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मंकीपॉक्स के लिए चेचक का टीका नहीं आजमाएगा भारत, स्वास्थ्य मंत्रालय बोला- बड़ा खतरा नहीं

नई दिल्ली। मंकीपॉक्स का संक्रमण रोकने के लिए भारत यूरोपीय यूनियन की तर्ज पर चेचक के टीके का इस्तेमाल नहीं करेगा। क्योंकि भारत का यह मानना है कि मंकीपॉक्स कोरोना की भांति देश के लिए बड़ा खतरा नहीं बनेगा। इसलिए फोकस अभी इसी बात पर रहेगा कि लोगों को जागरूक किया जाए, ताकि वह बीमारी को छुपाए नहीं बल्कि सामने आकर जांच कराएं।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के अनुसार, डेनमार्क की एक कंपनी चेचक का टीका बनाती है क्योंकि यूरोप के कई देशों में अभी भी चेचक की बीमारी मौजूद है। भारत तीस साल पहले इसका उन्मूलन कर चुका है। इसलिए आज चेचक का टीका भी देश में बनना बंद हो चुका है।

दरअसल अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने हाल ही में इस टीके को मंकीपॉक्स के लिए आजमाना शुरू किया है। यूरोप की भांति अमेरिका में भी 2019 तथा 2021 में मंकीपॉक्स कई बार दस्तक देता रहा है। इस साल भी कई मामले आए हैं। चूंकि मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे हैं इसलिए वहां इसे रिंग वैक्सीनेशन के लिए मंजूर किया गया है यूनिवर्सल वैक्सीनेशन के लिए नहीं। रिंग वैक्सीनेशन का मतलब है कि संक्रमित के करीबी लोगों को टीका लगाना। हालांकि, अभी यह भी स्पष्ट नहीं कि यह कितना असरदार होगा।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बीमारी उन्हीं लोगों में ज्यादा फैल रही जो समलैंगिक हैं। दुनिया में 90 फीसदी मामले ऐसे ही लोगों में पाए गए हैं। यानी बीमारी का प्रसार एक खास तबके के लोगों में है। इसलिए मंत्रालय ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम का इस्तेमाल कर प्रचार अभियान शुरू किया है ताकि लोग बीमारी छुपाए नहीं। मंत्रालय का मानना है कि यह उस तरह की बीमारी नहीं है कि कोरोना की भांति लोग भयभीत हों।

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