आईवीआरआई में जलवायु-स्मार्ट पशुपालन विषय पर कार्यशाला का आयोजन 

बरेली ,18 सितम्बर। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग द्वारा सतत उत्पादन के लिए जलवायु-स्मार्ट पशुपालन विषय पर 10 दिवसीय कार्यशाला का  आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में देश के 08 प्रांतो के 25 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। यह कार्यशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित की गयी है।
उदघाटन अवसर पर बोलते हुए संस्थान के निदेशक डा त्रिवेणी दत्त ने कहा कि उत्पादकता बढाने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन को देखते हुए हमें सतत उत्पादन की ओर ध्यान देना होगा। जिसके लिए जलवायु स्मार्ट पशुपालन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पशु उत्पादन, निदान एवं चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यशाला में हैण्डस ऑन ट्रेनिंग दी जायेगी। डा. दत्त ने नई शिक्षा नीति 2020 को अपनाने तथा बहुआयामी शिक्षा तथा  समग्र दृष्टिकोण को बढ़ाने की बात कही।
संयुक्त निदेशक, शोध डा. एस. के सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला का विषय बहुत महत्वपूर्ण और समसामयिक है। यह कार्यशाला सतत पशु उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।
संयुक्त निदेशक शैक्षणिक डा. एस. के. मेंदीरत्ता ने कहा कि पूर्व में केवल खाद्य सुरक्षा की बात की जाती रही है परन्तु अब पोषण सुरक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मानव आहार में कुल प्रोटीन आवश्यकता का एक तिहाई भाग पशुजनित प्रोटीन से आना चाहिए जिसके लिए जलवायु-स्मार्ट पशुपालन आवश्यक है।
संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने कहा कि सतत उत्पादन के लिए जलवायु स्मार्ट पशुपालन के लिए जागरूकता लानी चाहिये तथा उससे सम्बन्धित पशुपालकों हेतु पैकेज ऑफ प्रैक्टिस विकसित एवं हस्तांतरित होनी चाहिए।  उन्होंने मिशन लाइफ स्टाइल फार इनवायरमेंट के बारे में बताते हुए कहा कि हमें अपनी जीवन शैली जलवायु सुरक्षा के अनुरूप बदलनी होगी।
प्रभारी पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन अनुभाग डॉ मुकेश सिंह ने बताया कि हमारा संस्थान  जलवायु-स्मार्ट पशुपालन के लिये काम करना शुरू कर दिया है जैसे कि ग्रीन रूफिंग, दुग्ध उत्पादन हेत जलपद चिन्ह का आंकलन इत्यादि जारी है।
पाठ्यक्रम निदेशक डा. हरि ओम पाण्डेय ने कहा कि पशु उत्पाद की दुनिया भर में बढ़ती मांग वर्तमान में पशुधन उत्पादन पर जबरदस्त दबाव डाल रही है। अधिक जनसंख्या, शहरीकरण और आहार परिवर्तन से पशुधन उत्पाद काफी प्रभावित हुए हैं। वैश्विक स्तर पर, पशुधन क्षेत्र किसी भी अन्य कृषि उप-क्षेत्र की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है, जो लगभग 1.3 बिलियन लोगों को आजीविका प्रदान करता है और वैश्विक कृषि उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान देता है।
 कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. अयोन तरफदार द्वारा किया गया। इस अवसर पर डा. ए. के. पाण्डेय, डा. ए.के. एस. तोमर, डा. एल. सी चौधरी, डा. मानस पात्रा, डा. ज्ञानेन्द्र सिंह, डा. अंजु काला, डा. हरि अब्दुल समद आदि उपस्थित रहे।               बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
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