अपने शाही अतीत के कारण प्रसिद्ध है जोधपुर, जानिए यहां के दर्शनीय स्थलों के बारे में !
राजस्थान आकर अगर आप जोधपुर नहीं गए तो आपकी ट्रिप अधूरी मानी जाती हैं क्योंकि राजस्थानी का सही रूप आपको जोधपुर में ही देखने को मिलता हैं यहाँ का खानपान, रहन-सहन, पहनावा और बोली ही इसकी पहचान हैं। जोधपुर, नीले रंग में रंगे मकानों से भरा पड़ा है जिसके कारण इसे नीला शहर के नाम से भी जाना जाता हैं। जोधपुर अपनी संस्कृति के साथ एतिहासिक महत्व भी रखता हैं जिसका शाही अतीत पर्यटकों को अपनी ओर खींचता हैं। भव्य महलों से लेकर मध्यकालीन किलों तक आपको जोधपुर में कई इमारतें देखने को मिलेगी। आज इस कड़ी में हम आपको जोधपुर के कुछ ऐसे ही दर्शनीय स्थलों की जानकारी देने जा रहे हैं जहां आप घूमने का मजा ले सकते हैं।
मेहरानगढ़ किला
मेहरानगढ़ किला निस्संदेह जोधपुर में घूमने के लिए सबसे अच्छा पर्यटन स्थल है। यह 410 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है और इसके भीतर कई महल हैं। 1460 में राव जोधा द्वारा निर्मित, किला अपनी जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है। इस किले को अब एक संग्रहालय में बदल दिया गया है जो जोधपुर की समृद्ध संस्कृति और विरासत को दर्शाता है। किला चारो ओर विशाल दिवारों से घिरा हुआ है जो एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, यहां से आप पूरा खूबसूरत शहर देख सकते हैं। किले में मौजूद संग्रहालय आपको शानदार अतीत की कहानी बताएगा। संग्रहालय में शाही पालकी, तलवारें, चित्र और पुराने संगीत वाद्ययंत्र प्रदर्शन के लिए रखे हुए हैं।
जसवंत थाड़ा
पूरी तरह से सफेद दूधिया पत्थर से बने जसवंत थाड़ा को राजस्थान का ताजमहल कहा जाता है। नक्काशीदार बुर्ज और सुंदर गुंबद दिनभर सूरज की रोशनी में चमचमाते रहते हैं। मेहरानगढ़ किले के बाई ओर बनी इस इमारत का निर्माण महाराज जसवंत सिंह द्वितीय की याद में किया गया था। इस शाही समाधि में राठौर वंश से जुड़े प्रभावशाली चित्रों और शानदार कलाकृतियों का संग्रह भी है। इतिहास पसंद करने वाले लोगों को जोधपुर शहर में इस स्थान को जरूर देखना चाहिए। जसवंत थाड़ा की यात्रा के लिए सर्दियों के महीने यानी अक्टूबर और फरवरी के बीच का महीना बेस्ट है।
मंडोर गार्डन
मंडोर गार्डन जोधपुर कि प्राचीन राजधानी मंडोर मे स्थित है जो किसी समय माड़वाड़ के महाराजाओं की पूर्व राजधानी भी हुआ करती थी। इसकी दूरी जोधपुर से लगभग 8 किलोमीटर की है यहाँ कई प्राचीन मंदिर और स्मारक है जो पर्यटकों के लिये एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। यूँ तो यहाँ कई स्मारक है परन्तु महाराजा अजित सिंह का स्मारक सबसे आकर्षित है जो चारो ओर सुंदर बाग से घिरा हुआ है इसके अलावा यहाँ पर आपको एक संग्राहलय और एक बड़े से हॉल मे हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें देखने को मिलेगी जिसे 33 करोड़ देवी-देवताओं का मंदिर भी कहा जाता है।
घंटाघर और सदर बाजार
घंटाघर जोधपुर का एक ऐतिहासिक स्थल है। यह वह स्थान है जहां से पुराना जोधपुर शुरू होता है। सरदार मार्केट के बगल में पुराने शहर में स्थित, यह एक लंबा विशाल टावर है जिसे महाराजा सरदार सिंह ने 1880 और 1911 के बीच अपने शासन के दौरान बनाया था। रात में क्लॉक टॉवर सुंदर रोशनी से जगमगाता है और अद्भुत लगता है। सदर मार्केट जोधपुर के सबसे प्रमुख शॉपिंग डेस्टिनेशन में से एक है।
