आईवीआरआई के134वें स्थापना दिवस के सुअवसर पर विशेष व्याख्यान का आयोजन 

बरेली, 09 दिसम्बर। भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में संस्थान के 134वें स्थापना दिवस के सुअवसर पर एक स्थापना दिवस व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर रीजनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर एवं जे.सी.बोस नेशनल फेलो डॉ. सुधांशु व्रती ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
मेकिंग ऑफ द रोटावायरस वैक्सीनः द इंडियन स्टोरी-विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए डॉ. व्रती ने कहा कि किसी वैक्सीन के विकास के लिए कई अंतरविषयी स्वास्थ्य विज्ञान की आवश्यकता होती हैं। उन्होंने वैक्सीन विकास के विभिन्न चरणों की व्याख्या करते हुए कहा कि सन् 1973 में रोटा वायरस की जानकारी दुनिया के सामने आयी। यह मनुष्यों और पशुओं दोनो के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह शरीर में घुस कर छोटी आंत को संक्रमित करता हैं। जिससे रोगी में डायरिया, उल्टी, पानी की कमी आदि लक्षण दिखते हैं। उससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। इस रोग में एन्टीबायोटिक दवायें प्रभावी नहीं होते। वर्तमान में बाजार में इसके लिए दो वैक्सीन उपलब्ध है जो 85 से 98 प्रतिशत तक कारगर है। विगत 9 मार्च, 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसे यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन कार्यक्रम के अन्तर्गत लोकार्पित किया था। यह वैक्सीन देश में विकसित, उत्पादित होकर देश ही नहीं विदेशों में भी मनुष्यों की प्राणरक्षा कर रहा है।
इस अवसर पर अपने स्वागत भाषण में संस्थान के पशुरोग शोध एवं निदान केन्द्र (कैडराड) के संयुक्त निदेशक डॉ. के.पी.सिंह ने कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए कहा कि वैक्सीन विकास की प्रक्रिया बहुत क्लिष्ठ होती है। हम आशा करते हैं कि इस व्याख्यान से हमारे संस्थान के वैज्ञानिकों और छात्रों को प्रेरणा मिलेगी।
समारोह में बड़ी संख्या में वैज्ञानिक और छात्र सहित संयुक्त निदेशकगण डॉ. एस.के.मेंदींरत्ता, डॉ.एस.क.े सिंह, डॉ.रूपसी तिवारी एवं विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे। समारोह का संचालन वैज्ञानिक डॉ. अनीसा वी.ए. तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. जी. साई कुमार ने किया।                                              बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
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