आईवीआरआई में डीएसटी- एसईआरबी प्रायोजित दो कार्यशालाओं का समापन

बरेली ,15 सितम्बर। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में पशु चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी विभाग में दो डीएसटी-एसईआरबी प्रायोजित कार्यशालाओं का समापन कल हुआ। पहली कार्यशाला जैविक विज्ञान में सिंथेटिक पेप्टाइड्स के डिजाइन, संश्लेषण लक्षण वर्णन और अनुप्रयोगों पर थी और दूसरी कार्यशाला कैंसर बायोमार्कर का पता लगाने और मात्रा निर्धारित करने के लिए बुनियादी इम्यूनोलॉजिकल और आणविक तकनीकों पर थी। इन दोनों कार्यशालाओं में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतिभागी देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से विभिन्न विषयों में डॉक्टरेट और स्नातकोत्तर कार्यक्रम के छात्र हैं। पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. समीर श्रीवास्तव ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और इन दोनों प्रशिक्षणों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इस प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को परिष्कृत उन्नत उपकरण सीखने और संचालित करने और एचपीएलसी, फ्लो साइटोमेट्री, माइक्रोस्कोपी, बायोसेंसर, आणविक तकनीक, इम्यूनोलॉजिकल तकनीक और ऊतक संवर्धन जैसी तकनीकों को सीखने का अवसर मिला। इसके अलावा, आईआईटी के विशेषज्ञों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उसके अनुप्रयोगों के बारे में भी जानकारी दी ।
समापन समारोह में बोलते हुए, आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने सर्वप्रथम इन प्रशिक्षणों के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. समीर श्रीवास्तव और डॉ. सोनल को बधाई दी और कैंसर विज्ञान एवं सिंथेटिक पेप्टाइड विज्ञान जैसे जैव प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में इन प्रशिक्षणों के सफलतापूर्वक आयोजन पर संतोष व्यक्त किया। उन्होने युवा छात्रों को विभिन्न उन्नत क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करने की सरकार की नीति के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आईवीआरआई की प्रयोगशालाएं विभिन्न उन्नत उपकरणों और बुनियादी ढांचे से बहुत अच्छी तरह से सुसज्जित हैं और छात्रों को इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों से अत्यधिक लाभ होगा। उन्होंने सभी विभागों के प्रमुखों से ऐसे प्रस्ताव तैयार करने और छात्रों और संकाय के लाभ के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अधिक प्रशिक्षण आयोजित करने का भी अनुरोध किया। उन्होने युवा छात्रों को विभिन्न उन्नत क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करने की सरकार की नीति के बारे में बताया।
संयुक्त निदेशक, केडराड डॉ. के.पी. सिंह ने भी शोध की विभिन्न तकनीकों को सीखने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्नत क्षेत्रों में इस प्रकार के प्रशिक्षण छात्रों को विविध क्षेत्रों का ज्ञान प्रदान करने में बहुत उपयोगी होंगे ।
संयुक्त निदेशक शोध डॉ. एस.के. सिंह और संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डॉ. एस.के. मेंदीरत्ता ने ऐसे तकनीक उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन और उन्हें अनुशासित तरीके से कार्यान्वित करने के लिए पाठ्यक्रम निदेशकों को धन्यवाद दिया।
संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. रूपसी तिवारी ने कहा कि प्रतिभागियों को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्राप्त ज्ञान का उपयोग अपने शोधकार्य के लिए करना चाहिए और विज्ञान में हो रही प्रगति के साथ खुद को अपडेट करते रहना चाहिए ताकि वे आगे उज्ज्वल और सफल करियर बना सकें और राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकें ।
पशु चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी प्रभाग के प्रमुख डॉ प्रवीण गुप्ता ने पशु चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी प्रभाग के इतिहास और उपलब्धियों के बारे में बताया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. सोनल ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ सबापति ने दीया। इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विभागध्यक्षों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें... -------------------------
E-Paper