उत्तर प्रदेश

रूहेलखण्ड इनक्यूबेसन फाउंडेशन द्वारा विश्वविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन


बरेली , 29 अगस्त। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय में Rohilkhand Incubation Foundation और institution innovation council के द्वारा नेहरू केंद्र स्थिति शोध निदेशालय के सेमिनार हॉल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया | कार्यक्रम संचालन के शुरुआत डॉ. रुचि द्विवेदी ने कहा कि ‘नेल्सन मंडेला ने कहा था “अगर किसी देश को विकसित देश बनाना हो तो वहां की शिक्षा व्यवस्था को अच्छा करना होना और यदि देश को बर्बाद करना है तो उस देश की शिक्षा व्यवस्था को नष्ट कर देना चाहिए |” कार्यक्रम के दौरान डीन अकादमिक प्रो. एस. के. पाण्डेय जी ने कहा कि नई शिक्षा नीति से जुड़ी सारी बातें छात्र छात्राओं को विस्तार से बताई जानी चाहिए कि कौन कौन से विषय minor और Major होते है | छात्रों के मध्य इन सबकी जागरूकता आमतौर पर चर्चा करने से ही हो सकती है जिससे बच्चो में जागरूकता और विषय का चुनाव करने की समझ विकसित होगी|
इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय से संबंधित सभी संघठक महाविद्यालयों के प्राचार्यगण, शिक्षक और विश्वविद्यालय के साथ साथ परिसर के अन्य शिक्षक डॉ. आशुतोष प्रिय डॉ. एस. डी सिंह, डॉ. विशाल सक्सेना, डॉ. अजीत कुमार डॉ. नीरज कुमार ने एन. ई. पी.-2020 पर अपने विचार प्रस्तुत करने के साथ साथ सभी महाविद्यालयों के शिक्षकों ने भी रास्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न पहलुओं पर अपनी राय रखते हुए चर्चा की । कार्यक्रम में आर आई एफ के ऑपरेशन एग्जीक्यूटिव रोबिन बालियान, इन्क्यूबेशन मैनेजर शुभी अगरवाल तथा केशवेन्द्र द्विवेदी, अंकित यादन एवं शिवम् यादव ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया |
मैकेनिकल विभाग के डॉ विशाल सक्सेना अपने विचार रखते हुए बताया कि यह समय शिक्षकों के लिए अत्यंत मूल्यवान है तथा सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों और शिक्षकों को नई शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम के अनुसार से सरल से सरल मातृभाषा में किताबें लिखना चाहिए जिससे बच्चो को विषय को पढ़ने लिखने के प्रति रुचि विकसित हो |
कार्यक्रम में सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों और शिक्षकों द्वारा नई शिक्षा नीति पर चर्चा के दौरान आने वाली कठिनाईयों से संबंधित प्रश्नों को पूछा तथा डीन अकादमिक प्रो. एस. के. पाण्डेय द्वारा उनके जवाब दिए गए। प्राचार्यों और शिक्षकों द्वारा शिक्षा व्यवस्था में आए बदलावों पर भी चर्चा करते हुए कहा कि कोविड के बाद से ऑनलाइन क्लास, टीचिंग का ट्रेंड चला जिसमे ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद बच्चो को बहुत कठिनायो का सामना करना पड़ा था परन्तु ऑनलाइन क्लास होने के कारण उनको ज्यादा नुकसान नहीं हुआ| महाविद्यालय में से आए एक प्राचार्य ने कहा कि आज के दौर में इंडस्ट्री को विद्यार्थियों से जोड़ना बहुत आवश्यक है जिससे बच्चे आज की इंडस्ट्री के डिमांड के हिसाब से और स्किल के हिसाब से सीख पाए और उस शिक्षा का इस्तेमाल वो अपने जीवन में भी कर पाए |
कार्यक्रम के सयोंजक प्रो. यतेन्द्र द्वारा सभी का धन्यवाद ज्ञापन उपरांत कार्यक्रम का समापन हुआ |

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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