आईवीआरआई में डीएसटी- एसईआरबी प्रायोजित उच्च-स्तरीय कार्यशाला का समापन
बरेली, 22 ,मार्च। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग में “हैंड्स ऑन ट्रेनिंग ऑन बेसिक एंड एडवांस्ड टेक्निक्स फॉर बैक्टीरियल एंड फंगल डिजीज डायग्नोसिस” पर एक डीएसटी-एसईआरबी प्रायोजित उच्च-स्तरीय कार्यशाला का समापन हुआ । देश के 10 राज्यों से विभिन्न विषयों में मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले प्रशिक्षुओं ने कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न भागों, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश उतराखंड, पंजाब राजस्थान, हिमांचल प्रदेश ,नई दिल्ली, पुंडुचेर्री सहित, १५ विश्यविद्यालयो एवं राष्ट्रीय संस्थानो से मास्टर्स और पीएचडी के कुल 20 छात्र (दस छात्र एवं दस छात्राये ) शामिल हुए थे
समापन समारोह में डॉ. पी दंडपत, एचडी बीएंडएम, डॉ. आर.के. अग्रवाल, एचडी बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और डॉ अमित कुमार, प्रधान वैज्ञानिक , पशु अनुवांशिकी एवं प्रजनन, डॉ मुथु शंकर, प्रधान वैज्ञानिक, परजीवी विज्ञानं , डॉ प्रसाद थॉमस, वरिष्ठ वैज्ञानिक जीवाणु एवं कवक विज्ञानं विभाग, डॉ हिमानी धांजे, वैज्ञानिक पशुजन्य रोग स्वास्थ विभाग एवं अन्य संकाय सदस्यों ने इस अवसर की शोभा बढ़ाई।
कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. पी दंडपत ने कार्यशाला के विषय पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने छात्रों से भविष्य के शोध के साथ-साथ दोस्तों के बीच तकनीकों को दोहराने का आग्रह किया ताकि इस तरह के प्रशिक्षण आयोजित करने का हमारा मकसद पूरा हो सके। उन्होंने आज के वैज्ञानिक युग में उच्च-स्तरीय उपकरणों की भूमिका के महत्व पर भी जोर दिया।
यह कार्यशाला पारंपरिक और अत्याधुनिक तकनीकों में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करने पर केंद्रित थी। कार्यशाला का समग्र उद्देश्य एक सीखने का मंच प्रदान करना और युवा दिमाग को सुग्राहित बनाना था ताकि प्रतिभागी इस सीख को अपने उच्च अध्ययन या अनुसंधान गतिविधियों में लागू कर सकें।
इस कार्यशाला के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ अभिषेक ने कार्यशाला के बारे में संक्षिप्त रूप रेखा दी। साथ ही इस वर्कशॉप में संपादित लेक्चर और प्रैक्टिकल के बारे में भी बताया। डॉ अभिषेक ने इस अवसर पर प्रशिक्षण में प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी का आभार व्यक्त किया। डॉ अभिषेक ने बताया की सम्पूर्ण कार्यशाला को चार तकनीकी विषयों में बांटा गया था बेसिक टेक्निक्स फॉर इन्वेस्टीगेशन ऑफ़ बैक्टेरियल एंड फंगल डिजीज एंटीमाइक्रोबियल टेमिक्रोबिअल सेंस्टिविटी टेस्टिंग : स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल एंड प्रोसेदूरेस फॉर डिफरेंट पैथोजन्स, लेबोरेटरी प्रोटोकॉल्स फॉर डिजीज डायग्नोसिस एवं अडवनासद टेक्निक्स फॉर डिजीज डायग्नोसिस ऑफ़ पैथोजन्स
प्रत्येक तकनीकी सत्र को एक परिचयात्मक भाग के लिए डिज़ाइन किया गया था ताकि छात्र प्रक्रिया के प्रत्यक्ष प्रदर्शन के बाद तकनीक के बुनियादी सिद्धांतों को समझने में सक्षम हो सकें। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग के अलावा जैविक उत्पाद,जैविक मानकीकरण, बायोटेक्नोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, पैथोलॉजी, फिजियोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, वेटरनरी पब्लिक हेल्थ, और एपिडेमियोलॉजी के संकाय सदस्य भी शामिल किए गए। तीन व्याख्यान विदेशी विशेषज्ञों द्वारा भी इस कार्यशाला के दौरान ऑन लाइन माध्यम से दिए गए इनमे दो विशेषज्ञ इटली से एवं एक विशेषज्ञ पेरिस से अपना ज्ञान ट्रेनिंग के छात्रों से साझा किये ।इसके अलावा, प्रत्येक तकनीकी सत्र को एक परिचयात्मक भाग के लिए डिज़ाइन किया गया था ताकि छात्र अपने हाथों के द्वारा खूद नैदानिक तकनीक के बुनियादी सिद्धांतों को समझने में सक्षम हों।
इस दस दिवसीय कार्यशाला का समन्वय डॉ. अभिषेक, डॉ प्रसाद थॉमस, डॉ बबलू कुमार, डॉ अथिरा वी और डॉ. पी. दंडापत के देखरेख में सम्पन्न हुआ।
कार्यशाला का संचालन डॉ. हिमानी धांजे द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रसाद थॉमस द्वारा दिया गया । बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट