नीतीश कुमार नहीं बनेंगे संयोजक, सीटों के बंटवारे में फंसेगी नीतीश-अखिलेश और ममता की डिमांड
नई दिल्ली : बिहार (BIhar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने विपक्षी गठबंधन के सदस्यों को इस बात की जानकारी दे दी है कि वह इंडिया गठबंधन (India Alliance) के संयोजक बनने के इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने कांग्रेस समेत पार्टी के तमाम दलों को अपनी इच्छा से अवगत कराते हुए कहा है कि जल्द से जल्द सीट बंटवारे का फार्मूला तैयार किया जाना चाहिए। संयोजक के रूप में अनावश्यक रूप से उनके नाम को उछालकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। नीतीश कुमार द्वारा इस तरह की इच्छा जाहिर करने के बाद भारतीय जनता पार्टी तथा अन्य सहयोगी दलों को बैठे-बिठाए एक और मुद्दा मिल गया है।
नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने यह भी साफ कर दिया है कि वह बिहार राज्य की 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है। शेष 23 सीटों पर किसकी कितनी हिस्सेदारी होगी यह राजद तय कर सकता है। इस पर कोई फार्मूला बनाकर फैसला किया जाएगा।
जनता दल यूनाइटेड के सूत्रों ने बताया कि नीतीश कुमार के संयोजक बनने की राह में कई तरह की अड़चनें आ रहीं थीं। इसीलिए उन्होंने अपने आप को इस रेस से अलग कर लिया है। ताकि हर दिन मीडिया में अनावश्यक बयानबाजी से बचा जा सके।
ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने प्रधानमंत्री पद के दावेदार के साथ साथ दलों के बीच तालमेल के लिए गठबंधन में संयोजक की जरूरत पड़ेगी, ताकि तमाम दलों के साथ बातचीत करके आपसी तालमेल को और बेहतर बनाया जा सके तथा सीटों के बंटवारे में फंसी पेंच को भी सुलझाया जा सके।
विपक्ष के संयुक्त प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बाद अगर संयोजक की स्थिति का आंकलन किया जाए, तो वह गठबंधन में नंबर दो की स्थिति होगी। इसलिए नीतीश कुमार नंबर दो की पोजीशन को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रहे हैं। वह विपक्षी गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तो मन ही मन में बनना चाह रहे हैं, लेकिन वह संयोजक बनाकर अपने आप को दूसरे नंबर पर नहीं रखना चाहते हैं।
इसके साथ सीट बंटवारे का सवाल भी जदयू ने राजद के पाले में डाल दिया है। पार्टी ने बीते चुनाव की तरह कम से कम 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है। पार्टी ने कहा है कि शेष बची 23 सीटों पर किसके हिस्से कितनी सीटें आएंगी, यह राजद को तय करना है। कांग्रेस पार्टी को उस फॉर्मूले पर आपत्ति है, जिसके तहत जदयू-राजद को 17-17 देने की चर्चा हो रही थी।कांग्रेस को चार और वाम दलों को दो सीटों पर चुनाव लड़ने का फार्मूला JDU और RJD ने बनाया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते हैं कि उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड को पूर्वोत्तर भारत, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में भी सीटें मिलें। दबाव बनाने के लिए जदयू ने इसी हफ्ते अरुणाचल प्रदेश पश्चिम से उम्मीदवार उतार दिया है। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी को मानें तो पार्टी ने उत्तर प्रदेश में तीन और मध्य प्रदेश की एक सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है। ताकि अगर गठबंधन में कुछ सीटें जीत लें तो उनकी पार्टी राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन सके।
अखिलेश और ममता की भी नजर
जनता दल यूनाइटेड की ही तरह समाजवादी पार्टी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य राज्यों में सिम मांगने का दावा पेश कर सकती हैं। पार्टी के अंदर चल रही चर्चाओं की मानें तो टीएमसी और सपा के भी नेता चाहते हैं कि कांग्रेस उसे अपने प्रभाव वाले राज्यों में भी गठबंधन के तहत सीटें दे, जिससे कि दोनों दलों का भी प्रभाव अन्य राज्यों में बढ़ सके।