शीश महल
जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में शीश महल, जिसे जोधपुर के ग्लास पैलेस के रूप में जाना जाता है, ऐतिहासिक वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है जिसे छत से फर्श तक डिजाइनदार शीशे से सजाया गया है। इसे 17वीं और 18वीं शताब्दी के बीच महाराजा अजीत सिंह का शयन कक्ष कहा जाता है। छत पर लटके नीले, हरे, चांदी और सोने के आभूषणों के साथ-साथ भव्य यूरोपीय झूमर बाद में इस हॉल में जोड़े गए हैं।
कायलाना झील
जोधपुर शहर मे पश्चिम दिशा कि ओर करीब 8 किलोमीटर की दुरी पर स्थित इस बेहद खुबसूरत झील का निर्माण सन् 1872 मे प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया था। तक़रीबन 84 वर्ग के छेत्र मे फैली हुई यह झील एक मानव निर्मित झील है ऐसा कहा जाता है की पहले इस स्थान पर महल और बाग बगीचे हुआ करते थे। जिसे उस समय के दो शासक भीम सिंह और तत सिंह ने इन महलों को तोड़ कर इस झील का निर्माण करवाया गया था। यह एक बहुत खुबसूरत झील है इसका शांत वातावरण पर्यटकों को काफी पसंद आता है इसलिए जोधपुर आने वाले हर उस पर्यटक के लिये यह एक मनोरम स्थान है।
सरदार गवर्नमेंट म्यूजियम
यह जोधपुर में इतिहास प्रेमियों के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। यह म्यूजियम आपको राजस्थान के बीते युग के बारे में एक महान जानकारी देगा। सरदार गवर्नमेंट म्यूजियम का निर्माण एडवर्डियन वास्तुकार हेनरी वॉन लैंचेस्टर ने महाराजा उम्मेद सिंह के शासन के दौरान किया था। इसका नाम महाराजा सरदार सिंह के नाम पर रखा गया था। यह एक पुराना म्यूजियम है जो राजाओं और अन्य ऐतिहासिक चीजों के चित्रों को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा, यहां पर पत्थर की मूर्तियों, लघु चित्रों, टेराकोटा, धातु की वस्तुओं, हथियारों, सिक्कों और कला और शिल्प वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।
उम्मेद भवन पैलेस
यह संभवतः जोधपुर में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। महल का इंटीरियर इंडो-सरसेनिक, क्लासिकल रिवाइवल और वेस्टर्न आर्ट डेको शैलियों के साथ डिजाइन किया गया है। जिसे अब एक हैरिटेज होटल में बदल दिया गया है। बता दें कि उम्मेद भवन 1943 में बनाया गया था। पैलेस में 347 कमरे हैं। यह आजादी से पहले भारत में बना आखिरी महल भी है। इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट हेनरी लैंकेस्टर ने डिजाइन किया है। महल के एक हिस्से में एक संग्रहालय भी है जो शाही युग की कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है, जिसे देखना यहां की सबसे अच्छी बात है।
खेजड़ला किला
खेजड़ला किला पुराने समय के शाही राजाओं और रानियों के शानदार महल के रूप में जाना जाता है। जोधपुर के महाराजा द्वारा बनाये गए इस 400 साल पुरानी इमारत को अब एक होटल में बदल दिया गया है। इसका निर्माण ग्रेनाइट पत्थर और लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। जो लोग भारत की सांस्कृतिक विरासत में दिलचस्पी रखते हैं, उनके लिए ये जगह बिल्कुल सही है। गर्मियों के मौसम में यात्रा करने की बजाए अगस्त, सितंबर, फरवरी और मार्च के महीनों के दौरान यात्रा करें।