याचार किए परंतु भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव रख कर सबको अपना ही अंग माना और इसलिए भारत में रहने वाले सभी विचार पनप गये
उन्होंने बताया कि हमको अपनीसभ्यता संस्कृति और भारतीय मूल्यों का संरक्षण करने की आवश्यकता है। जल जंगल ज़मीन का स्वास्थ्य सही रहेगा तो मनुष्य का स्वास्थ्य भी सही रहेगा।
हमको इस युगसंधि काल में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए विकसित हो रहे भारत के विकास में अपना योगदान देना होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष और कुलपति प्रो कि ये पी सिंह ने इस अवसर पर कहा कि दिन दयाल जिनके विचारों को पढ़ने से ज़्यादा समझ कर जीवन में उतारने की आवश्यकता है । भारत ऐसी भूमि है जिसने सभी प्रकार के विचारों को स्थान दिया और अब उन सभी विचारों का ज्ञान हमारा ही ज्ञान है हम किसी विचर को त्याग नहीं सकते बल्कि सभी अच्छे विचारों कॉमेक साथ आकर समाज परिवर्तन के कार्य करने होंगे । विद्यार्थियों को ज्ञान एकत्र करना चाहिए अच्छे अच्छे शोध कार्य करने चाहिए और इन सबका आधार हमारा अपना ज्ञान हो जिस प्रकार पंडित दीन दयाल ने बड़े संघर्षों के बाद अपने जीवन को उत्कृष्ट बनाया हमको उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए
कार्यक्रम के अंत में प्रो तूलिका सक्सेना ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया । कार्यक्रम ka संचालन शोधोपीठ के सहायक समन्वयक विमल कुमार ने किया।
इस अवसर पर डीन एकेडमिक्स प्रो एस के पांडेय , शोधपीठ सह समन्वयक डॉ रामबाबू सिह, सहायक समन्वयक डॉ रश्मिरंजन विशेष रूप से उपस्थित रहे तथा कार्यक्रम में प्रो जे एन मौर्य, प्रो आलोक श्रीवास्तव, प्रो शोभना, प्रो सुमित्रा कुकरेती, प्रो संतोष अरोड़ा, प्रो सुधीर कुमार वर्मा, डॉ प्रतिभा सागर, डॉ कीर्ति प्रजापति, प्रो मदन लाल, डॉ हेमा वर्मा , डॉ सौरभ वर्मा, सुधाकर, सुधांशु कुमार, तपन वर्मा, सहित अनेक शिक्षक एवं कर्मचारी तथा छात्र छात्रायें सम्मिलित रहे।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट