लव, डांस और 50 हजार लोगों की हत्या! दुनिया की सबसे खतरनाक महिला जासूस की कहानी, जिसे मिली भयानक मौत
ब्यूटी विद ब्रेन इन दोनों के कॉम्बिनेशन से एक महिला जासूस बड़े बड़े लोगों को बेवकूफ बनाने में माहिर थी. हम यहां जिस जासूस की बात कर रहे हैं, उसे दुनिया माता हारी के नाम से जानती है. इस महिला ने अकेले ही पूरे यूरोप को नचा दिया था. वो स्ट्रिप डांसिंग यानी कपड़े उतारकर नाचने में माहिर थीं. जिसके कारण बडे़ से बड़े ओहदे पर बैठा पुरुष भी उनके आगे कमजोर पड़ जाता था. बस इसी कमजोरी का फायदा उठाकर वो खुफिया जानकारी निकलवा लिया करती थीं.
तमाम देशों के सैन्य जनरल, व्यापारी और मंत्री उनके दीवाने थे. मगर जब पकड़ी गईं, तो ऐसी सजा मिली जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता. मरने के बाद शव भी लेने कोई नहीं आया. उनका चेहरा तक चोरी कर लिया गया था. माता हारी के जासूसी के कांड ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था. और इसे करने का जो तरीका था, वो भी हैरान कर देने वाला था. माता हारी को न्यूड डांसिंग यानी नग्न अवस्था में किए जाने वाले डांस को पॉपुलर करने का श्रय भी दिया जाता है.
कहानी तब की है, जब पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ. अब उनके दीवाने बने बैठे अधिकारियों को संभोग से ज्यादा जिस चीज की जरूरत थी, वो थी खुफिया जानकारी. इसके लिए उन्होंने माता हारी की मदद ली. वो अपने जिस्म और अदाओं के बल पर ही जासूसी भी किया करती थीं. वो जितनी खूबसूरत थीं, उतनी ही खतरनाक भी. बता दें, उनका जन्म 1876 में नीदरलैंड में हुआ था. असल नाम था मार्गेटा ट्सेला. माता हारी नाम बाद में पड़ा. जिसका मतलब इंडोनेशिया में सूर्य होता है. परिवार अमीर था. मगर 13 साल की उम्र में पिता का बिजनेस ठप पड़ गया और गरीबी का सामना करना पड़ा.
कहा जाता है कि मार्गेटा यानी माता हारी की मां इडोनिशियन थी. वो भी उन्हें छोड़कर चली गईं. इसके बाद माता हारी ने जो कुछ भी किया, वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. वो इतनी खूबसूरत थीं कि जो कोई भी उनकी तरफ देखता वो उनका आशिक बन जाता. वो पुरुषों का ध्यान अपनी तरफ खींचने में माहिर थीं. इसी हुनर के बूते उन्होंने एक मशहूर डच फौजी अफसर से शादी कर ली. अब प्यार, दौलत, औलाद, रुतबा, सबकुछ मिल गया था. मगर वो एक जगह कहां रुकने वाली थीं. कहा जाता है कि माता हारी का नाम अन्य पुरुषों से भी जुड़ता रहा. फिर 1902 में उनकी शादी टूट गई.
माता हारी ने अब अपने दम पर दौलत और शौहरत कमाने की ठान ली. उन्हें आजाद पंछी की तरह जीना था. उन्होंने डांस में महारथ हासिल कर ली थी. अगर कोई उन्हें नाचता हुआ देख लेता तो मदहोश हो जाता था. वो जासूस ना भी बनतीं, तो भी इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवा ही लेतीं. क्योंकि यूरोप के अलावा बाकी दुनिया में भी उनके डांस के खूब चर्चे हुआ करते थे. अगर कोई उनका डांस देख ले, तो उसे यूरोप के ऊंचे तबके में शामिल होने का टिकट मिल जाता था.
यूरोप के ताकतवर और अमीर लोग माता हारी के साथ एक शाम गुजराने के लिए अपना सबकुछ कुर्बान करने को तैयार थे. मार्गेटा से माता हारी बनी इस महिला जासूस के ताल्लुकात उन लोगों से भी होने लगे, जो यूरोप की बड़ी सेनाओं में ऊंचे पदों पर बैठे थे. इन लोगों को खुफिया जानकारी चाहिए थीं. क्योंकि पहला विश्व युद्ध शुरू हो गया था. इसी बीच फ्रांस की खुफिया एजेंसियों की नजर माता हारी पर पड़ी. उन्हें पैसे के बदले जर्मन अधिकारियों से सूचना इकट्ठी करने का काम सौंपा गया.
कहा जाता है कि जर्मनों को इसकी खबर जल्द पड़ गई. उसने माता हारी को मारने या सजा देने के बजाय उन्हें अपने ही कैंप में शामिल कर लिया. अब माता हारी ने जर्मनी के लिए फ्रांस की जासूसी करना शुरू कर दिया. वो एक डबल एजेंट बन गईं. दोनों देशों को एक दूसरे की खुफिया जानकारी सौंपतीं और खूब पैसा कमातीं. कहते हैं कि उनके डांस में भी दोनों देशों की सेनाओं के लिए खुफिया मैसेज छिपे होते थे.
ऐसा कहा जाता है कि डांस करते हुए अगर माता हारी नीचे से कपड़े उतारती थीं, तो इसका मतलब ये होता था कि फौज नीचे से यानी जमीनी हमला करने वाली है. अगर वो डांस के शुरुआत में अपने सिर से कपड़ा उतारती थीं, इसका मतलब होता था कि वायु सेना हमला करेगी. यानी हमला आसमान से होगा. अब माता हारी बेशक जासूसी का काम बड़ी ही बहादुरी से कर रही थीं लेकिन वो थीं तो एक डबल एजेंट ही.
माता हारी का झूठ भी एक दिन पकड़ा गया. अब दोनों देश जानते थे कि वो एजेंट नहीं बल्कि डबल एजेंट हैं. फ्रांस की खुफिया एजेंसी ने उनके खिलाफ सबूत एकत्रित करना शुरू कर दिया. जब सजा देने लायक सबूत मिल गए, तो माता हारी को पेरिस के एक होटल से गिरफ्तार किया गया. उन पर इलजाम लगा कि उनकी ही जासूसी के कारण फ्रांस के करीब 50,000 सैनिकों की मौत हुई है.
कहा जाता है कि इन सैनिकों की मौत उन हमलों में हुई थी, जो माता हारी के जानकारी लीक करने के कारण जर्मनी ने फ्रांस पर किए थे. उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया. उन्होंने खुद पर लगे इन आरोपों को झूठा करार दिया था. साथ ही कहा कि वो महज एक डांसर हैं और उनके रिश्ते दोनों ही देशों की सेनाओं के बड़े अफसरों से हैं. माता हारी ने फ्रांसीसी अधिकारियों से कहा कि मैं जर्मनी को जानकारी लीक नहीं कर रही हूं. मगर फ्रांस के पास वो टेलिग्राम मैसेज भी थे, जो माता हारी की तरफ से जर्मन अधिकारी को भेजे गए थे. इनमें उनका पता, बैंक की जानकारी, भरोसेमंद नौकरानी का नाम लिखा था.
फ्रांस की सरकार ने माता हारी को गद्दार मानते हुए मौत की सजा सुना दी. अक्टूबर 1917 में 41 साल की माता हारी को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया गया. उनके शव को कोई लेने नहीं आया. जिसके चलते उसे पेरिस के मेडिकल स्कूल में चीड़फाड़ कर प्रयोग करने के लिए भेज दिया गया. जबकि उनका चेहरा एनॉटॉमी म्युजियम में संग्रहित किया गया. लेकिन 26 साल पहले ये चेहरा यहां से गायब हो गया. माना गया कि उनके चेहरे को चोरी किया गया है.
माता हारी आज भी दुनिया को बखूबी याद हैं. उन पर तमाम किताबें लिखी गईं. उन पर फिल्में और टीवी सीरियल्स भी बनाए गए हैं. मगर कुछ इतिहासकार मानते हैं कि माता हारी की बली दी गई थी. फ्रांस को जंग में मात खाने के लिए किसी भेदिया को देषी ठहराना था. उस पर हार का ठीकरा फोड़ना था. तो माता हारी अपने डांस और अनैतिक मूल्यों के कारण एक आसान शिकार थीं. इतिहासकार ये भी कहते हैं कि फ्रांस ने माता हारी को सजा देने के लिए, उन पर आरोप मढ़ने के लिए खुद इस टेलीग्राम को पैदा किया था. ताकि जनता भी खुश हो जाए और हार का आरोप भी मढ़ा जा सके.
वहीं फ्रांसीसी अर्काइव में बताया गया है कि माता हारी ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था. ट्रांसक्रिप्ट से पता चलता है कि जून 1917 में पूछताछ में उन्होंने बताया था कि वो जर्मनी के लिए भी काम कर रही थीं. ये 1915 में नीदरलैंड के द हेग से शुरू हुआ.
उनका कहना है कि जब वह फ्रांस के लिए जासूसी करती पकड़ी गईं, तो जल्द से जल्द पेरिस जाना चाहती थीं. तभी एम्सटर्डम में मौजूद एक जर्मनी काउंसलर कार्पल क्रोमर ने मदद की पेशकश की. बदले में उन्हें समय समय पर सूचनाएं पहुंचानी थीं. इसी तरह वो एजेंट H21 बन गईं. उन्होंने कहा कि उनका मकसद केवस पैसे लेकर भागने का था.
उन्होंने ये भी कहा कि वो संयुक्त मोर्चे की मदद के लिए समर्पित थीं. फ्रांस की खुफिया सेवा को मदद करने का वादा किया था. लेकिन उनके खिलाफ साफतौर पर सबूत मौजूद थे. उन्हें काले कपड़ों में मौत दी गई. एक हाथ को खंबे से बांधा गया. एक साथ खड़े होकर 12 सैनिकों ने उन पर गोलियां बरसाईं. कहते हैं कि उन्होंने आंखें ढंकने तक से इनकार कर दिया था.