आईवीआरआई में राज्यों के पशुपालन विभागों के साथ इंटरफेस  बैठक का आयोजन 

बरेली, 08फरवरी ।  भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान  ने ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत देश में राज्यों के पशुपालन विभागों के साथ इंटरफेस बैठक श्रृंखला शुरू की है। श्रृंखला की चौथी इंटरफेस बैठक देश के उत्तर पूर्वी राज्यों के पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर तथा आईवीआरआई क्षेत्रीय स्टेशन, कोलकाता  द्वारा आयोजित की गई।  इस बैठक में  देश के 8 उत्तर पूर्वी राज्यों के निदेशकों और पशु चिकित्सा कर्मियों ने भाग लिया ।
इस अवसर पर डॉ त्रिवेणी दत्त, निदेशक ने पशुओं कि विभिन्न बीमारियों के उन्मूलन में आईवीआरआई द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए विशेष चिंता के साथ देश के पशुधन संसाधनों के संरक्षण और विकास के लिए समर्पित आईवीआरआई और इसकी सेवाओं में उपलब्ध सुविधाओं को साझा  करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों की पशुपालन के क्षेत्र में चुनोतियों को पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्य पशुपालन विभागों के सहयोग से अच्छी पहल करके दूर किया जा सकता है। उन्होंने विभिन्न अनुसंधान एजेंडा और सहयोगात्मक अनुसंधान करने पर बल दिया । डॉ  दत्त ने  कहा कि राज्यों द्वारा अनुरोध किए जाने पर विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जा सकता है। उन्होंने इस तरह की बैठक आयोजित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो देश में पशुधन क्षेत्र के व्यापक और समग्र विकास के लिए राज्य पशुपालन विभाग के साथ घनिष्ठ सहयोग विकसित करने में मदद करेगी।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा), डॉ. रूपसी तिवारी ने इंटरफ़ेस मीटिंग के लिए पंजीकरण करने वाले प्रतिभागियों के विवरण, बैठक के जनादेश के साथ-साथ प्रतिभागियों की अपेक्षाओं से अवगत कराया। उन्होने कहा कि उत्तर पूर्वी राज्यों  ने पशु चिकित्सकों के प्रशिक्षण/क्षमता निर्माण, पशुधन की विभिन्न नस्लों के संरक्षण में नीति समर्थन,  उत्पादन और पोषण, क्षेत्र विशिष्ट सहयोगात्मक परियोजनाएँ, पशु रोग निदान और नैदानिक किट, गुणवत्तापूर्ण पशु चिकित्सा जैविक और टीके की गुणवत्ता नियंत्रण और स्थानिक क्षेत्रों में रोग के प्रकोप जैसे क्षेत्रों में आईवीआरआई से विशिष्ट सहायता मांगी। इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर राज्य के पशुचिकित्सकों ने पशुधन और कुक्कुट की स्वदेशी नस्ल के संरक्षण, उल्लेखनीय रोगों की राज्यवार महामारी विज्ञान निगरानी, उन्नत रोग निदान तकनीकों, पशु पोषण से संबंधित उन्नत प्रयोगशाला तकनीकों, बड़े/छोटे जानवरों में आर्थोपेडिक तकनीक और छोटे/बड़े जानवरों में नेत्र विज्ञान, इकोकार्डियोग्राफी और यूएसजी में प्रशिक्षण  के बारे में जानकारी व सहयोग कि अपेक्षा की ।
इस अवसर पर दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम सत्र में संस्थान के मानकीकरण विभाग के विभागाध्यक्ष डा. प्रणव धर द्वारा पशु चिकित्सा जैविकों का उत्पादन एवं गुणवत्ता नियंत्रण पर तथा आईटीएमयू प्रभारी डा. अनुज चैहान द्वारा संस्थान की प्रौद्योगिकियों तथा पोर्टफोलियो के बारे में जानकारी दी गयी। इसके अतिरिक्त आसाम एग्रीकल्चर यूनिवसिर्टी, आसाम तथा आसाम, अरूणाचल, मिजोरम, मणिपुर तथा त्रिपुरा के पशुपालन विभाग के निदेशकों ने अपने विचार तथा सुझाव रखे।
कार्यक्रम में  संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) आईवीआरआई डॉ. एसके मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) आईवीआरआई डॉ. एसके सिंह, क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता के प्रभारी  डॉ. अर्नब सेन,  बेंगलुरु और मुक्तेश्वर परिसरों के संयुक्त निदेशक, क्षेत्रीय स्टेशनों के प्रधान वैज्ञानिक सहित आईवीआरआई के कर्मचारियों और छात्रों ने बैठक में भाग लिया।                   बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
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