उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई में अनुसंधान सलाहकार समिति(आरएसी) की 25वीं बैठक का आयोजन 

                                            बरेली, 23 मार्च ।  भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में कल अनुसंधान सलाहकार समिति (आरएसी)  की 25 वीं  बैठक का आयोजन किया गया।  बैठक की अध्यक्षता डॉ के. एम. बुजरबरुआ, पूर्व कुलपति असम कृषि विश्वविद्यालय तथा पूर्व उप महानिदेशक (पशु विज्ञान)  ने की ।
बैठक की शुरुआत में पीएमई प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ जी साई कुमार स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस बैठक में  देश के विभिन्न पशु चिकित्सा विशेषज्ञ संस्थान के शोध का आंकलन करेंगे जिससे संस्थान के शोध को नई दिशा मिलेगी तथा नए सुझाव मिलेंगे।
बैठक के उद्घाटन भाषण के दौरान, डॉ बुजरबरुआ ने आईवीआरआई के निदेशक और वैज्ञानिकों को संस्थान द्वारा किए गए अनुसंधान, शिक्षण और विस्तार कार्य के लिए बधाई दी। आरएसी सदस्यों ने अध्यक्ष के विचारों का समर्थन किया और आईवीआरआई के बौद्धिक संपदा अधिकार पोर्टफोलियो और प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण में हुई प्रगति की भी सराहना की।
बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ अशोक कुमार, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर  के कुलपति, डॉ एम. एस. चौहान,  गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना के डॉ जे. पी. एस.  गिल तथा, प्रकाश फूड्स, चेन्नई के अध्यक्ष डॉ डी.वी. आर. प्रकाश राव  ने भाग लिया ।
डॉ त्रिवेणी दत्त, निदेशक, आईवीआरआई ने 2023-24 की अवधि के दौरान संस्थान की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। डॉ दत्त ने कहा इस संस्थान का 134 वर्षों का गौरवमयी  इतिहास रहा है तथा संस्थान पशु रोग निदान, अनुसंधान तथा शिक्षण में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है । उन्होने कहा कि  वर्ष 2023-24 में कुल 368 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है तथा बीवीएससी एण्ड एएच की सीटो को बढ़ाया है इसके अतिरिक्त मानव संसाधन विकास/कौशल निर्माण के तहत 1061 प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न वोकेशनल कोर्स/सार्टिफिकेट तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षित किया है तथा संस्थान में छात्रों के लिए स्मार्ट क्लास रूम बनाये गये हैं। डा. दत्त ने कहा कि संस्थान भविष्य में केन्द्रीय भैंस अनुसधांन संस्थान तथा राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान के सहयोग से हिसार में एजुकेशन हब विकसित करने जा रहा है। इसके अतिरिक्त आईवीआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी को मेगा या वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी विश्वविद्यालय में बदलने के लिए योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है। डा. त्रिवेणी दत्त ने आगे बताया कि संस्थान ने विभिन्न औघोगिक घरानों के साथ इण्टरफेस मीट की है तथा अनुबन्ध किये जा रहे हैं जिससे  हमारे छात्रों  को इन उद्योगों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त  हो सके। उन्होंने कृषक समुदाय की सेवा में संस्थान द्वारा की गई विभिन्न नई पहलों के बारे में सदन को जानकारी दी। उन्होंने हितधारकों को प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए संस्थान द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों के बारे में भी बताया।
डॉ. एस.के. सिंह, संयुक्त निदेशक (शोध) ने संस्थान कि शोध गतिविधियों कि जानकारी देते हुए कहा कि  संस्थान ने पिछले वर्ष चार पीपीआर गोट पोक्स कम्बाईंड  वैक्सीन,  एफएमडी मार्कर वैक्सीन, पीपीआर मार्कर वैक्सीन तथा डक प्लेग वैक्सीन को विकसित किया  तथा चार बीमारियों के नैदानिक भी बनाए गए । डॉ सिंह ने कहा कि तकनीकयों के वाणिज्यकरण से 195 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ इसके अतिरिक्त संस्थान द्वारा वर्ष 2023-24  10 एमओयू भी  किए गए ।
उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न क्षेत्रीय स्टेशनों, परिसरों और उसके बाद विभागों की उपलब्धियों की प्रस्तुति दी गई। आरएसी सदस्यों ने आईवीआरआई की विभिन्न इकाइयों में किए जा रहे शोध पर अपनी टिप्पणियां और इनपुट दिए। सदस्यों ने उत्पादन बढ़ाने के लिए जर्म प्लाज्म में सुधार करने, कृत्रिम गर्भाधान की उन्नत तकनीकों को अपनाने तथा खुरपका मुंहपका बीमारी पर शोध करने पर बल दिया जिससे इसे अतिशीघ्र नियंत्रण में किया जा सके।  इसके अतिरिक्त  पशुओं और  कुक्कुट कि बीमारियों पर जायदा ध्यान केन्द्रित करने तथा पशुओं की थनैला  बीमारी के पूर्व पहचान करने तथा इस पर और शोध करने की आवश्यकता पर बल दिया ।
पीएमई प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ जी साई कुमार द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ बैठक समाप्त हुई। उन्होंने इस बैठक के आयोजन में शामिल आरएसी सदस्यों, संयुक्त निदेशकों, विभिन्न परिसरों, विभागाध्यक्षों, अनुभागों के प्रभारियों और संयुक्त अनुसंधान निदेशालय की पूरी टीम को धन्यवाद दिया।                                               बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
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